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उत्तर प्रदेश

भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करने वाले आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह योगी राज में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे!

Surya Pratap Singh : सौ घंटे की क़ैद ….और उनकी आँखें बंद! अब तक 100 से अधिक घंटे हो गए, मेरे घर पर हमले को। न कोई गिरफ़्तारी और न कोई मेरे परिवार की माक़ूल सुरक्षा। एक अदद सिपाही दिया है, उसे अपने साथ बाहर ले जाऊँ, तो घर पर परिवार असुरक्षित. मैं अपने घर में क़ैद होकर रह गया हूँ। मैं पीठ दिखाकर मरने वाला कायर नहीं और न ही बिना लड़े पराजय स्वीकार करने वाला हूँ, लेकिन लोकतंत्र में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है.

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Surya Pratap Singh : सौ घंटे की क़ैद ….और उनकी आँखें बंद! अब तक 100 से अधिक घंटे हो गए, मेरे घर पर हमले को। न कोई गिरफ़्तारी और न कोई मेरे परिवार की माक़ूल सुरक्षा। एक अदद सिपाही दिया है, उसे अपने साथ बाहर ले जाऊँ, तो घर पर परिवार असुरक्षित. मैं अपने घर में क़ैद होकर रह गया हूँ। मैं पीठ दिखाकर मरने वाला कायर नहीं और न ही बिना लड़े पराजय स्वीकार करने वाला हूँ, लेकिन लोकतंत्र में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है.

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कितने अरमानों से बनाया था, इस सरकार को। लखनऊ में एक IAS अधिकारी, अनुराग तिवारी की हत्या होती है और फिर मुझ जैसे पूर्व IAS के घर पर बदमाशों द्वारा धावा बोला जाता है….व्यवस्था की नींद क्यों नहीं खुलती, कोई अपराधी क्यों नहीं पकड़ा जाता। प्रदेश में ताबड़तोड़ हत्याएँ/लूट/बलात्कार का दौर जारी है…. प्रदेश में आज अपराधी बेख़ौफ़…. लचर क़ानून व्यवस्था है। लखनऊ के SSP दीपक कुमार की ‘ख्याति’ पर से अभी मेरा विश्वास डिगा नहीं है, लेकिन जब CCTV में सब कुछ क़ैद है, तो कार्यवाही में इतना विलम्ब क्यों?

मेरे जैसे पूर्व आईएएस अधिकारी का यह कहना शायद आपको ग़ैर-ज़िम्मेदाराना लगे, लेकिन आप ही बताएँ कि क्या किया जाए? आप जैसे लाखों लोग/युवा मेरे साथ हैं…. क्या अब फिर सड़क पर उतरा जाए, धरना-प्रदर्शन किया जाए, अपने हाथ में हथियार उठा लिया जाए या फिर गुंडों के सामने आत्मसमर्पण कर प्रदेश ही छोड़ दिया जाए?

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यूपी कैडर के चर्चित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे सूर्य प्रताप सिंह की एफबी वॉल से.

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