गोरखपुर के गीताप्रेस प्रबंधन ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एक टीवी न्यूज चैनल में दिखाए गए समाचार ‘गीताप्रेस बंद होने के कगार पर’ भ्रामक व असत्य है। गीताप्रेस न तो बंद होने की स्थिति में है और न ही इसे बंद होने दिया जाएगा। प्रेस बंद नहीं हुआ है, केवल कर्मचारियों की हड़ताल के कारण काम बंद है। कर्मचारियों की उद्दंडता के कारण कुछ कर्मचारियों को निलंबित किए जाने से कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की हड़ताल का भी आशय यह नहीं है कि गीताप्रेस बंद कर दिया जाए। गीताप्रेस में किसी तरह की कोई आर्थिक समस्या नहीं है। प्रबंध तंत्र यह बताना चाहता है कि गीताप्रेस किसी तरह का कोई चंदा नहीं लेता है। प्रेस के नाम पर किसी को चंदा न दें। यदि कोई गीताप्रेस के नाम पर चंदा मांगता है तो वह ठगी करता है।
दुनिया को धर्म और अध्यात्म की रोशनी दिखाने वाला गीता प्रेस संकट में है। कारण है वेतन वृद्धि और सहायक प्रबंधक के साथ अभद्रता करने वाले 17 कर्मचारियों की वापसी की मांग को लेकर जारी कर्मचारी हड़ताल जिसका अंत नहीं दिख रहा और जिसके कारण आठ अगस्त से छपाई बंद है। गीता प्रेस का जो परिसर सद्भाव और सहकार के लिए जाना जाता था, आज वहां अशांति है। धर्म और अध्यात्म में रुचि रखने वाले चिंतित हैं। बुद्धिजीवी सोशल मीडिया पर गीता प्रेस बचाने का अभियान चला रहे हैं, पाठक दुखी हैं पर धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन का रिकार्ड बनाने वाला गीता प्रेस बर्बादी की ओर है। 1923 में स्थापित गीता प्रेस से अब तक 55 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 11 भाषाओं में गीता प्रकाशित होती है। प्रेस के 92 साल के इतिहास में कर्मचारी आंदोलन की यह पहली घटना है।
गीता प्रेस में कुल 525 कर्मचारी हैं, जिनमें 200 स्थायी हैं जबकि 325 ठेके पर काम करते हैं। समझौते के तहत प्रबंधन द्वारा पिछली जुलाई से तीन स्तर के कर्मचारियों-अकुशल, अद्र्धकुशल व कुशल को क्रमश: 600, 750 व 900 रुपये की वेतन वृद्धि दी जानी थी। प्रबंधन ने इस शर्त पर वेतन वृद्धि की हामी भरी कि कर्मचारी पिछले सभी विवाद समाप्त कर दें और पांच वर्ष तक कोई नई मांग न रखें। इस शर्त के बाद कर्मचारियों ने सात अगस्त को सहायक प्रबंधक मेघ सिंह चौहान को धक्के देकर गेट से बाहर कर दिया। दूसरे दिन प्रबंधन ने 12 स्थायी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया और पांच संविदा कर्मचारियों को निकाल दिया। तब से कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
गीताप्रेस हमारी रोजी-रोटी है। हम क्यों चाहेंगे गीताप्रेस बंद हो जाए। दोष प्रबंधतंत्र का है। वे वेतन वृद्धि एवं 12 कर्मचारियों के अलावा अस्थायी कहकर निकाले गए पांच कर्मचारियों को वापस लें, हम काम करने को तैयार हैं। -रमन श्रीवास्तव, अध्यक्ष, गीताप्रेस कर्मचारी संघ
सहायक प्रबंधक के साथ कर्मचारियों ने अभद्रता की। इस वजह से उन्हें निलंबित किया गया। आरोपों की जांच की जाएगी। दोषमुक्त होने पर उन्हें बहाल कर दिया जाएगा, लेकिन कर्मचारी अभद्रता भी करें और कार्रवाई हो तो आंदोलन करके दबाव बनाएं, यह जायज नहीं। -ईश्वर प्रसाद पटवारी, प्रबंधक
फेसबुक और ट्विटर पर ‘सेव गीता प्रेस’ हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। गीता प्रेस से जुड़ी आस्था के चलते बड़ी संख्या में लोगों ने आर्थिक सहयोग की पेशकश की है। गीता प्रेस की किताबें खरीदकर उन्हें उपहार स्वरूप देने का आग्रह है। आइएएस संजय दीक्षित ने ट्विटर पर मुहिम छेड़ रखी है। कई लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सांसद योगी आदित्यनाथ और विधायक डा.आरएमडी अग्रवाल को ट्वीट कर गीता प्रेस बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
दैनिक जागरण में प्रकाशित संजय मिश्र की रिपोर्ट.