मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने और सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानून, न्याय, संविधान तक की भावनाओं की अनदेखी करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आज दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को अगली सुनवाई पर, जो कि 25 अक्टूबर को होगी, कोर्ट में तलब किया है. आज सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न किए जाने को लेकर सैकड़ों मीडियाकर्मियों द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई हुई.
कोर्ट ने आज के दिन कई प्रदेशों के लेबर कमिश्नरों को बुला रखा था. कोर्ट ने सभी लेबर कमिश्नरों से कहा कि जिन जिन मीडियाकर्मी ने क्लेम लगाया है, उसमें वे लोग रिकवरी लगाएं और संबंधित व्यक्ति को न्याय दिलाएं. कोर्ट के इस आदेश के बाद अब श्रम विभाग का रुख बेहद सख्त होने वाला है क्योंकि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही बरतने पर उत्तराखंड के श्रमायुक्त के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था.
सैकड़ों मीडियाकर्मियों की याचिका का प्रतिनिधित्व करते हुए एडवोकेट उमेश शर्मा ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दैनिक जागरण की किसी भी यूनिट में किसी भी व्यक्ति को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से न तो एरियर दिया गया है और न ही सेलरी दी जा रही है.
साथ ही दैनिक भास्कर समूह के बारे में भी विस्तार से बताया गया. आज सुप्रीम कोर्ट ने जागरण के मालिकों को कोर्ट में आने के लिए आदेश कर दिया है ताकि उनसे पूछा जा सके कि आखिर वो लोग क्यों नहीं कानून को मानते हैं. चर्चा है कि अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट भास्कर के मालिकों को तलब कर सकता है. फिलहाल इस सख्त आदेश से मीडियाकर्मियों में खुशी की लहर है.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुंबई के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह भी मौजूद थे. उन्होंने फोन करके बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट ने जो सख्ती दिखाई है उससे वे लोग बहुत प्रसन्न है और उम्मीद करते हैं कि मालिकों की मोटी चर्बी अब पिघलेगी. सैकड़ों मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित अपने हक के लिए गाइड करने वाले पत्रकार शशिकांत सुप्रीम कोर्ट में हुई आज की सुनवाई की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिसे जल्द भड़ास पर प्रकाशित किया जाएगा.
अपडेटेड न्यूज (7-10-2016 को दिन में डेढ़ बजे प्रकाशित) ये है….
ये क्या, सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में जागरण के मालिकों को तलब करने का जिक्र ही नहीं!
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yashwant
October 4, 2016 at 11:04 am
हजारों मीडियाकर्मियों को खून के आंसू रुलाने वाले इन गुप्ताज को उच्चतम न्यायालय ने सबक सिखाने का मूड बना लिया है… देरी से लेकिन सही कदम.. थैंक्यू सुप्रीम कोर्ट.. एक को मारोगे तो बाकी सब खुद मूतेंगे… बधाई मजीठिया वेज बोर्ड सी लड़ाई लड़ने वाले मीडियाकर्मी शेरों…
yashwant
October 4, 2016 at 11:05 am
आज तो गुरु जागरण के मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने तलब कर लिया है… मीडियाकर्मियों का खून पीने वाला महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को इनके बड़े बड़े वकील भी न बचा सके… लगता है इनके पाप का घड़ा भर गया है…
shashikant singh
October 4, 2016 at 11:18 am
सभी लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की रिकवरी काटने का सख्त आदेश… लेबर कमिश्नरों को आज माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा और दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेन्द्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया है। साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए। माननीय सुप्रीमकोर्ट में आज पत्रकारों की तरफ से लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ उमेश शर्मा ने 17(1) के कलेम को 17(२) में डालने के मुद्दे को जमकर उठाया और देश भर के पत्रकारों के चेहरे पर एक बार फिर ख़ुशी ला दी। एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने 20 (जे) और वेरीयेबल पेय का मुद्दा उठाया। एडवोकेट परमानंद पांडे ने भी जमकर अपना पक्ष रखा। माननीय सुप्रीमकोर्ट ने आज सभी लेबर कमिश्नरों को साफ़ कह दिया आप आरसी काटिये और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को लागू कराकर पूरी रिपोर्ट लेकर तीन महीने में आइये। इस मामले में आज महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली, उत्तरांचल के लेबर कमिश्नरों को तलब किया गया था। इन लेबर कमिश्नरों ने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और दूसरे बड़े अखबारों की मजीठिया वेज बोर्ड लागू ना करने की मंशा संबंधी रिपोर्ट दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को रखी गयी है जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और कर्नाटक सहित पांच राज्यों के लेबर कमिश्नरों को तलब किया गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़े कानूनी प्वाइंट पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335
राहुल दुबे संघर्ष
October 8, 2016 at 4:28 pm
लेकिन जिन लोगों से दम्भर काम लिया जा रहा है न तो ट्रेनी कर रहे न मजदूरों के सापेक्ष वेतन उनका क्या वो कोर्ट और वकील साहब को न दिखा होगा शायद