Abhishek Upadhyay : आज अनुराग का जन्मदिन है। सुबह से सोच रहा था, कि अब फोन मिलाऊं। अच्छा नहा लूं। फिर मिलाता हूं। पूजा रह गई है। वो करके तफ्सील से बात करूंगा। जब तक मोबाइल हाथ में उठाया, 9.45 हो चुके थे। टीवी चल रही थी। अब तक लखनऊ में एक आईएएस की मौत की खबर ब्रेकिंग न्यूज बनकर चलना शुरू हो चुकी थी। मैं पागलों की तरह चैनल बदल रहा था। गलत खबरें भी चल जाती हैं, कभी-कभी। मगर हर चैनल पर वही खबर। कर्नाटक काडर का आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी।
मेरा बचपन का दोस्त। मेरे ही चैनल पर उसके न होने की खबर। हम दोनो का जन्मदिन एक दिन के फासले पर होता है। कुछ दिन पहले ही बात हुई थी। आईएएस एकेडमी मसूरी में था। मुझसे बोला कि 16 मई को तुझे फोन करूंगा और कमीने 17 को तुम याद कर लेना। इतनी प्यार भरी चासनी में घोलकर वो “कमीने” बोलता था कि लगता था इस एक लफ्ज के बगैर ये दोस्ती ही अधूरी है। 16 को उसका फोन नही आया। 17 को मैं फोन कर सकूं, इसकी खातिर बहुत कम वक्त दिया उसने। अभी पूरा दिन पड़ा है और मैं हाथों में मोबाइल लिए उसका नंबर देखे जा रहा हूं। ये फोन अब किसको करूं?
कर्नाटक में बीदर जिले का डीसी (डिप्टी कमिश्नर)/कलेक्टर था अनुराग। 36 साल के इस युवा आईएएस ने सूखे से बुरी तरह प्रभावित बीदर की तस्वीर बदलकर रख दी थी। कुएं/तालाब/बावड़ी की सफाई से लेकर टैकरों से पानी पहुंचाने तक, इस लड़के ने बीदर को उम्मीद की नई शक्ल दे दी थी। पूरे कर्नाटक में बीदर मॉडल की चर्चा थी। अनुराग अक्सर फोन करता और कहता, “कमीने, ये जो सेंसेशन जर्नलिज्म करते रहते हो, कभी इधर भी आओ, देखो जमीन पर कितना अच्छा काम रहो रहा है।”
मेरे एक से जवाब, “बहुत जल्दी आउंगा मेरे भाई, बहुत सी बातें करनी है तुझसे” को सुनकर वो पहले 20-25 प्यार भरी गालियां बकता फिर बोलता, “सुन बे, माल्या के बारे में बड़ी टाप की खबर है यहां, पर साले पहले आना होगा, फिर बताउंगा।” हम दोनो देर तक हंसते रहते। मसूरी में जब बात हुई तो उसने पहली बार पत्नी से अलगाव की बात बताई। मैने जैसे ही पूछा कि पर हुुआ क्या, वो फिर शुरू हो गया, “अबे ये जिंदगी है, सुख-दुख लगे रहते हैं, तुम मसूरी आ जाओ। गजब का मौसम है, इस समय। आओ, बेटा, जमकर घूमाता हूं तुम्हें।” उसने बात टाल दी। मैने फिर कुछ नही पूछा।
अनुराग तिवारी (फाइल फोटो)
उसने मुझे बताया था कि कुछ दिन बाद मसूरी से लखनऊ जाना है, तो दिल्ली होते हुए जाएगा। दिल्ली में मिलना तय हुआ था। आज 17 मई है। अनुराग तिवारी का जन्मदिन। बहराइच में सेंवेंथ डे स्कूल में हॉफ पैंट पहनकर पढ़ने जाता अनुराग। महाराज सिंह इंटर कालेज के मैदान में फुटबाल खेलने के दौरान, अचानक घूमकर आई क्रिकेट की लेदर वाली बाल की चोट से सन्न हो चुके मेरे सिर को देर तक गोद मे लेकर बैठा अनुराग। दीप यज्ञ में साथ-साथ गांठ जोड़कर बैठता अनुराग। एक के बाद दूसरी तस्वीरें।
लखनऊ पुलिस का इंवेस्टीगेशन जो भी कहे, जिस अनुराग को मैं जानता हूं, वो कभी भी किसी डिप्रेशन या तनाव से नहीं हार सकता। जबरदस्त इच्छाशक्ति और खुशनुमापन था मेरे दोस्त में। ये जिंदगी बड़ी अतार्किक होती है। कब तक है और कब नही, ये भी मालूम नही होता। हम सब उसी सफर के यात्री हैं जिसे वो समय से पहले पूरा कर गया। ये 17 मई ठहर गई है। ये अब कभी आगे नही बढ़ेगी। जन्मदिन की मुबारकबाद का लफ्ज मेरे होठों पर अटका हुआ है, ये भी यहीं अटका रहेगा। गति की इस दुनिया में ठहराव का भी एक निर्मम सच होता है। बेहद ही निर्मम। अलविदा दोस्त।
इंडिया टीवी में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की एफबी वॉल से.
Sukhdev Singh Dagur
October 22, 2015 at 3:09 am
Sir,
Heartly Congratulations.