सौमित्र रॉय-
बात सिर्फ़ इतनी सी नहीं है कि मोदी सरकार देश में विकास परियोजनाओं पर खर्च नहीं कर पा रही है।
क्योंकि सरकार कंगाल हो चुकी है। लेकिन बात इससे भी आगे की है।
वह यह कि सरकार के पास जितना भी पैसा आ रहा है, उसे वह किन क्षेत्रों में लगा रही है?
नीचे वाला टेबल देखें तो समझ पाएंगे कि माइनिंग और बिजली क्षेत्र में क्यों पैसा लग रहा है?

दोनों के केंद्र में अडाणी, रिलायंस और टाटा जैसे बड़े कॉर्पोर्टेस हैं।
मोदी जिस स्मार्ट सिटी और ढांचागत सुधारों के जुमले पर चुनकर आया था, उसमें पिछले साल की तिमाही के मुकाबले करीब आधा खर्च हुआ है।
सिंचाई सरकार के एजेंडे में लगता है शामिल ही नहीं। किसानों की आय दोगुना करने का जुमला तो अब लपेटने में भी नहीं आ रहा।
आखिर में मेक इन इंडिया का जुमला। यह फ्लॉप हो चुका है। मशीनी शेर कब का दम तोड़ चुका है और सरकार का खर्च भी 77% कम है।
सारे सेक्टर्स को मिला लें तो खर्च 42% कम है।
फिर नौकरियां और आमदनी के मौके बढ़ेंगे कहां से?
अवाम परेशान है और सरकार अब डरा-धमकाकर उनके दमन पर उतारू है।
अमित शाह आज गुजरात में है। अहमदाबाद पुलिस ने लोगों को खिड़की-दरवाज़े बंद रखने को कहा है।

अमित शाह जैसे लोकप्रिय नेता को अपने ही राज्य में ख़तरा है।
असल डर पैरों तले खिसकती ज़मीन को लेकर है।
