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साहित्य

अभय कुमार दुबे ने बरसों की मेहनत से संघ पर मोटा ग्रंथ लिखा

Abhishek Srivastava : अभय कुमार दुबे ने बरसों की मेहनत से इतना मोटा ग्रंथ लिखा संघ पर। खुद ही लिखा कि इसकी शैली विमर्श-नवीसी की है। फिर डिसक्लेमर भी दिया कि इसे लिखने में उन्होंने जोखिम उठाया है कि कहीं उन्हें दूसरे पाले का आदमी न ठहरा दिया जाए। फिर खुद को ही आश्वस्त किया कि वे उन लोगों को मासूम समझ कर नज़रअंदाज कर देंगे। वाणी प्रकाशन ने इतना बड़ा आयोजन भी करवा दिया।

हुआ क्या? राकेश सिन्हा के अलावा किसी ने भी उनके ग्रंथ को गंभीरता से नहीं लिया। सोपान जोशी ने वाया अकबर इलाहाबादी कह दिया कि अपन ग्रेजुएट ही ठीक हैं। अपर्णा वैदिक ने दुबेजी की पोज़ीशन पर सवाल उठा दिया कि पहले ये बताएं कहां खड़े होकर नवीसी कर रहे हैं। सबसे ज्यादा त्रासद रहा रवीश कुमार का पड़ोसी धर्म- जिन्होंने बाकायदे यह बताते हुए कि दुबेजी उनके पड़ोसी हैं और उन्होंने महज 114 पन्ने पढ़े हैं, अपनी वीडियो समीक्षा में पूरा छीछालेदर कर डाला। लगा कि गाल पकड़ के अले… ले… ले… धुत्त कह दिए हों, पंकज कपूर टाइप।

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अब, या तो बाकी सब मू्र्ख हैं जो अभय दुबे की विद्वता और नवीसी को समझ ही नहीं पाए या फिर अकेले राकेश सिन्हा वास्तव में दुबेजी के जोड़ के विद्वान हैं। इसके अलावा तीसरा विकल्प मुझे नहीं सूझ रहा। किताब मैं पूरी पढ़ चुका हूं इसलिए अपनी राय नहीं दूंगा।

पत्रकार और आलोचक अभिषेक श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.

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कुछ टिप्पणियां पढ़ें-

Madan Kashyap मैं इस पुस्तक को पढ़ने के अभी समय नहीं निकाल सकूंगा और ख़रीदने के लिए धन भी नहीं।सो अपनी राय दे दो तो कृपा होगी।अपना काम चल जाएगा।

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Abhishek Srivastava काम बिना पढ़े भी चल जाएगा। काम को प्रभावित करे, वैसी किताब नहीं है।

रमेश तिवारी तो फिर झूठे एतना टाइम खराब काहे कर दिए भाई सबका 😅😅

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Abhishek Srivastava रमेश तिवारी हम क्या जानें आप लोग बिजी हैं

Satyendra PS वैसे आप वाली किताब अभी केवल छूकर देखी है। पढ़ी नहीं। सुन रहे हैं कि ठीके लिखे हैं। उदय सर अभी परसों बड़ी तारीफ कर रहे थे। बता रहे हैं कि वो दो बार पढ़ गए।

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Swami Vyalok लास्ट लाइन में सार है। तुम वैसे भी अलूचक थोड़े न हो।

Shams Ur Rehman Alavi Raay to de hi dijiye…ek baqaaida review

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Abhishek Srivastava आजकल हम राय देने से बचते हैं। मौसम खराब है।

Shailesh Yadav किताब का नाम क्या है

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Abhishek Srivastava हिन्दू एकता बनाम ज्ञान की राजनीति

शैलेश ‘सुरेश’ शर्मा आपने राय ना देकर भी अपनी राय दे ही दिया भैया…

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Satyendra PS आप गजबै रायता फैलाते हैं। सअब कुछ लिखकर कहेंगे कि मैं कुछ नहीं कहूंगा 😲

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