Saleem Akhter Siddiqui : मेरठ में धर्म परिवर्तन और गैंगरेप की घटना को महज पीड़िता के बयानों और कुछ संगठनों के बवाल के आधार पर ऐसा माहौल बना बना दिया गया है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि सच क्या है? पीड़िता कह रही है कि उसे दुबई भेजने की तैयारी थी। क्या दुबई जाना अपने देश की तरह महज एक शहर से दूसरे शहर जाना भर है? क्या पीड़िता के पास पासपोर्ट है? यदि नहीं है, तो क्या उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया हुआ है? 4 अगस्त के अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, पीड़िता की बहन कह रही है कि उसकी बहन 23 जुलाई को यह कहकर गई थी कि वह कॉलेज की ओर से सहेलियों के साथ टूर पर जा रही है। शाम को लौट आऊंगी।
शाम को जब वह नहीं आई तो उसे फोन किया गया, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ, लेकिन उसकी तरफ से मैसेज आया कि दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में हूं, अभी नहीं लौटूंगी। 24 जुलाई को उसने कहा कि पेट की आंत फट गई है, साथ आए लोगों ने आप्रेशन करा दिया है। हालत सही होने पर लौट आऊंगी। 25 जुलाई को उसे फोन किया गया तो उसने बताया कि वह मथुरा में है। पीड़िता ने छोटी बहन को यह भी हिदायत दी कि मां से आपरेशन में बारे में मत बताना। 27 जुलाई को उसने हापुड़ से कहा कि वह घर आ रही है। 29 जुलाई को उसका अपहरण हो जाता है। यह तो पता लगाना ही चाहिए कि 23 जुलाई से 27 जुलाई तक पीड़ित युवती कहां और किसके साथ थी? मोबाइल फोन से पता चल सकता है कि वह झूठ बोल रही है या सच? युवती से यह भी पूछा जाना चाहिए कि उसका आपरेशन किस अस्पताल में हुआ? अस्तपाल में कोई तो रिकॉर्ड होगा। पहले कहा जा रहा था कि उसकी किडनी निकाली गई है, लेकिन जांच में उसकी दोनों किडनियां सही सलामत हैं। अब यूट्रस निकाले जाने की आशंका जताई जा रही है। बहरहाल, मामले की सही तरीके से जांच हो और जो भी दोषी पाए जाएं, उन्हें सख्त सजा मिले।
मेरठ के पत्रकार सलीम अख्तर सिद्दीकी के फेसबुक वॉल से.