अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक चैनल
6 मई 2017 के दिन पत्रकारिता के बाजार में एक नए मदारी की एंट्री होती है। मदारी अर्नब, दुकान का नाम ‘रिपब्लिक’। आप रिपब्लिक टीवी के बारे में कुछ याद कीजिए-
पहले दिन – लालू प्रसाद यादव और शहाबुद्दीन की बातचीत की स्टोरी ब्रेक की जाती है।
दूसरे दिन – आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को लांच किया जाता है जो आम आदमी पार्टी में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर 2 करोड़ की घूसखोरी का सनसनीखेज आरोप लगाता है।
तीसरे दिन शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर के पुराने मामले को निकाला जाता है।
शशि थरूर के मामले में कुछ भी नया नहीं घटा था, लेकिन अर्नब इसे कई दिन तक अपने प्राइम टाइम की डिबेट में जगह देते हैं। इस बात को थोड़ा ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को कुछ देर के लिए यहीं छोड़िए। उससे पहले एक मामला बताता हूँ। टीवीस्क्रीन पर नीचे ब्रेकिंग न्यूज में जो लिखकर आता है, पत्रकारिता की भाषा में उसे “टिकर” कहा जाता है। एक कर्मचारी केवल टिकर का काम देखने के लिए ही रखा जाता है ताकि जैसे ही कोई खबर ब्रेक हो तुरंत टीवी की हेडलाइन्स में उसे नीचे लिख दिया जाए।
ऐसे ही सितंबर महीने की बात है, माया कोडनानी मामले में अमित शाह गुजरात कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे। ऐसा माना जाता है कि दर्जनों मुस्लिमों की हत्या के मामले में अमित शाह की भूमिका भी थी। रिपब्लिक चैनल के टिकर कर्मचारी ने इस खबर को हेडलाइन पर लगा दिया। जैसे ही खबर टीवी पर लगी, निरंजन नारायणस्वामी ने तुरंत उस कर्मचारी को फटकार लगाते हुए कहा “Let’s not touch This”. निरंजन नारायणस्वामी रिपब्लिक चैनल की एडिटोरियल डेस्क के हेड थे। एडिटोरियल डेस्क से अर्थ होता है कि ऐसी समिति जो ये तय करे कि अमुक टीवी में किस तरह की खबरें चलेंगी, किस तरह की नहीं। ये पूरी खबर आपको caravan मैगज़ीन की डिटेल्ड स्टोरी “No Land’s Man” में मिल जाएगी।
क्या आपने कभी सोचा? कि वो इंसान जो लालू प्रसाद यादव, केजरीवाल से लेकर शशि थरूर को तीन दिन के अंदर लाइन में लगा देता है वह अमित शाह का नाम आते ही शंट कैसे हो जाता है?
इस सवाल का जबाव आपको रिपब्लिक चैनल के जन्म लेने की कहानी में मिलेगा। राजीव चंद्रशेखर नाम से एक बड़े उद्योगपति हैं, आपने टीवी, फ्रिज बनाने की कम्पनी BPL का नाम सुना है? सुना ही होगा खैर, इसी कंपनी ने 1995 के दौर में मोबाइल बनाने का काम शुरू किया था। इस पूरे प्रोजेक्ट को बनाने वाले आदमी का नाम था राजीव चंद्रशेखर। बाद में राजीव चंद्रशेखर कर्नाटक से दो बार राज्यसभा सांसद बने हैं, लेकिन इंडिपेंडेंट। देश में भाजपा सरकार आने के बाद ही राजीव चन्द्रशेखर की कोशिश थी कि कैसे भी मोदी सरकार की कैबिनेट में जगह मिल जाए। चूंकि सांगठनिक रूप से चंद्रशेखर कुछ भी नहीं थे, कोई अनुभव नहीं था। इसलिए उन्होंने दिल्ली मीडिया में इन्वेस्टमेंट के लिए प्लान बनाया। इसके लिए उन्होंने न्यूजएक्स से लेकर एनडीटीवी तक में बात की। लेकिन बात नहीं बनी। उन्हीं दिनों अर्नब गोस्वामी ने टाइम्स नाउ से इस्तीफा दिया था। अर्नब अपने लिए इन्वेस्टर ढूंढ रहे थे। राजीव अपने लिए एक बाजीगर ढूंढ रहे थे। बस इसी मोड़ पर दोनों का मिलन होता है।
रिपब्लिक टीवी चैनल को AGR Outlier Media Private Limited कंपनी के अंतर्गत शुरू किया जाता है। इसमें 26 करोड़ रुपए अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी सम्यब्रत रे गोस्वामी और 30 करोड़ रुपए अकेले राजीव चंद्रशेखर के होते हैं। ये 30 करोड़ रुपए राजीव ने “जुपिटर कैपिटल” नाम की एक कम्पनी के माध्यम से इन्वेस्ट किए। इस कम्पनी का नाम याद कर लीजिए। आगे का पूरा खेल समझने में यही नाम आपके काम आने वाला है।
साल 2016 में राजीव चंद्रशेखर को केरल में भाजपा गठबंधन (NDA) का उपाध्यक्ष बनाया गया। साल 2014 में भी चंद्रशेखर केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से टिकट लेना चाहते थे। तब नहीं मिली तो उनकी नजर साल 2019 के चुनावों में तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सीट लेने पर हो गई। ये वही सीट है जहां से शशि थरूर सांसद हैं।
अब समझ आया? अर्नब गोस्वामी ने अपने चैनल के तीसरे तीन ही शशि थरूर और उनकी पत्नी के एक पुराने मामले को ब्रेकिंग न्यूज क्यों बना दिया था? राजीव चंद्रशेखर को तिरुवनंतपुरम में मजबूत करने के लिए।
इसके अलावा याद होगा किस तरह अर्नब गोस्वामी ने एक संघ कार्यकर्ता की मौत के लिए सीपीआई वर्कर्स को जिम्मेदार ठहराते हुए ये पूरा झूठ दिनभर टीवी पर बेचा था कि सीपीआई कार्यकर्ता तिरुवनंतपुरम में आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या करते हैं। इसके पीछे एक ही कारण था चंद्रशेखर के लिए तिरुवनंतपुरम के मैदान को साफ करना।
साल 2014 में चन्द्रशेखर को भाजपा ने संसद की डिफेंस स्टैंडिंग कमिटी का सदस्य बना दिया। इस कमिटी का काम सरकार द्वारा डिफेंस सेक्टर में की गई खरीद फरोख्त पर नजर रखना। साल 2016 की बात है। एक कम्पनी थी Axiscades Aerospace & Technologies नाम से। इसका शार्ट नाम है ACAT. साल 2016 में सरकार ने इसे 88 aircraft-recognition training systems सप्लाई करने का एक कॉन्ट्रैक्ट दिया। तब से लेकर ऐसे अनगिनत कॉन्ट्रैक्ट इस कम्पनी को दिए गए। क्या आप जानते हैं इस ACAT कम्पनी में किसका पैसा लगा हुआ है?
