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भँवर पुष्पेंद्र चौहान ने न्यूज़18 राजस्थान को अलविदा कहा

भंवर पुष्पेंद्र चौहान की fb वॉल से-

(15 अप्रैल 2021)

नमस्ते! News 18 राजस्थान ,

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आज आपके साथ काम करने का आखिरी दिन है । आप से अलविदा कहने का वक़्त आ गया है।….प्रोफेशन के हिसाब से तो ठीक है… लेकिन मैने तुम्हे Etv से News18 में बदलते देखा है। …एक लगाव है तुमसे ।….कई लोग आए और चले गए।….. मैं भी जा रहा हूँ। …कुछ लोग नये आ गए हैं। …परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

‘प्रकृति’ अगर ‘परिवर्तन’ लाती है तो सब शुभ है, …..किंतु ‘प्रकृति’ में ‘परिवर्तन’ लाने का प्रयास… अंत का प्रारम्भ भी हो सकता है….. अतः नये लोगों से शाख बनाये रखने की शुभेच्छा करता हूं ।…. अपने पुराने साथियों, ….चैनल की गिलहरी, चींटी, गिरगिट, हाथियों, ….. नये ऋतु के मेहमानों, मकां, दुकां ,पंछियों, श्वानों…. सभी से अलविदा कहने का वक़्त है।

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गर्व है मुझे कि मैं स्क्रीन पर अपने सफ़ल हस्ताक्षर कर पाया ….. जिसकी प्रमाणिकता ये है कि मुझे कोरोना के संकटकाल में भी प्रमोशन मिला ।… राजस्थान के कई हिस्सों से स्पेशल स्टोरीज के ज़रिए,…. कुछ इस तरह की ख़बरें करने का मौका मिला ….जो शायद टीवी स्क्रीन पर पहले कभी नहीं दिखीं।…. मेरा काम देखने, उसे सराहने और मुझे प्रोत्साहित करने वाले तमाम दर्शकों, बुद्धिजीवियों, बड़ो का दिल से शुक्रिया।….विशेष शुक्रिया उनका जिन्होंने मुझे खामिओं से अवगत करवाया । …कई बार लोगों के फोन इस बाबत भी आते रहे कि -”भई वाह क्या बात है” …और बस उसी बात से मेरी बात बनती चली गयी । ….

स्टूडियों में प्रादेशिक भाषा का बुलेटिन -“आपणी ख़बरां”हो , डिबेट हो, खास मुलाकात हो, लोगों के बीच जाकर जनता की आवाज उठाता जनमंच हो, राजस्थान की विरासत किले, बावड़ियों, गुफाओं और महलों से जुड़ी विशेष खबरें हों , मरुधरा में मोहब्बतों की खुशबू से लबरेज खबरें हो, पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर फौज और बीएसएफ का साथ हो, रहस्यों से जुड़ी खबरें , चुनावी चुस्की का जायका हो या फिर मरुधरा का महासंग्राम , होली के कवि सम्मेलन, गली गली जाता ऑटोमें रिपोर्टर हो , या फिर दिव्यांगों और जरूरतमंदो की पीड़ा, कोरोना पर मजदूरों का साथ …या फिर देश को अपनी जान पर खेलकर पहली बार कोरोना वार्ड की लाइव तस्वीरें दिखाने का माद्दा… यह सब आप सभी के प्यार का नतीजा था । …. कौन हमें क्या देता है मायने नहीं रखता बल्कि हम क्या दे रहे हैं, ये मायने रखता है ।

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“अकड़” शब्द में कोई ‘मात्रा’ नहीं है, मगर यह अलग- अलग ‘मात्रा’ में, सबमें मौज़ूद है। लेकिन मैंने इस मात्रा पर अंकुश लगाए रखा और कभी किसी के साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया । ….. ख़ैर ये सब कहने वाला मैं कौन होता हूं … ये तो आपका स्नेह तय करता है …. जिसमें मुझे कोई कमी दिखायी नहीं दी । …. फिर भी कोई मानवीय भूल मझसे हुई हो , किसी को मुझसे कभी पीड़ा हुई हो , जाने अनजाने किसी का दिल दुखा हो तो प्लीज …. दिल पर मत लेना यार। आपका दिल दुखता है… तो मुझे भी दर्द होता है ….लेकिन, किसी का पेट दुख रहा हो तो बात अलग है । वो दुखाता रहे , उसे खुली छूट है ।

काम के दौरान कई लोग होते हैं जो दिल मे ठहर जाते है और कई दिमाग में। ख़ैर, विदाई की इस बेल में ज़्यादा दिमाग क्यूँ लगाना । समय के साथ बहुत कुछ बदलता है – वक़्त, हालात, ओहदे, और कुछ हद तक लोग भी । कहते हैं कि ‘बदले’ के भाव से ‘बदलाव’ का भाव ज़्यादा अच्छा है….. जो बदल गए उन्हें बदलाव मुबारक … जो सम्भल गए, उन्हें नयी राह मुबारक …. । सभी साथियों, मार्गदर्शकों, दर्शकों, फ़ेसबुक मित्रों का शुक्रिया।.. आप सब मेरी ताक़त हो। ये स्नेह यूँ ही बनाए रखना । आप सबकी दुआएं रही तो फिर कुछ नया करेंगे …बेहतर करेंगे …. और करते रहेंगे ।गत को अलविदा कहना ही होता है आगत के स्वागत में ।

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….दुनियां की रीत है कोई नए ‘मंच’ पर खुश होता है… तो कोई सफल हुए ‘प्रपंच’ पर …. अपनी अपनी खुशी है …। बनाए रखिए ।… छोटी सी इस दुनिया में हम बड़े इरादे लिए चलते रहेंगे …… पत्रकारिता के अग्निपथ पर।

अलविदा -” NEWS-18 RAJASTHAN
— भँवर पुष्पेंद्र चौहान

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