रीवा सिंह-
क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कोका कोला की बोतलें किनारे कर दी, पानी की बोतल उठाकर कहा – पानी पीयो। कोका कोला के शेयर्स का कुछ ही घंटों में यह हश्र हुआ कि 293 अरब रुपयों की चपत लग गयी।
हम सबको पता है कि सॉफ़्ट ड्रिंक्स, सोडा, एल्कोहल सभी हानिकारक हैं। यहाँ तक कि रियल के जूस में भी सिर्फ़ फ़्लेवर्स होते हैं रियल कुछ नहीं होता। यह बात ज़ाहिर है भारतीय सेलेब्स भी जानते हैं और यह भी जानते हैं कि उनके फ़ैंस उनके नाम पर तेज़ाब भी गटक जाएंगे तो क्या उनकी ज़िम्मेदारी और जवाबदेही नहीं बनती?
यहाँ सेलेब्स की भरमार है जो कुछ तूफ़ानी करने के लिये, डर को दूर भगाकर आगे जीतने के लिये कोल्ड ड्रिंक्स पीते हैं। आमिर ख़ान ने बहुत पहले ही कह दिया था कि ठण्डा मतलब कोका कोला। अक्षय कुमार ख़ुद बेहतरीन रुटीन फ़ॉलो करते हैं लेकिन एक बोतल थम्स अप के लिये आग के गोले में कूदते हैं, पानी में छलांग लगाते हैं और मगरमच्छ के बगल से उसे उठा लाते हैं, रितिक भी कम नहीं हैं, कम तो ख़ैर कोई नहीं है। सलमान ख़ान को बीइंग ह्युमन भी बनना है और कोल्ड ड्रिंक भी बेचनी है। संजय दत्त ऑल सीज़ंस व्हिस्की के पीछे भागते हुए रैम्प वॉक कर लेते हैं।
इन सभी लोगों से विज्ञापन के इतर बात की जाए तो कोई भी व्यक्ति किसी ड्रिंक को एनडोर्स नहीं करेगा, सब बतायेंगे कि ग़लत है, बुरा है लेकिन इतनी रीढ़ किसी में नहीं कि करोड़ों का प्रोजेक्ट अस्वीकार कर दें।
क्रिस्टियानो ने जो किया वह बेहद मामूली बात है लेकिन सार्वजनिक स्थल पर एक महान फ़ुटबॉल खिलाड़ी द्वारा ऐसा किया जाना क़ाबिल-ए-तारीफ़ इसलिए है कि उन्हें पानी पीने को कहने के लिये एक रुपये भी नहीं मिलने थे, कोक की बोतल हाथ में लेकर दो बार घुमा देते तो करोड़ों मिल जाते लेकिन उन्होंने सब दरकिनार किया और सही को चुना।
सही काम करने के लिये आपको समूह की, मैनेजमेंट-पीआर टीम की ज़रूरत नहीं होती, ज़मीर ज़िंदा हो तो आप अकेले भी पर्याप्त हैं।
गिरीश मालवीय-
एक तरफ भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार धोनी है सौरव गांगुली है दूसरी तरफ यूरोपियन फुटबॉल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो है।
कल पुर्तगाल Vs हंगरी के मैच था मैच के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने प्रेसवार्ता को शुरू करने के दौरान अपने सामने रखीं कोकाकोला की दोनों बोतलें एक तरफ हटा दिया……ओर टेबल के नीचे रखी पानी की बोतल को हाथो से ऊपर उठाकर पत्रकारों को दिखाते हुए कहा – “आगुवा….. यानी पानी!
