यशवंत सिंह-
वाट्सअप सुबह खोलिए तो मैसेज की बाढ़ से दो चार होना पड़ता है. इसमें बड़ी संख्या में खबरों के लिंक होते हैं. जिन जिन के डिजिटल चैनल हैं, वेबसाइट है, यूट्यूब है, उन उन के खबरों के लिंक रोजाना आते हैं. कुछ के तो दिन में कई कई बार आते हैं. इनमें से 99 फीसदी के मैसेज मैं खोलता ही नहीं. बस जितनी हेडिंग दिख जाती है उपर उपर उतना ही पढ़ लेता हूं. कोई एकाध खबर ऐसी होती है जो लिंक खोलकर पढ़ने के लिए प्रेरित करती है. खबरों का लिंक वाट्सअप पर ठेलने के इस चलन को शुरू करने और चलाए रखने में कुछ कुछ पापी मैं भी हूं. करीब डेढ़ देशक से भड़ास संचालन के दौरान इस नए मीडिया माध्यम, डिजिटल जर्नलिज्म, के साथ कई प्रयोग किए. उसमें एक ये भी था कि खबरों तक पाठक को खींचकर लाने के लिए हम खुद पाठक तक चलकर पहुंचें और उसकी आंखों के आगे खबरों को नचाएं जिससे वह खबरों के कुएं में गिर पड़े.
सो, इसी क्रम में भड़ास का वाट्सअप ब्राडकास्ट शुरू किया गया. वाट्सअप पर सैकड़ों ब्राडकास्ट चैनल भड़ास के बने. अब ब्राडकास्ट का सिस्टम बंद कर रहा हूं. ये दरअसल दूसरे के आंगन में बिन बुलाए छत के रास्ते चलकर कूदने जैसा है. ब्राडकास्ट के जरिए खबरों का लिंक ठेलने के वास्ते हर एक से सहमति ली गई है तो ठीक है. अगर बिना सहमति भेजा जा रहा है, बार बार खबरों का लिंक ठेला जा रहा है, तो यह दूसरे की प्राइवेसी का हनन है. हम अनचाहे लिंक / स्पैम ठेलकर दूसरे का वक्त अटेंशन उर्जा बहुत कुछ खराब करते हैं.
फिर इसका रास्ता क्या हो? इसका रास्ता वाट्असप ग्रुप है. ऐसे वाट्सअप ग्रुप जिसमें केवल एडमिन पोस्ट करने का अधिकार रखता हो. इस वाट्सअप ग्रुप से जुड़ने का लिंक हम सबको भेजें. जो खुद जुड़ेगा, उसका स्वागत है. वो जब चाहेगा ग्रुप से एग्जिट कर सकता है. ये सुविधा ब्राडकास्ट में हम यूजर को नहीं देते. हम एक ब्राडकास्ट लिस्ट बना लेते हैं और सबको ठेलते रहते हैं. अगर कोई खबरों का लिंक नहीं चाहता है तो उसके पास कोई विकल्प नहीं है. उसे मजबूरन न्यूज लिंक के हमले को स्पैम के रूप में झेलना पड़ता है.
दौर ट्रांसपैरेंसी, प्राइवेसी और प्रोफेशनलिज्म का है. इसलिए हम जो भी करें, उसके पीछे एक तर्क तो होना ही चाहिए, अगले आदमी की प्राइवेसी की चिंता भी जरूर निहित हो.
तो अब हम आपको भड़ास की खबरों के लिंक नहीं भेजेंगे. जितने भी भड़ास के वाट्सअप ब्राडकास्ट चैनल थे, उसे डिलीट करा दिया हूं. अब सिर्फ वाट्सअप ग्रुप रहेंगे, वो भी दूसरे मोबाइल नंबर पर. उस मोबाइल नंबर पर जो भड़ास का अधिकृत मोबाइल नंबर है.
मैं खुद के निजी मोबाइल नंबर को भड़ासबाजी खबरबाजी से दूर रखना चाहता हूं. मेरी खुद की भी निजता का सवाल है. अगर मैं दूसरों को न्यूज लिंक ठेलता रहूंगा तो उनके न्यूज लिंक आने से कैसे रोक सकता हूं.
सो, अगर आप भड़ास की खबरें वाट्सअप पर पाने को इच्छुक हैं तो इसके दो दर्जन से ज्यादा ग्रुपों में से किसी एक में शामिल हो जाएं. फिलहाल यहां एक लिंक दे रहा हूं जिसमें अभी काफी जगह है. जुड़िए और भडास से अपडेट रहिए. इस ग्रुप में सिवाय भड़ास एडमिन के, कोई अन्य कुछ भी पोस्ट न कर सकेगा. इसलिए आप इस ग्रुप से जुड़कर खबरों कमेंटों लिंक स्पैम की बारिश से बिलकुल न नहाएंगे. सिर्फ और सिर्फ भड़ास की खबरें ही पाएंगे.
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जैजै
यशवंत