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वेब-सिनेमा

इस फिल्म का संदेश है कि उद्योगपति घरानों के लोग पुलिस सिस्टम कानून सबसे उपर होते हैं!

Yashwant Singh-

उफ़्फ़! सिरदर्द हो गया… क्या बकवास फ़िल्म है यार एनिमल!

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फ़िल्म का एक संदेश है कि उद्योगपति घरानों के जो लोग होते हैं, वे सारे नियम क़ानून कोर्ट कचहरी पुलिस थाने से ऊपर की चीज होते हैं… उनके पास वैध अवैध पूरा एक साम्राज्य होता है, वे लोग वैध अवैध सब काम आये दिन ताल ठोंक कर कदम कदम पर करते रहते हैं… लेकिन सिस्टम को उनसे कोई मतलब नहीं! सारा नियम क़ानून और न्याय व्यवस्था बस मिडिल क्लास व नीचे वालों के लिए है!

एक मनोरोगी टाइप अमीरज़ादे युवक पर आधारित फ़िल्म है… हिंसा इस कदर है कि लगता है मार धाड़ वाला कोई वीडियो गेम देख रहे हैं…
फ़िल्म में सब भयानक भयानक जघन्य कांड होता रहता है, लेकिन मजाल क्या पुलिस वाला कहीं कोई एक भी दिख जाये। ऐसा लगता है जैसे हम सब किसी माफिया राज में जी रहे हों!

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बिलकुल ही बर्दाश्त के काबिल नहीं है फ़िल्म। अपच। संपूर्ण क़ब्जकारी!

श्रीमती जी की लंबे समय से शिकायत थी कि कोई फ़िल्म नहीं दिखाते अब, एनिमल दिखा दीजिए तो हम चरवाहा बन अपनी भेड़ हांकते हुए जानवर देखने चले गये! 🙂

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