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सुप्रीम कोर्ट में भास्कर को सबसे ज्यादा नंगा किया गया

शशिकांत सिंह

मंगलवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा नंगा किया गया दैनिक भास्कर को। इस सुनवाई के दौरान सभी सीनियर वकीलों ने दैनिक भास्कर की सच्चाई से माननीय सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। देश भर के पत्रकारों की मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को विस्तार से बताया कि एक हजार करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर की इस कंपनी ने आज तक किसी भी वेज बोर्ड का पालन नहीं किया, चाहे वो पालेकर वेज बोर्ड हो, बछावत हो, मणिसाना वेज बोर्ड हो या फिर मजीठिया वेज बोर्ड।

शशिकांत सिंह

मंगलवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा नंगा किया गया दैनिक भास्कर को। इस सुनवाई के दौरान सभी सीनियर वकीलों ने दैनिक भास्कर की सच्चाई से माननीय सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। देश भर के पत्रकारों की मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को विस्तार से बताया कि एक हजार करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर की इस कंपनी ने आज तक किसी भी वेज बोर्ड का पालन नहीं किया, चाहे वो पालेकर वेज बोर्ड हो, बछावत हो, मणिसाना वेज बोर्ड हो या फिर मजीठिया वेज बोर्ड।

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एक एडवोकेट ने तो सुप्रीम कोर्ट को यहां तक अवगत कराया कि दस से ज्यादा राज्यों में इसके तमाम संस्करण हैं और लेकिन सबसे ज्यादा यहीं शोषण है, जो वेज बोर्ड की मांग करता है उसका निलंबन या स्थानांतरण कर दिया जाता है। इतनी जानकारियां पाने के बाद इस मामले की सुनवाई कर रहे विद्वान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी आश्चर्य व्यक्त किया। माना जा रहा है कि जिस तरह दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई में तलब कर लिया है, उसी तरह अगली बार दैनिक भास्कर के मालिकों चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल और मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल को भी सुप्रीम कोर्ट के सामने आने के लिए आदेश जारी हो सकता है।

मंगलवार को हुयी सुनवाई में मालिकों की तरफ से एडवोकेट सलमान खुर्शीद का एकदम शांत रहना भी लोगों की समझ से परे था। वैसे आपको बता दें कि अपने घमंड में चूर दैनिक भास्कर के मालिकों को अगर सुप्रीम कोर्ट ने बुला लिया और दो चार मालिकों को जेल में डाल दिया तो तय मानिये कि देश भर के अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ अपने कर्मचारियों को देना ही पड़ेगा। इसको लेकर भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह का यह कथन उचित जान पड़ता है : ”हजारों मीडियाकर्मियों को खून के आंसू रुलाने वाले दैनिक जागरण के गुप्ताज को उच्चतम न्यायालय ने सबक सिखाने का मूड बना लिया है… देरी से लेकिन सही कदम.. थैंक्यू सुप्रीम कोर्ट.. एक को मारोगे तो बाकी मालिक सब खुद मूतेंगे… बधाई मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने वाले मीडियाकर्मी शेरों को…”

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शशिकान्त सिंह
पत्रकार एवं आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335

पूरे प्रकरण को समझने के लिए इन्हें भी पढ़ें…

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0 Comments

  1. विपिन

    October 5, 2016 at 1:33 pm

    भाई साहब, प्रणाम और बधाई आपको। आप जैसे लोगों की वजह से ही ग़ुरबत मे जीवन काट रहे पत्रकारों को एक उम्मीद बंधी है। आपको और मजीठिया के लिए संघर्ष कर रहे सभी साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद। सर, आपके किसी भी अपडेट मे अमर उजाला का नाम नहीं है।अमर उजाला के बारे मैं कोई अपडेट हो तो कृपया साझा कीजिये।

  2. pratik

    October 8, 2016 at 3:14 pm

    खबरों के माध्यम से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद….
    कृपया अन्य अखबारों की श्रेणी व कर्मचारियों के वेतनमान की ग्रेड उपलब्ध करा दें तो ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकेंगे। अभी भी ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हैं। अत: वे इस दिशा में कोई पहल नहीं कर पा रहे हैं। आपके इस प्रयास से वे कर्मचारी भी लाभान्वित हो जिन्हें अपने अखबारों के बारे में ग्रेड पता हो….

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