उनका इरादा साफ दिख रहा था कि वह कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स की तुलना में साधारण पानी पीने के पक्ष में खड़े थे। इस घटना के बाद से कोकाकोला के शेयर धड़ाधड़ गिरना शुरू हो गए. ओर कोकाकोला को चार बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
अब आते हैं धोनी ओर सौरव गांगुली पर यह दोनो क्रिकेट के ड्रीम 11 ओर My11circle जैसे ऑनलाइन एप्प के नाम पर खुलेआम ऑनलाइन जुए को प्रमोट करते हैं, इन एप्प में आपको ऑनलाइन टीम बनानी होती है। आप फ्री एंट्री या पैसे वाले कॉन्टेस्ट में भाग ले सकते हैं। वैसे तो पैसे लगाकर दांव लगाना सट्टेबाजी माना जाता है पर टेक्नोलॉजी आधारित होने से यह सट्टेबाजी की मान्य परिभाषा से बाहर हो जाता है, ऑनलाइन स्पोट्स गेम Dream 11 पर पांच राज्यों में रोक है। इसकी कानूनी वैधता पर कोर्ट के अलग-अलग फैसले आ चुके हैं। कई देशों में इसे जुए के एक प्रकार के तौर पर देखा जाता है। महेंद्र सिंह धोनी इस ऑनलाइन गेम के ब्रांड एंबैसेडर हैं।
यानी एक खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो है जो कोकाकोला जैसी जानीमानी कंपनी के खिलाफ जाकर अपनी बात कहता है और एक तरफ यह बिना रीढ़ के भारतीय सितारे है जो लोगो को सही बात की तरफ डायवर्ट न कर गलत प्रेक्टिस की तरफ डायवर्ट कर रहे हैं।
सौमित्र रॉय-
फुटबॉल के सुपरस्टार क्रिश्चयानो रोनाल्डो की सिर्फ एक हरकत ने कोकाकोला से 4 बिलियन डॉलर (293 अरब रुपए) का बाजार छीन लिया है।
भारत के भूखे-नंगे समाज से निकलकर अपनी प्रतिभा के दम पर शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने वाले तथाकथित ‘भगवान’ का ओहदा प्राप्त हस्तियों में इतनी हिम्मत कहां।
शराब से लेकर पान मसाला तक, सारे खतरनाक ब्रांड्स के विज्ञापन यही करते हैं। पेप्सी और कोका कोला का भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में 80 फीसदी का कब्जा है।
बच्चे पानी कम, पेप्सी ज्यादा पीते हैं और भरी जवानी में डायबिटीज, गैस्ट्रिक अल्सर और मोटापे का शिकार हो रहे हैं।
क्योंकि भारत में जो बिकता है वही पानी है।
अशोक पांडेय-
बीते सोमवार को यानी परसों एक जबरदस्त घटना घटी. फुटबॉल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने यूरो चैम्पियनशिप के एक मैच के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में अपने सामने रखीं कोकाकोला की दोनों बोतलें एक तरफ हटा दीं. उसके बाद उन्होंने वहीं रखी पानी की बोतल को उठाकर पत्रकारों को दिखाते हुए कहा – “आगुवा!” यानी पानी! दस सेकेंडों में उन्होंने जता दिया कि सॉफ्ट ड्रिंक्स को लेकर उनका क्या नजरिया है.
रोनाल्डो की इस एक भंगिमा ने यह किया कि कोकाकोला के शेयर गिरना शुरू हो गए. इस घटना का ऐसा जबरदस्त प्रभाव पड़ा कि कुछ ही घंटों के भीतर कम्पनी को चार बिलियन डॉलर यानी करीब 300 अरब रुपयों का नुकसान हो गया. यह गिरावट अब भी जारी है.
खिलाड़ी में रीढ़ की हड्डी साबुत बची हो तो वह अकेला भी दुनिया के सबसे मजबूत दुर्गों में सेंध लगा सकता है.
मुझे उम्मीद है लोग अभी पुलेला गोपीचंद को नहीं भूले होंगे.
