आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा पुरुषों की समस्याओं को विशेष रूप से देखने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरुष आयोग बनाये जाने हेतु दायर रिट याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने उनसे कहा कि वे अदालत को बताएं वे किस प्रकार महिला उत्पीडन और प्रताड़ना से पीड़ित हैं ताकि मामले की अग्रिम सुनवाई हो सके. जस्टिस संजय मिश्रा और जस्टिस बी के श्रीवास्तव की बेंच ने मामले को सुनने के बाद यह आदेश दिया.
याचिका में श्री ठाकुर ने कहा कि इस बात से कोई इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी समाज में पुरुषों की तुलना में औसतन महिलाओं की स्थिति कमजोर है और महिलाओं के विभिन्न प्रकार के गंभीर उत्पीडन की घटनाएँ हमेशा सामने आती रहती हैं. लेकिन इसके साथ यह भी सत्य है कि सामाजिक परिवर्तन के साथ आज पहले की तुलना में बड़ी संख्या में ऐसी महिलायें समाज में हैं जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक दृष्टि से मजबूत हैं. ऐसी कई सशक्त महिलाओं द्वारा अपने श्रेष्ठतर प्रभाव और स्थान और महिला-संदर्भित कानूनों का प्रयोग कर पुरुषों का उत्पीडन करने की भी बातें अब सामने आ रही हैं. अतः उन्होंने पुरुष-सम्बन्धी मामलों में पुरुषों की विशिष्ट समस्याओं की संवेदनशील अनुभूति और निराकरण के लिए पुरुष आयोग बनाए जाने हेतु याचिका दायर किया था.
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sanjay sharma
September 10, 2014 at 4:04 am
Why a Public Interest Litigation matter of Mens’ Commission taken to High Court as Miscellaneous Bench Matter by a seasoned PIL activist like Aitabh Thakur? Why Thakur moved High court without full fledged Home work?
This refers to two orders of High Court Lucknow bench. The first order passed is Case No. MISC. BENCH No. 8750 of 2014 [P.I.L.], Amitabh Thakur Vs. Union Of India Thru. Cabinet Secy. Govt. Of India & Anr. by bench of Justice Imtiyaz Murtaza & Justice Shri Narayan Shukla reads “The petitioner, who appears in person, submits that this petition is not in the nature of Public Interest Litigation. It is Miscellaneous Bench Matter.Lay before the Miscellaneous Bench presided over by Hon’ble Sanjay Misra,J. at 2 p.m.today.”
Subsequently on request of Amitabh Thakur, the P.I.L. matter was treated to be a Miscellaneous Bench matter and case was heard by bench of Justice Sanjay Misra and Justice Brijesh Kumar Srivastava-II. The order passed by bench reads “This writ petition has been listed before this Court under the order dated 08.09.2014. The petitioner who appears in person prays for adjournment since he would like to bring on record his grievance in light of prayer made in this writ petition.As prayed, the writ petition is adjourned.”
If Amitabh has moved High Court to get relief for his personal grievance only, then nobody, including me has any right to comment on what he is doing with the personal matter of his harassment by women but if he has moved the court as a Social & PIL activist with the pious intention of delivering a Mens’ Commission to help a larger section of Society ( He and his Social & PIL activist wife Nutan Thakur have been so quoted in various news features), then every affected person has a right to ask Amitabh Why a Public Interest Litigation matter of Mens’ Commission was taken to High Court as Miscellaneous Bench Matter by such a seasoned PIL activist like him and also Why Thakur moved High court without complete Home work.
Public interest matters, if taken to court without full-fledged preparations and knowledge and dropped by courts without any favorable orders, do irreparable loss to the society.PIL is not a child’s play at all. Anybody can file any number of PILs but it’s only the results of those PILs (for bringing changes of larger public interest to the society) that counts for society. Public Interest matters should not be raised just for the sake of raising them rather they should be raised with the aim to deliver something concrete to the society.
I don’t know how many of PILs by these PIL activists have truly been successful to deliver something concrete to the society? If anybody has the list, he should share it with me.
However right now,I am more concerned about this matter of Mens’ Commission only and wish Amitabh a success.