संबंधित खबरें- साक्षी जोशी ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय समेत 7 लोगों पर दर्ज कराई एफआईआर जितनी छीछालेदर, कीचड़ उछाल और एक दूसरे को निपटाने की होड़ मीडिया में है, उतनी कहीं नहीं!
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‘इंडिया टीवी’ कार्यकाल में अभिषेक उपाध्याय क्यों न कह सके- रजत शर्मा के लिए ‘पद्मभूषण’ रिश्वत!
ओम थानवी हरिदेव जोशी विवि के कुलपति बन रहे हैं। इस विश्वविद्यालय को राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने बंद कर दिया था। गहलोत लौटे और अब फिर से खुले विश्वविद्यालय की बागडोर ओम थानवी को सौंप दी गई। कई लोगों को इस एलान के बाद उदरशूल हो गया। उनके दर्द को समझ पाना मुश्किल नहीं …
‘रिपब्लिक भारत’ सैल्यूट के काबिल है और ‘नेशनल हेराल्ड’ भी, बाकी तो कंबल ओढ़ घी पी रहे : अभिषेक उपाध्याय
बहुत दिनों से मीडिया पर कुछ लिखा नही तो आज अर्नब गोस्वामी के बहाने सही। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का एक इंटरव्यू सुन रहा था। इंटरव्यू के बीच में ओबामा ने एक बात कही और मुस्कुरा दिए। मुझे ज़ोर की हंसी आई और साथ ही आंखोँ के आगे हिंदी पट्टी …
टीवी पत्रकार अभिषेक उपाध्याय कहिन- आखिर कांग्रेस ने अपना चेहरा दिखा ही दिया!
Abhishek Upadhyay : आखिर कांग्रेस ने अपना चेहरा दिखा ही दिया। वोटबैंक के सफेद पाउडर के पीछे से झांकता अवसरवाद की कालिख से रंगा पुता काला चेहरा। यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन से घबराई कांग्रेस ने तीन तलाक जैसी बर्बर प्रथा को खत्म करने वाला कानून ही खत्म करने का ऐलान कर दिया। यही कांग्रेस …
पीहू देखने के बाद आप अकेले घर नहीं लौटेंगे, मेरा वादा है : अभिषेक उपाध्याय
Abhishek Upadhyay : पीहू की स्क्रीनिंग खत्म हुई और मैं अवाक सा लोगों के चेहरे देखे जा रहा था। देख रहा था कि जो तस्वीर मेरे चेहरे पर छपी है क्या वही दूसरे चेहरों पर भी है? मैंने फ़िल्म डिवीजन के उस हॉल में सांस रोककर खड़े चेहरे देखे। हाँ, चेहरे भी सांस रोकते हैं। …
अभिषेक उपाध्याय इंडिया टीवी से गए, इस नए आने वाले चैनल का झंडा करेंगे बुलंद
‘इंडिया टीवी’ में एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर कार्यरत अभिषेक उपाध्याय ने चैनल को अलविदा कह दिया है. वे करीब पांच साल से इंडिया टीवी में थे और अपने ढेरों बड़ी खबरों के चलते पूरे देश भर में चर्चित हुए. अभिषेक ‘टीवी9’ समूह के नए आने वाले नेशनल हिंदी न्यूज चैनल के हिस्से बन …
इंडिया टीवी के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने राजदीप, रवीश, अभिसार से लेकर पुण्य प्रसून तक को यूं पानी पी-पी कर गरियाया, पढ़ें
Abhishek Upadhyay सारे दौलतमंद पत्रकार आज दहाड़ें मारकर रो रहे हैं। राजदीप सरदेसाई। सागरिका घोष। कमर वाहिद नक़वी। रवीश कुमार उर्फ रवीश पांडे। ओम थानवी। इनमें से सबकी आमदनी 30 फीसदी की सर्वोच्च आयकर सीमा के पार है। क्या कभी आपने इन्हें किसी स्ट्रिंगर के निकाले जाने पर आंसू बहाते देखा है? कभी किसी आम …