सत्तर और अस्सी के दशकों में विश्व के नम्बर एक खिलाड़ी बन गए प्रकाश पादुकोण के रिटायर होने के बाद देश को सैयद मोदी से बहुत उम्मीदें थीं पर 1988 में लखनऊ में उनकी हत्या हो गई. इस त्रासद घटना के कोई दस सालों तक भारतीय बैडमिंटन के दिन कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं रहे. फिर आन्ध्र प्रदेश के नलगोंडा में जन्मा एक बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी इस खालीपन में किसी सनसनी की तरह उभर रहा था. पुलेला गोपीचंद नाम के एक खिलाड़ी की शैली में कई विशेषज्ञों को प्रकाश पादुकोण की झलक दिखाई देती थी, लेकिन 1995 में पुणे में चल रही एक प्रतियोगिता में डबल्स के एक मैच के दौरान गोपीचन्द के घुटने में घातक चोट लगी और उनका करिअर करीब-करीब समाप्त हो गया.
एक सामान्य खिलाड़ी और एक बडे़ खिलाड़ी में क्या फर्क होता है, यह अगले एक साल में गोपीचंद ने कर दिखाया. चोट से उबरकर उन्होंने न केवल विश्व बैडमिंटन में अपनी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार किया बल्कि 2001 में चीन के चेन हांग को हराकर ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीत ली. इसके कुछ माह पहले वे वर्ल्ड नंबर वन को परास्त कर चुके थे.
जैसा कि बाज़ार के इस युग में होना था, तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों ने ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने के बाद गोपीचंद को नोटिस किया. कोकाकोला ने विज्ञापन के लिए उनसे संपर्क किया और बहुत बड़ी रकम देने का प्रस्ताव किया. लेकिन उस समय तक अपने माता-पिता के साथ किराए के घर में रह रहे पुलेला गोपीचंद ने साफ-साफ मना कर दिया. आमतौर पर बहुत शांत रहने वाले इस खिलाड़ी ने इस बात को कोई तूल नहीं दी, न ही किसी तरह की पब्लिसिटी की. मीडिया तक को इस बात का पता दूसरे स्त्रोतों से लगा.
एक इंटरव्यू में उनसे इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा, “चूंकि मैं खुद सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता, मैं नहीं चाहूंगा कि कोई दूसरा बच्चा मेरी वजह से ऐसा करे. मैं कोई चिकित्सक नहीं हूं, लेकिन मुझे पता है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और मैंने अपने मैनेजर को इस बारे में साफ-साफ कह रखा है कि मैं किसी भी ऐसे प्रॉडक्ट के साथ नहीं जुड़ूंगा, चाहे वह सॉफ्ट ड्रिंक हो या सिगरेट या शराब.”
पैसे को लेकर भी उनका दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट था: “मेरे लिए ज़्यादा महत्व उसूलों का है और मैं किसी भी कीमत पर अपने उसूलों को पैसे के तराज़ू पर नहीं तोल सकता.”
क्रिस्टियानो रोनाल्डो के कारनामे ने मुझे न केवल पुलेला गोपीचंद की बल्कि पी. टी. उषा पर लिखी वीरेन डंगवाल की कविता की भी याद दिलाई. ये सारे नाम आने वाले वक्तों में जरूरी रोशनी का काम करेंगे. इन सब को सलाम कीजिए. –
काली तरुण हिरनी
अपनी लम्बी चपल टांगों पर
उड़ती है मेरे ग़रीब देश की बेटी
आंखों की चमक में जीवित है अभी
भूख को पहचानने वाली
विनम्रता
इसीलिए चेहरे पर नहीं है
सुनील गावस्कर की-सी छटा
मत बैठना पी टी ऊषा
इनाम में मिली उस मारुति कार पर
मन में भी इतराते हुए
बल्कि हवाई जहाज में जाओ
तो पैर भी रख लेना गद्दी पर
खाते हुए मुँह से चपचप की आवाज़ होती है?
कोई ग़म नहीं
वे जो मानते हैं बेआवाज़ जबड़े को सभ्यता
दुनिया के सबसे खतरनाक खाऊ लोग हैं.