मैं बताता हूँ, साल 2015 तक इस कम्पनी में 75 प्रतिशत शेयर जुपिटर कैपिटल के थे। वही जुपिटर कैपिटल जिसके मालिक चंद्रशेखर हैं। देखिए ये कितना बड़ा घपला है कि सरकार जिस कम्पनी को कॉन्ट्रैक्ट दे रही थी उस कम्पनी का मालिक “डिफेंस स्टैंडिंग कमिटी” का मेम्बर था। ये कितना बड़ा “कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट” है? मतलब जिस आदमी को कॉन्ट्रैक्ट बांटने का जिम्मा सौंपा गया है वही कॉन्ट्रैक्ट ले ले रहा है। ये ऐसा भ्रस्टाचार है जो सीधे सीधे भ्रस्टाचार के रूप में नहीं पकड़ा जा सकता। इस पूरे मसले पर “द वायर” ने एक डिटेल्ड रिपोर्ट की थी, उस खबर के बाद ही राजीव चन्द्रशेखर ने द वायर पर डिफेमेशन का केस कर दिया था।
ऐसा बताया जाता है कि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से राजीव चंद्रशेखर के पास 7500 करोड़ की संपत्ति है। राजीव के पास 120 करोड़ रुपए का एक प्रायवेट जेट भी है। और उसका खिलौना अर्नब आज इतने बड़े चैनल का मालिक बन चुका है। दोनों शान से रहते हैं। ऐश की जिंदगी जीते हैं। नई खबरों के अनुसार आज रिपब्लिक न्यूज चैनल में अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी के शेयर सबसे अधिक हो गए हैं। इसलिए किस दिन टीवी पर कौन सा एजेंडा चलाना है उसका निर्णय फिलहाल वे खुद ले सकते हैं। अर्नब, केंद्र सरकार और उसके समर्थकों की ताकत से भलीभांति परिचित हैं, इसलिए इस समय उनकी भाषा किसी सरकारी भौंपू से भी निचले स्तर पर आ गिरी है।
चैनल के पिछले मालिक यानी राजीव और नए मालिक यानी अर्नब दोनों करोड़पति हैं, दोनों को सरकार से फायदा होता है, दोनों सरकार का फायदा करते हैं। दोनों लग्जीरियस लाइफ जीते हैं। लेकिन इससे आपको क्या मिला? अर्नब ने आपकी रोजी रोटी के कितने सवाल सरकार से पूछे? महामारी के कारण आपके रोजगार बन्द हैं, आपकी दुकाने बन्द हैं, आपके ठेले बन्द हैं। आपकी भूख, और रोटी के सवाल न पूछकर अर्नब अभी भी हिन्दू-मुसलमान में आपको उलझाए हुए है! आखिर क्यों? आप क्यों इस बात को नहीं समझते, आप सिर्फ यूज किए जा रहे हैं।
इस पूरे खेल को समझना उतना भी मुश्किल नहीं है। आप सच में इसे समझने के लिए गंभीर हैं तो आप आराम से समझ सकते हैं कि सरकार ने चंद्रशेखर को डिफेंस स्टैंडिंग कमिटी का सदस्य क्यों बनाया? और राजीव ने अर्नब के चैनल में पैसा क्यों लगाया।
अब समझ आया? जो आदमी पूरे दिन सोनिया, सोनिया, राहुल राहुल, लालू, लालू कर सकता है वह अमित शाह का नाम लिखने से पहले ही ये क्यों कह देता है कि “Let’s not touch This”
Comments on “पत्रकारिता का नवीनतम मदारी है अरनब गोस्वामी, जानिए इसकी कुंडली”
अर्नब जिसका नाम है वो पत्रकार है कि दल्ला. ये भी क्लियर होना चाहिए
Mind blowing , on one hand Gandhi, WADRA family and on other hand Jupiter company’s and BJP’s scam and other parties stuck with there pity regional and castism issues please god save my country
भड़ास ने जोरदार स्टोरी की है। बधाई!
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