मुख्यमंत्री कार्यालय की भी हो सीबीआई जांच…. उत्तर प्रदेश में जंगलराज है। यहां अवैध खनन का कारोबार तक सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से संचालित किया जाता रहा है। इसमें लगे सिंडीकेट और माफियाओं को मुख्यमत्री कार्यालय का संरक्षण मिलता रहा है। यहां तक कि अवैध खनन रोकने की जिस अधिकारी ने कोशिश की उसका तबादला तक सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल से कर दिया गया। सोनभद्र जनपद में ही 27 फरवरी, 2012 को 6 मजदूरों की अवैध खनन के कारण दब कर मौत के दर्दनाक हादसे के बाद खनन की अनुमति न देने वाले तत्कालीन जिलाधिकारी, डीएफओ ओबरा और कन्ज़र्वेटर वन विभाग मिर्जापुर को एक ही दिन में मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल से हटा दिया गया था। इसलिए हाईकोर्ट द्वारा अवैध खनन की सीबीआई जांच से घबराई सपा सरकार द्वारा खनन मंत्री को बर्खास्त करना पर्याप्त नहीं है।
वास्तव में प्रदेश में जारी अवैध खनन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। यह बातें आज प्रेस को जारी अपने बयान में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहीं। उन्होंने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि उ0 प्र0 में अवैध खनन और इसके नाम पर वीआईपी वसूली का खेल पूर्व मुख्यमंत्री व इस समय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल से शुरू हुआ जो मायावती जी की सरकार और वर्तमान सरकार में फला फूला। इस अवैध खनन ने इस क्षेत्र के आम नागरिकों की जिदंगी और पर्यावरण को खतरे में डाल दिया।
अवैध खनन से आए दिन मजदूरों की मौतें होती रहीं। लगातार धरना प्रदर्शन और पत्रकों के बावजूद सरकारें मौन धारण किए रही है। आइपीएफ समेत तमाम संगठनों ने हाईकोर्ट से गुहार लगायी। इसके बाद यह सीबीआई जांच का आदेश आया है। उन्होंने कहा कि आइपीएफ सीबीआई को सबूतों के साथ पत्र देकर राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह, मायावती और वर्तमान सरकार में अवैध खनन में मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका की भी जांच करने का निवेदन करेगी। उन्होंने कहा कि यदि सीबीआई ईमानदारी से जांच करे तो कर्नाटका के येदुरप्पा की तरह ही यहां भी प्रदेश के कई मुख्यमंत्रियों को सजा मिलेगी।