वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय श्री वीरेन डंगवाल की कर्मभूमि रहे अमर उजाला बरेली में कुछ तो लोचा है। अलीगढ़, गाजियाबाद के बाद मुरादाबाद होते हुए बरेली आए संपादक विनीत सक्सेना के आने के बाद यहां अजीब सा माहौल है। दरअसल विनीत बरेली के ही रहने वाले हैं। वो यहां पहले दैनिक जागरण में क्राइम देखते थे। उसके बाद वो अमर उजाला में आए तो पवन सक्सेना पर कुर्सी उठाने के कारण काफी दिन साइड लाइन रहे। डाक में तैनाती के दौरान उनका विवाद डाक प्रभारी लक्ष्मण सिंह भंडारी से भी हुआ था।
अब जब से वो बरेली आए हैं हर कोई उनके व्यवहार को लेकर सहमा हुआ है। 15 साल से अधिक समय से बरेली में तैनात सीनियर सब एडिटर डा. पवन चंद्रा तो विनीत के व्यहार से सहम कर वीकली मीटिंग में ही रो पड़े थे। वहीं गौरव मिश्रा इतने सदमें में चले गए कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। विनीत के व्यवहार से नाराज होकर तीन महीने में राजीव शर्मा, संदीप मिश्रा, अमलेंदु त्रिपाठी, गौरव मिश्रा, सर्वेश कुमार, गजेंद्र सिंह जहां अमर उजाला से इस्तीफा दे चुके हैं वहीं डीएनई नीति्श मिश्रा ने अपना तबादला इलहाबाद करा लिया। मोहसिन पाशा गाजियाबाद तो मोहम्मद सिद्दीकी मुरादाबाद चले गए।
लक्ष्मण सिंह भंडारी से खुन्नस निकालने को विनीत ने उनकी बेटी रश्मि भंडारी को बर्खास्त ही कर दिया जबकि उसके काम से पुराने संपादक दिनेश जुआल और डेस्क इंचार्ज संतुष्ट थे। वीकली मीटिंग में गाली बकने और धमकाने वाले यह शायद अमर उजाला के अकेले संपादक होंगे। इतना ही नहीं विनीत ने छुट्टी लेकर उमरा करने गई सब एडीटर सबा जैदी का एक माह का वेतन भी रोक दिया। हालात यह हैं कि बरेली अमर उजाला में दो ही लोगों की खबरें छपती हैं। पहले ही विनीत के सजातीय होम्योपैथिक डाक्टर विकास वर्मा और दूसरे हैं 35 मुकदमें वाले हिस्ट्रीशीटर भाजपा विधायक पप्पू भरतौल। भाजपा में ही नहीं जिले में जो भी पप्पू भरतौल का विरोध करता है, अमर उजाला उसे टारगेट करके खबरें छापने लगता है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
ek peedit
March 15, 2018 at 10:11 am
खबर बिलकुल ये सही है। बरेली के सबसे बदनाम पत्रकार आरबी लाल विनीत सक्सेना के सबसे खास हैं। यह वो ही आरबी लाल है जिन्हें दैनिक जागरण से भ्रष्टाचार और अमर उजाला से मोबाइल चोरी करने के आरोप में हटाया गया था। अमर उजाला का कोई पत्रकार हो या शहर का कोई नेता, विनीत सक्सेना उससे तब ही बात करते हैं जब कमरे में आरबी लाल बैठे हों। आरबी लाल नहीं तो बात नहीं। अपने ससुरालिये अजीत शर्मा को बिजली विभाग, बीडीए और नगर निगम में ठेके दिलाने के लिए भी वो अमर उजाला का संपादक होने का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। आई नेक्सट में विज्ञापन का काम देखने वाले राहुल सक्सेना को बिरादरीवाद के कारण उन्होंने रिपोर्टर बना दिया तो बदनाम हाकर महेश पटेल को भी पत्रकार बना दिया है।