
अजित अंजुम-
मुझे सोशल मीडिया पर गाली देने वाले दो ही तरह के लोग हैं .
पहला – कट्टर मोदी भक्त
दूसरा – मुसलमानों से नफ़रत करने वाला
दोनों तरह के लोगों का DNA एक ही है .
ये सब सु चौधरी , अ गोस्वामी , अ देवगण , च चोपड़ा चाइप के पादुकापूजक और चाटूकार पत्रकारों को देखते हैं . सुनते हैं . फिर मुझे पत्रकारिता सिखाने आ जाते हैं .
वसूली में जेल गया आदमी इनका आदर्श है . मोदी , शाह और योगी के लिए ढोल-मजीरे बजाते हुए सुबह -शाम चैनलों पर भजन आरती करने वाले ही इनके लिए पत्रकार हैं .
देश मतलब -मोदी . संविधान मतलब- मोदी . ऐसे लोगों को मुझे देख-सुनकर पेट में मरोड़ उठता है . कब्जियत हो जाती है . फिर यहाँ उलटी -दस्त करने आ जाते हैं .
आते रहिए .
मैं यहाँ क्या लिखूँ , क्या न लिखूँ , मेरी मर्ज़ी . आप पढ़िए . कुढ़िए और मन हल्का करके जाइए . सोने से पहले एक ग्लास पानी जरुर पी लीजिए .
कुछ अंधभक्त, कुछ परमभक्त और कुछ चरमभक्त टाइप के नफरती लोग मेरे पेज पर सिर्फ गाली देने या उटपटांग लिखने के लिए आते हैं . उल्टी करके चले जाते हैं .
उन सबसे यही कहना है कि यूं ही आते रहिए . आपके माता पिता ने जो संस्कार दिए हैं ,उसपर नफरत का लेप चढ़ गया है . क्या पता आपकी परवरिश भी ऐसे ही माहौल में हुई हो . लिहाजा आपका कोई कसूर नहीं है . मेरी सहानुभूति आपके साथ है . लगे रहिए .
और हां , मेरी ज्यादा चिंता मत करिए .मैं जिंदगी के सबसे आज़ाद दौर से गुजर रहा हूं . किसी भी तरह के नियंत्रण से परे . अपनी मर्जी का मालिक . वो सब कुछ छोड़कर निकला हूँ , जो पाने की किसी भी तमन्ना होती है . आज वो सब मिला है , जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था . लाखों लोगों का प्यार , स्नेह , आशीर्वाद और बहुत कुछ . वो सब मिला है , जो किसी का सपना हो सकता है . तो आपकी नफ़रत और गालियाँ मुझे ताक़त ही देती है . मेरे भीतर ज़िद और जुनून का संचार करती है . एक तरफ़ आप जैसे नफरती और गालीबाज हैं , दूसरी तरफ़ मोहब्बत करने वाले लोगों की बहुत बड़ी जमात है . इसलिए मेरी सेहत पर आपकी अश्लील टिप्पणी का कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता .
मैं मानकर चलता हूँ कि हे प्रभु , इन्हें माफ़ कर देना . ये नफ़रत में डूबे हुए लोग हैं , जिन्हें इंसानियत से कोई मतलब नहीं . देश के संविधान में जिनकी कोई आस्था नहीं . जो देश के सत्ताधीश की भक्ति को भगवान की भक्ति से कम नहीं मानते .
तो हे गालीबाजों , अपना काम यूँ करते रहो ताकि मुझ जैसों को ऊर्जा मिलती रहे .
मैं देश – प्रदेश और आस – पास के परिवेश में घुलती नफरत से कभी – कभी चिंतित जरूर होता हूं लेकिन हौसले इतने बुलंद हैं कि आप जैसे लाखों लोग पीछे पड़ जाएं तो भी सीधा ही खड़ा मिलूंगा . जय हिंद!
जाने माने पत्रकार अजित अंजुम की एफबी वॉल से.