कल किसी वक्त चर्चा बहुत तेज छिड़ गई कि मुलायम सिंह यादव फिर से सीएम बनेंगे और सारे झगड़े को शांत कराएंगे तो देखते ही देखते यह खबर भी दौड़ने लगी कि मुलायम के सीएम बनने पर दीपक सिंघल तब मुख्य सचिव बनाए जाएंगे. इसके बाद तो कई बड़े अफसरों की हालत पतली होने लगी. दबंग और तेजतर्रार अफसर की छवि रखने वाले दीपक सिंघल की इमेज खराब करने के लिए कई अफसरों की टीम अलग अलग एंगल से सक्रिय हो गई.
अपने कुछ महीने के कार्यकाल में दीपक सिंघल ने यूपी की नौकरशाही पर नकेल कस कर उसे बेहद सक्रिय कर दिया था और हर तरफ सक्रियता दिखने लगी थी. अब फिर से हालात एकदम पहले जैसे हो गए हैं. अफसर अपनी कुर्सी पर जमे हुए मस्त हैं और धैर्य से सत्ता की लड़ाई देख रहे हैं. विकास कार्य ठप हैं. कोई किसी की सुन नहीं रहा. फाइलें जहां तहां अटकी पड़ी हैं.
ऐसे में दीपक सिंघल के ज्यों फिर से मुख्य सचिव बनने की संभावना को लेकर चर्चा छिड़ी तो यूपी के मुख्यमंत्रियों के पैसे विदेश में सेटल करने और मीडिया मैनेज करने के लिए कुख्यात एक बड़े अफसर ने अपने मीडिया रसूख का इस्तेमाल करते हुए सीएनएन आईबीएन वालों को एक फर्जी सूचना प्लांट करा दी कि दीपक सिंघल तो अमर सिंह का एक गलत काम कराने के लिए नोएडा जाने के चक्कर में नप गए थे. मजेदार यह कि आईबीएन सीएनएन वालों ने बिना छानबीन किए इसे चला भी दिया.
अखिलेश यादव अभी हाल के भाषण में कह चुके हैं कि उन्हें नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव का फोन आया कि गायत्री प्रजापति को हटा दो तो उन्होंने प्रजापित को हटा दिया और इसी तरह यह भी बता दिया कि नेताजी का फोन आया कि दीपक सिंघल को हटा दो तो इन्हें हटा दिया. यानि स्पष्ट है कि दीपक सिंघल को हटाया जाना किसी किस्म के गलत काम या किसी नकारात्मक फीडबैक के चलते नहीं बल्कि यह विशुद्ध मुलायम सिंह यादव का फैसला था.
मुलायम सिंह की राजनीति को जानने वाले यह भी जानते हैं कि वो जो बोलते हैं, करते नहीं और जो करते हैं उसे बोलते नहीं. उनके इसी धोबिया पाट दांव के कारण समय समय पर बड़े धमाके सामने आते रहे हैं. बात हो रही थी अफसरों की लड़ाई की. चर्चा है कि गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से पहली बार हटाए जाने के बाद कुछ अफसरों ने फीडबैक दिया था कि आपको दीपक सिंघल ने हटवा दिया. तब प्रजापति मुलायम सिंह यादव के पास गए और बोले कि हमको दीपक सिंघल ने अखिलेश का कान भरके हटवा दिया.
चर्चा के मुताबिक इस बात से भड़के मुलायम ने अखिलेश को फोन करके सिंघल को हटाने के लिए कह दिया और गलत फीडबैक के कारण दीपक सिंघल पर गाज गिर गई. जानकारों की मानें तो यादव कुल के झगड़े के पल पल बनते बिगड़ते समीकरण पर नजर गड़ाए यूपी के बड़े अफसरों में एक दूसरे को शह मात देने का खतरनाक खेल चल रहा है जिसमें मीडिया का निहित स्वार्थों के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है. देखते रहिए, अगले कुछ दिनों में मीडिया वाले कैसी कैसी एकतरफा खबरें अफसरों को लेकर छापते दिखाते हैं.
लखनऊ से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.