आज़म खान की वक़्फ़ लूट का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने सीबीआई जांच आदेश के बाद नए खुलासे किए
अभिषेक उपाध्याय
Abhishek Upadhyay : आज़म खान के मामले में सीबीआई जांच के आदेश हो गए। करीब दो माह पहले तीन किस्तों में आज़म खान की वक़्फ़ लूट का पर्दाफाश किया था। आज़म बुरी तरह बौखला गए थे। पूरे रामपुर में इंडिया टीवी के पोस्टर लगाकर गालियां दीं। प्रेस कॉन्फेंस कर धमकी दी। आज़म के ख़िलाफ़ जो मामले सामने आए थे, उनका शिकार मुसलमान ही थे। वही मुसलमान जिनकी मसीहाई का दावाकर आज़म सालों साल सत्ता की मलाई खाते रहे।
आज 17 मई, आज अनुराग तिवारी का जन्मदिन… लेकिन यह युवा आईएएस नहीं रहा… अलविदा दोस्त
Abhishek Upadhyay : आज अनुराग का जन्मदिन है। सुबह से सोच रहा था, कि अब फोन मिलाऊं। अच्छा नहा लूं। फिर मिलाता हूं। पूजा रह गई है। वो करके तफ्सील से बात करूंगा। जब तक मोबाइल हाथ में उठाया, 9.45 हो चुके थे। टीवी चल रही थी। अब तक लखनऊ में एक आईएएस की मौत की खबर ब्रेकिंग न्यूज बनकर चलना शुरू हो चुकी थी। मैं पागलों की तरह चैनल बदल रहा था। गलत खबरें भी चल जाती हैं, कभी-कभी। मगर हर चैनल पर वही खबर। कर्नाटक काडर का आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी।
इंडिया टीवी के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के नाम खुला ख़त…
जमशेद क़मर सिद्दीक़ी
प्रिय अभिषेक उपाध्याय
बीते एक हफ्ते में आपने फेसबुक पर जो कुंठा ज़ाहिर की है, उससे अब घिन आने लगी है। सुना है आपने खाना-पीना छोड़ दिया है। खुद को संभालिये, आप ‘वो’ नहीं बन सकते इस सच को जितनी जल्दी स्वीकार लेंगे आपको आराम हो जाएगा। लकीर को मिटाकर बड़ा नहीं बन सकते आप, आपको बड़ी लकीर खींचना सीखना होगा, अपने सीनियर्स से सीखिये उन पर कीचड़ मत उछालिये। हालांकि इस मामले में आपकी चुस्ती देखकर मुझे अच्छा भी लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे ‘स्वर्ग की सीढ़ियां’, ‘नाग-नागिन का डांस’ और ‘क्या एलियंस गाय का दूध पीते हैं’ जैसी स्टोरीज़ में अब आपकी दिलचस्पी कम हो गई है। ये अच्छा संकेत है, मुबारकबाद।
आरोपी रवीश पांडे का भाई है तो क्या अपराध सिद्ध होने तक खबर भी न चलाओगे?
Abhishek Upadhyay : ये अखबार वाले भी न। ये भी नही समझते एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय माफ़ कीजिएगा, रवीश कुमार के प्रताप को। अब कल मैंने जो लिखने से मना किया था। आज वही छाप दिए। दंग हूँ मैं आज का टाइम्स ऑफ़ इंडिया पढ़कर। ये तो खबर छाप दिए है बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष और बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बेहद करीबी ब्रजेश पांडेय सेक्स स्कैंडेल में फंसे। पद से इस्तीफ़ा दिए। रेप के साथ-साथ पॉस्को (बच्चों का शोषण वाली धारा) भी लगा। हाँ हाँ वही। एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय (उफ़ ये आदत), माफ़ कीजिएगा, रवीश कुमार के सगे बड़े भाई ब्रजेश पांडेय।
ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं!
