प्रसिद्ध न्यायविद और भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीआर कृष्णा अय्यर का गुरुवार की दोपहर को निधन हो गया। कृष्णा अय्यर 1970 के दशक में क़रीब सात साल तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे। वे सौ वर्ष के थे। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि वे गुर्दे और दिल की बीमारी के साथ ही न्यूमोनिया से भी पीड़ित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख जताते हुए उन्हें एक प्रबुद्ध दार्शनिक और सबसे बढ़कर ‘‘बेहतर इंसान’’ बताया।
जस्टिस अय्यर का जन्म 15 नवंबर 1914 को केरल में हुआ था। हाल ही में इन्होंने अपना 100वां जन्म दिन मनाया था। वे ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व वाली केरल की पहली कम्युनिस्ट सरकार में मंत्री भी रहे थे। मंत्री के रूप में उन्होंने केरल में 1950 के दशक में भूमि सुधार क़ानून लागू किए थे। उन्हें पहले हाई कोर्ट का न्यायाधीश और बाद में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इतिहास के कुछ ऐतिहासिक निर्णय दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत तक आम आदमी की पहुँच को सुलभ बनाया। उन्होने ही जस्टिस पीएन भगवती के साथ मिलकर जनहित याचिकाओं की शुरुआत की थी। उन्होंने विचाराधीन क़ैदियों के हित में ‘जेल नहीं ज़मानत ही नियम है’ का निर्णय दिया था।
वे अय्यर ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील ठुकरा दी थी, जो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लगाई थी। हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को खारिज कर दिया था और अपील भी स्वीकार न होने से वे सांसद नहीं रह सकी थीं।