डॉ राकेश पाठक- एंबुलेंस अनंत एंबुलेंस कथा अनंता..
PM के रूट पर बार बार एंबुलेंस आती कैसे हैं? एंबुलेंस में फिदायीन दस्ता होता तो? जिम्मेदार अब तक नप जाने चाहिए थे।
वाराणसी में एक एंबुलेंस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपना काफिला रोक कर रास्ता देने की ख़बर पर मीडिया मंडी और आईटी सेल के हुकुड़चुल्लू भांगड़ा, गिद्दा डाल रहे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। गुजरात विधानसभा चुनाव में और उसके बाद भी कई बार प्रधानमंत्री द्वारा काफिला रोकर एंबुलेंस को रास्ता देने की खबरें आती रहीं हैं।
हर बात हैडलाइन बनाई जाती है – “PM ने काफ़िला रोक एंबुलेंस को रास्ता दिया”।
इस तरह की ख़बर के साथ एक न एक वीडियो वायरल होता रहा है। आइए इसकी पड़ताल करते हैं…
PM की सुरक्षा के लिए सब कुछ ब्लू बुक में लिखा है। हर काम उसके मुताबिक होता है। कहीं भी आने जाने पर धरती से आसमान तक इतनी सुरक्षा होती है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता।
1) प्रधानमंत्री देश में सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति हैं। उनके जैसे VVIP के लिए कई घंटा पहले रूट लगता है। यानी सब तरह का ट्रैफिक रोक दिया जाता है।
(और तो और आजकल मुख्यमंत्रियों तक के लिए रूट लगने लगा है।)
2) VVIP के आवगमन से बहुत पहले हर तरह का ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया जाता है।
3) कोई भी वाहन इस रोड पर आ ही नहीं सकता चाहे वो एंबुलेस ही क्यों न हो।
4) आज जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें दिख रहा है कि कथित एंबुलेंस VVIP के कारकेड के एन बगल से गुजर रही है।
5) पूरे रास्ते पर बैरियर, हर्डल लगे होंगे तो ये एंबुलेस PM के रूट पर आई कैसे?
6) कथित एंबुलेंस में मरीज़ के नाम पर कोई फिदायीन दस्ता होता तो? एंबुलेंस में विस्फोटक लगा होता तो?
7) किस प्वाइंट पर किसने जांच की कि एंबुलेंस में मरीज़ ही है…किसने उसे आगे जाने की इजाजत दी?
8) वास्तव में अगर कोई गंभीर मरीज था भी तो भी उसे VVIP के रूट की बजाय डाइवर्टेड रूट से आगे भेजा जाना चाहिए था।
9) एक अहम सवाल ये है कि पचासों गाड़ियों के कारकेड/ मोटरकेड में सबसे आखिर में जो फॉलो गाड़ी चलती है उसमें से किस की हिम्मत है कि प्रधानमंत्री को बताए कि पीछे कोई एंबुलेंस आ रही है? बताए भी तो कैसे..क्या फॉलो गाड़ी से प्रधानमंत्री को कोई मोबाइल या वायरलैस पर बताता है कि सर एक एंबुलेंस पीछे से आ रही है, और प्रधानमंत्री जी तत्काल अपने ड्राइवर से कहते हैं…अरे रोक्के भाई रोक्के…थंबा..! फिर कहते हैं…एंबुलेंस आन दो…आन दो…. आन दो …!
या प्रधानमंत्री जी खुद अपनी गाड़ी के रीयर मिरर में देख लेते हैं कि पचासों गाड़ी के पीछे एंबुलेंस आ रही है…! और फिर अपना काफिला रोकने का आदेश देते हैं…।
10)अब सवाल ये है कि जिस प्रधानमंत्री को दस किलोमीटर दूर बैठे किसानों से जान का खतरा था उसे दस फुट दूर से निकली एक अनजान, अज्ञात एंबुलेंस से कितना गंभीर खतरा हो सकता था..!
11) क्या अब तक एक भी ऐसी घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पड़ताल की कि कथित एंबुलेंस में मरीज कौन था, कितना गंभीर बीमार था, कहां से किस अस्पताल में ले जाया जा रहा था? अगर नहीं तो क्यों?
कायदे से तो ऐसा हर मामला प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अति गंभीर चूक का मामला है । इसके लिए जो भी जिम्मेदार हों उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए था लेकिन जमाना ऐसा है कि ‘दया के सागर’, ‘करुणानिधान’ माननीय प्रधानमंत्री के कसीदे काढ़ कर तालियां बजा रहा है।
वहीं भगतराम ने वीडियो पोस्ट कर लिखा है, एंबुलेंस के स्क्रिप्ट राइटर का वीडियो लीक…