Abhishek Upadhyay : ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं। अरे भई, हाँ। रवीश कुमार। अब खानदानी नाम रवीश पांडेय है तो क्या हुआ? सेक्युलर हैं। सर्वहारा समाज के प्रतिनिधि हैं। रवीश कुमार ही सूट करता है। अब क्या हो गया जो इन्ही रवीश पांडेय, माफ़ कीजिएगा रवीश कुमार के बड़े भाई ब्रजेश पांडेय बलात्कार के मुकदमे में हैं।
दैनिक भास्कर में पूरे तीन दशक से अधिक की सेवा के बाद राजाराम जी रिटायर हो गए
Abhishek Upadhyay : राजाराम जी आज रिटायर हो गए। दैनिक भास्कर में पूरे तीन दशक से अधिक की सेवा के बाद। ये तक़दीर ही थी कि मैं, Pankaj Pandey और Pradeep Surin, हम तीनो आज शाम मैसूर कैफ़े में साथ-साथ कॉफ़ी पीकर निकले ही थे। कि सुरीन ने ज़िक्र किया -“आज राजा राम जी का रिटायरमेंट है।” हम तीनों ही अनायास आईएनएस स्थित भास्कर के ऑफिस की ओर चल पड़े। कभी हम तीनों साथ-साथ इसी अख़बार में थे। आईएनएस के भास्कर ऑफिस का दरवाज़ा खोलते ही राजाराम जी नज़र आए। सभी के बीच बैठे अपने पुराने सालों को याद कर रहे थे। हमे देखते ही एक एक के गले से लिपट गए। एक पल में एक सदी जी लेना जैसा कुछ सामने था। राजाराम जी साल 1987 से लगातार संसद जा रहे हैं। मैं साल 2012 में पहली बार रेगुलर रिपोर्टिंग के लिए संसद गया।
कालों की दुनिया में पहुंचे पत्रकार अभिषेक उपाध्याय गिन रहे गोरों की तादाद…!
अभिषेक उपाध्याय
…काले गोरे के भेद के चलते गांधी को इसी प्लेटफार्म पर फेंक दिया गया था…. तब से अब तक वक़्त पूरे 360 डिग्री पर घूम चुका है… इतिहास एक बार फिर मेरी नज़रों के सामने था…. ”जिसको भी दबाओगे। कुचलोगे। दुत्कारोगे। एक रोज़ पलटकर लौटेगा। हुकूमत तो उसकी भी आएगी। यही प्रकृति का न्याय है। यही मेरा प्रतिशोध है।”
अदभुत हैं मायावती!
Abhishek Upadhyay : अदभुत हैं मायावती। बिजली की तेज़ी से फैसले लेती हैं। जिससे दुश्मनी ली। उसे खुद ही ठीक कर दिया। क्या स्वामी प्रसाद मौर्या। कौन बाबू सिंह कुशवाहा। कोई आहरी-बाहरी मदद नही। कोई ईआर/पीआर फर्म नही। कोई कॉर्पोरेट लॉबिस्ट साथ नही। किसी ईके/पीके (प्रशांत किशोर) की भी ज़रूरत नही। राजनीति रिश्ते बनाने का खेल है। मैंने मायावती के तौर पर पहला ऐसा राजनीतिज्ञ देखा है जो बिगड़े रिश्तों का मुंह हमेशा उल्टा ही रखता है। कभी कोई समझौता नही। मुलायम से दुश्मनी है तो खुलकर है। क्या मजाल कि नेता जी संसद में बहन जी से आँख भी मिला लें।
NDTV के परम पवित्र मालिकों से तो लाख गुना बेहतर है ज़ी ग्रुप के मालिक डॉ सुभाष चन्द्रा!
Abhishek Upadhyay : ज़ी ग्रुप के मालिक डॉ सुभाष चन्द्रा राज्य सभा पहुंच गए। बीजेपी के समर्थन से। तो क्या हुआ? लॉयल्टी है तो खुलेआम है। इसमें छिपाना क्या! NDTV के परम पवित्र मालिकों से तो लाख गुना बेहतर है ये। आप 2G केस के चार्जशीटेड आरोपी की कंपनी से साझेदारी करो। आप विदेशों में अंधाधुंध कम्पनियां खोलकर भारत में उस कमाई का हिसाब ही न दो। आप आरबीआई के निर्देशों की ऐसी की तैसी कर दो। आपकी मरी हुई दुकान के शेयर आसमान छूती बोलियों में खरीद लिए जाएँ और कोई एजेंसी आपसे सवाल तक न पूछे? कि भइया! ये चमत्कार हुआ कैसे?
