सौमित्र रॉय-
थोक महंगाई 30 साल में सबसे ज़्यादा। नेताओं के लिए फूल माला और ढोल भी महंगे हो चुके।
ये ज़मीनी हकीकत है। अब चम्पादकों का कमाल देखें। देश महंगाईजन्य मंदी में डूबा है। लोगों के पास खर्च के लिए पैसा नहीं है।
लेकिन नौकरियों की हवाबाज़ी मोदी सरकार और चम्पादकों की ओर से जारी है।
देश इसी हवाबाज़ी की भारी कीमत चुका रहा है। केंद्र और राज्यों में सरकार बाबू चला रहे हैं। नेता सिर्फ़ नफ़रत का कीचड़ उड़ेल रहे हैं।
कल PMO से ट्वीट आया। ज्ञान मिला कि मीडिया को लोक शिक्षा और सरकार की कमियों को उजागर करने के साथ सकारात्मक खबरों को भी सामने लाना चाहिए।
आंखों में हरा चश्मा लगाए चम्पादक, “सरकारात्मक” पक्षकार ये काम बखूबी कर रहे हैं। इसलिए, क्योंकि 8 साल में मोदी सरकार ने एक काम भी ऐसा नहीं किया है, जो सकारात्मक हो।
जिन्हें सरकार, बीजेपी IT सेल, आरएसएस या विपक्षी दल से पैसा मिलता हो, उनके लिए रोज़ अच्छे दिन हैं।
मुझे पैसा नहीं मिलता। मैं देश की 80 करोड़ पीड़ित अवाम के साथ खड़ा हूं।
मेरे जैसे कुछ लोग, जो इस देश को तबाह होते देख पा रहे हैं, कभी सरकारात्मक नहीं हो सकते।
मोदी सरकार और देश में लोकतंत्र के चारों स्तंभों ने भारत को इस कदर चौपट किया है कि इसे संभाल पाना कांग्रेस और विपक्ष के भी बस में नहीं है।
कुछ हफ़्ते पहले मैंने आगाह किया था कि जुलाई से भारत ठीक श्रीलंका की तरह दिवालियेपन की तरफ़ फिसलेगा।
शुरुआत हो चुकी है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 78.17 पर फिसला है। आज रात जब आप नींद में होंगे, अमेरिकी संघीय बैंक की बढ़ी हुई ब्याज़ दरें कल रुपये को और लुढ़काकर 80 के करीब ले जाएंगी।
पेट्रोल पम्प सूख रहे हैं। सरकार ने महंगाई के डर से तेल के दाम रोक रखे हैं। लेकिन कब तक?
आज अगर सरकार तेल कंपनियों के हाथ खोल दे तो तेल के दाम 150₹ पर होंगे। उस पर भी राशनिंग मुमकिन है।
जुलाई से बिजली की मांग और बढ़ेगी, क्योंकि खरीफ़ का सीजन सिर पर है और बारिश लापता है। मोमबत्तियां तैयार रखें।
सरकार खबरें दबवा रही है। लेकिन कब तक?
जून बीतने तो दीजिए।