कन्हैया शुक्ला-
पूरे देश की मीडिया आपको चीख–चीख के यूक्रेन में हो रहे हवाई हमले और वहां के लोगों के दर्द को दिखा रही है पर अपने ही देश के छत्तीसगढ़ राज्य के इन बेबस आदिवासियों की आवाज़ को कोई नहीं दिखायेगा .. क्योंकि टीआरपी शायद यहां न मिले क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार के विज्ञापनों ने इनका मुँह बंद कर रखा है… चूँकि ये अपने देश के लोगों की समस्या है तो इसे दिखाने में हो सकता है सरकारी विज्ञापन भी काट लिया जाए ..तो इतना नुकसान कैसे देश की मीडिया अपना करवा सकती है…
छत्तीसगढ़ के जो पत्रकार बीजेपी शासन में आदिवासियों के हितैषी नजर आते थे वो अब कांग्रेस के सलाहकार बने बैठे हैं, उनको भी अब पत्रकारिता और समाज के दर्द को आंकने का समय नहीं है ..क्योंकि सत्ता का सुख और पद की हनक पर आंच न आ जाए ..
बस्तर के आदिवासियों ने आरोप लगाया है छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस प्रशासन पर कि उनके गांव में ड्रोन से बम ब्लास्ट करके हवाई हमला किया जा रहा है.. इस हमले के अवशेष का फ़ोटो सहित वीडियो बना के आदिवासी समाज लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है पर सत्ता के नशे में धुत्त सरकार आदिवासियों के इस विरोध को नज़र अंदाज़ कर रही है ..
कानून में अगर अपने देश में इस तरह का हवाई हमला होता है तो वो गृहयुद्ध के श्रेणी में आता है.. जो कि कोई छोटी घटना नहीं है इस तरह की घटना के बाद केंद्र सरकार बड़ा कदम उठा सकती है ..उधर इस मामले में पुलिस प्रशासन और सरकार के लोग हवाई हमले की बात गलत और निराधार बता रहे हैं… पर आदिवासी जो सुबूत दिखा रहे हैं उसकी सरकार जाँच क्यों नहीं करवा रही है… ड्रोन से हमले के अवशेष कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं…
पर सवाल ये है कि अगर ये ड्रोन से हमला नक्सली कर रहे हैं तो वो गांव के ऊपर इस तरह से क्यों करेंगे ..? और अगर ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी माओवादियों के पास है तो ये कितना खतरनाक साबित हो सकता है सुरक्षा बलों के लिए जिनके कैंप वहां पर हैं ..? आदिवासियों और ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह से तो बीजेपी की पिछली 15 साल की सरकार में नही हुआ जो कांग्रेस की सरकार में हो रहा है ..बस्तर में हजारों की संख्या में ग्रामीण एकत्र हो कर इस तरह के हमलों का विरोध कर रहे हैं पर लगता है की राजनीतिक पार्टियां सिर्फ चुनाव के समय ही इनके लिए वादों का झोला लेके इनके बीच जाती है और ढेरों सपने इनको दिखा देती हैं पर असल में जब इनको अपने चुने हुए सरकार से मदद की ज़रूरत पड़ती है तो इनके हक़ में सिर्फ बेबसी ही नज़र आती है..
बस्तर में जगदलपुर को अगर छोड़ दें तो सभी विधानसभाओं में आदिवासी नेता ही काबिज हैं..इन दिनों बस्तर के जंगलों से ग्रामीण बड़ी तेजी से कांग्रेस सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं….छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही बस्तर में आदिवासियों का सिलगेर आंदोलन शुरू हो गया था जो आज तक जारी है… इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी मांग को लेके कई आदिवासी अपना जान गवां चुके हैं ..वहीं छत्तीसगढ़ के हसदेव में आदिवासियों का लगतार विरोध इस समय सुर्खियों में बना हुआ है ..
देखें संबंधित वीडियो- https://fb.watch/cJM5KdrXBU/
बस्तर में ग्रामीण लगातार फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग पर अड़े हैं..ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार आने से पहले सीएम भूपेश बघेल समेत मंत्री कवासी लखमा ने बस्तर में स्थापित कैम्प को लेके कई वादे किए थे परंतु उस पर कोई अमल नही किया गया..और अब आरोप है की बीजापुर और सुकमा के सरहद पर बसे गांवों के पास माओवादियों पर हमले के नाम से हवाई हमले किये जा रहे है जिससे ग्रामीण भयभीत है..इन हवाई हमलों के बाद पुलिस ने इसे माओवादियों के प्रोपेगेंडा बताया है..आखिर माओवादियों के पास ड्रोन और आधुनिक तकनीकी के वो बम कहाँ से आये जो हवाई हमलों में उपयोग किये जाते है..दावे चाहे जो हो पर आदिवासियों की पीड़ा और उनका भय बेहद दयनीय है..
बस्तर में आदिवासियों के दम पर सरकार में आने वाले आदिवासी नेता अब इनकी सुध लेने को तैयार नही है..परिणामस्वरूप अब बस्तर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ बीहड़ो से बड़े स्तर पर आवाज बुलन्द हो रही है ..हजारों ग्रामीण बस्तर के नेताओं समेत कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ आंदोलन पर उतर आए है..कांग्रेस सरकार के वादों को याद दिलाकर चुनाव बहिस्कार की बातें कर रहे है..चेतावनी दे रहे है कि अगले चुनाव में कोई भी नेता उनके इलाके में प्रवेश के बारे में बिल्कुल भी न सोचें..वरना उन्हें बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा..
बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा की ये फेसबुक पोस्ट पढ़िए –
कन्हैया लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में सीनियर रिपोर्टर के बतौर कार्यरत रहे हैं. वे आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ हैं. वे इन दिनों भड़ास4मीडिया डॉट कॉम में मैनेजिंग एडिटर के रूप में सेवारत हैं. कन्हैया से संपर्क उनके वाट्सअप नम्बर 88199 38883 के ज़रिए किया जा सकता है.