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने पाकिस्तान जाने से पहले और लौटने के बाद क्या लिखा, आप भी पढ़िए…
पाकिस्तान से लौटने के बाद… Abhishek Upadhyay : पाकिस्तान-जैसा मैंने देखा… दुश्मन देश? ये पाकिस्तान है। शाम ने अपनी छत डाल दी है। रौशनी धीरे-धीरे मद्धिम हो रही है। मेरा एक पैर बड़े सींकचों वाले लोहे के गेट के इस पार है। दूसरा उस पार। मैं एक ही वक़्त में। एक ही साथ। दो मुल्कों …
ये तो फिल्म है पूरी की पूरी… ‘सेल्फी विद पीएम’… इस पर काम होना चाहिए
ये तो फिल्म है पूरी की पूरी। ‘सेल्फी विद पीएम।’ इस पर काम होना चाहिए। एक लाइट कॉमेडी फिल्म। पत्रकारों की आपस में तकरार। एडिटर और रिपोर्टर के बीच का फसाद। पहली सेल्फी किसकी? हो सके तो मारम मार। जमकर जूतम पैजार। एसपीजी और यहां तक कि एनएसए पर भी पत्रकारों के ‘सेल्फी जुनून’ का आतंक। एक रात पहले पीएमओ में आपात बैठक। मुद्दा ये कि पीएम को पत्रकारों से महफूज कैसे रखा जाए। पीएम इन डैंजर! इतनी सटकर सेल्फी ली जाएगी तो फिर तो ‘सिक्योरिटी ब्रीच’ हो गया न। आईबी और रॉ का भी इनपुट देना। फिर नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में इसी ‘सेल्फी’ का जलवा।
संभव है इन बड़े पत्रकार साहब का इंद्राणी को लेकर भी कोई क्रश रहा हो!
Abhishek Upadhyay : दो कौड़ी की कहानी बनाई है मुंबई पुलिस ने। इंद्राणी मुखर्जी को जबरदस्ती बलि का बकरा बनाने पर तुली हुई है। या यूं कह लें कि बुरी तरह आमादा है। नतीजा “फिक्स” कर लिया गया है। पहले से ही। पुलिस कमिश्नर मारिया साहब खुद खार पुलिस स्टेशन पर डटे हुए हैं। मुझे याद नही पड़ता कि इससे पहले किसी पुलिस कमिश्नर को थाने में जाकर इंटरोगेशन करते कब देखा गया? घंटों पूछताछ कर रहे हैं साहब। पता नहीं बीच में कोल्ड ड्रिंक्स या कुछ स्नैक्स वगैरह लेते होंगे या वो भी नही। पता नहीं किन भारी भरकम नामों की बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है? अब सवाल है ये? लोकतंत्र में सवाल तो किया ही जा सकता है।
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने बताई पंकज श्रीवास्तव टाइप क्रांतिकारियों की असलियत, आप भी पढ़ें….
(अभिषेक उपाध्याय)
Abhishek Upadhyay : बहुत शानदार काम किया। Well done Sumit Awasthi! Well done! सालों से सत्ता की चाटुकारिता करके नौकरी बचाने वाले नाकाबिल, अकर्मण्यों को आखिर रास्ता दिखा ही दिया। उस दिन की दोपहर मैं आईबीएन 7 के दफ्तर के बाहर ही था जब एक एक करके करीब 365 या उससे भी अधिक लोगों को आईबीएन नेटवर्क से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। चैनल के अंबानी के हाथों में चले जाने के बावजूद बेहद ही मोटी सैलरी लेकर चैनल का खूंटा पकड़कर जमे हुए उस वक्त के क्रांतिकारी मैनेजिंग एडिटर खुद अपने कर कमलों से इस काम को अंजाम दे रहे थे। एक एक को लिफाफे पकड़ाए जा रहे थे।
शुक्ला मेरी जान, ….उस दिन तुम्हारा ये दोस्त पत्रकारिता छोड़कर तुम्हारे वास्ते प्रेस कांफ्रेस कर रहा होगा
( File Photo Abhishek Upadhyay )
Abhishek Upadhyay : आज बहुत कुछ याद आ रहा है। अजीब सा लम्हा है ये। अभी अभी इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया के कुछ आर्टिकल हाथ लगे। मेरे अज़ीज़ दोस्त राकेश शुक्ला ने क्या कर दिखाया है………. खुशी की लहर मेरे अंदाजे बयां की राह में खड़ी हो जा रही है। राकेश शुक्ला, इस कदर मेरी जिंदगी में शामिल हैं कि उनके बारे में लिखने का मतलब है अपनी ही जिंदगी को अपने ही हाथों बेपर्दा करते जाना। रिस्क है ये। ये रिस्क फिर भी झेल लिया जाएगा पर शुक्ला के बारे में न लिखने का रिस्क…इसे कैसे झेला जाएगा।