Vijay Shanker Singh : न्याय हुआ है यह तो महत्वपूर्ण है ही, पर न्याय होता दिखे, यह अधिक महत्वपूर्ण है. जस्टिस अरुण मिश्र को अब उन मुकदमों की सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए, जिनमे सरकार से जुड़े सीधे नीतिगत मामलो में जनहित याचिकाएं दायर की गयी हैं। प्रधानमंत्री के बारे में उनका …
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आदिवासियों व वनवासियों की बेदखली पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों को फटकारा
उच्चतम न्यायालय ने आदिवासियों और वनवासियों को भारी राहत देते हुए उन्हें फिलहाल जंगल से बेदखल नहीं करने का आदेश दिया है. उच्चतम न्यायालय ने 13 फरवरी के आदेश पर रोक लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगायी और पूछा कि अब तक क्यों सोते रहे. जंगल की जमीन पर इन आदिवासियों और …
दीवानी मामलों को आपराधिक बनाने पर सुप्रीमकोर्ट सख्त
धारा 482 के तहत हाईकोर्ट यह जाँच कर सकता है कि दीवानी मामले को आपराधिक रंग तो नहीं दिया जा रहा है… आजकल दीवानी मामलों की सुनवाई में अतिशय अदालती देरी के चलते दीवानी मामलों को आपराधिक रंग देने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है, ताकि मन मुताबिक समझौते की संभावना बन सके. यही …
मोदी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में इस बड़ी जीत से डिफॉल्टर कंपनियों में खलबली
सुप्रीम कोर्ट की कसौटी पर खरा उतरा दिवालिया कानून… लोन डिफॉल्टर्स पर शिकंजा कसने के लिए इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड… उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) यानी दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की संवैधानिक वैधता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. उच्चतम न्यायालय ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की संवैधानिक …
मास्टर आफ रोस्टर बनाम मास्टर आफ कॉलेजियम : न्यायपालिका की स्वतंत्रता दांव पर!
कॉलेजियम की सिफारिशों पर विधि क्षेत्रों में गम्भीर विवाद शुरू हो गया है। एक ओर जहाँ दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने उच्च न्यायालय के दो जस्टिसों को उच्चतम न्यायालय में भेजे जाने की कॉलेजियम की सिफारिश का विरोध किया है वहीं दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने …
कोर्ट से बहाल सैकड़ों मीडियाकर्मियों को एचटी प्रबंधन ने खाली मैदान व गोदाम में कराया ज्वाइन (देखें वीडियो)
हिंदुस्तान टाइम्स कर्मचारियों के साथ एक और बड़ा धोखा… सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 272 कर्मचारियों को हिंदुस्तान टाइम्स ने विदाउट प्रोड्यूस अप्वाइंटमेंट लेटर जारी किए हैं जिसमें कर्मचारी को 14 जनवरी से नौकरी पर रखने के लिए जिस स्थान का ऐड्रस (खसरा नंबर 629 कादीपुर विलेज दिल्ली) लिखा है, वहां गोदाम और खाली …
रंजन गोगोई जब चीफ जस्टिस बने थे तो बीजेपी वालों को साँप सूंघ गया था…
Navneet Mishra : जैसे आज जस्टिस सीकरी को लेकर अनर्गल कनेक्शन जोड़े जा रहे, वैसे रंजन गोगोई जब चीफ जस्टिस बने थे तो बीजेपी वालों को साँप सूंघ गया था- अरे ये तो कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे शख्स के बेटे हैं। सरकार के लिए जरूर परेशानी खड़ी करेंगे, काग्रेस के नमक का क़र्ज़ अदा करेंगे…. वहीं …
न्यायमूर्ति काटजू! साल में 2-3 बार लंदन जाने का मौका क्या ऊंचा ओहदा नहीं है?
द प्रिंट की खबर पर न्यायमूर्ति काटजू का एतराज सहमत होने लायक नहीं है… न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने न्यायमूर्ति सीकरी मामले में अंग्रेजी में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है। इसका शीर्षक अगर हिन्दी में लिखा जाए तो ये होगा- ‘क्या भारतीय मीडिया को शर्म नहीं है?’ इस पोस्ट में उन्होंने कहा है न्यायमूर्ति सीकरी …
फ़ैसला अगर ख़िलाफ़ है, कह दो- जज बेईमान है!
जस्टिस सीकरी ने लंदन में कॉमनवेल्थ ट्राइब्यूनल की पोस्टिंग का प्रस्ताव ठुकराकर बहुत अच्छा किया। कोई भी व्यक्ति जो अपने चरित्र पर कीचड़ उछाला जाना बर्दाश्त नहीं कर सकता, वह ऐसा ही करता। उम्मीद है कि आलोक वर्मा मामले में उनपर जो आरोप लगा था कि चार साल की इस पोस्टिंग के लालच में उन्होंने …
ईमानदार होना ही नहीं, ईमानदार दिखना भी चाहिए योर ऑनर!
जस्टिस सीकरी जब चयन समिति की बैठक में शामिल हुये, उसके पहले वे कॉमनवेल्थ ट्राइब्यूनल में भेजने के सरकारी प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे चुके थे कहते हैं ईमानदार होना ही नहीं ईमानदार दिखना भी चाहिए। आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने के लिए चयन समिति की बैठक में चीफ जस्टिस रंजन …
जस्टिस सीकरी का ‘इंसाफ’ : रिटायरमेंट के बाद हुजूर को सरकार भेजेगी लंदन!
Ravish Kumar : हिन्दी में पढ़ने पर यह लिखा मिलेगा कि जस्टिस सिकरी को रिटायरमेंट के बाद लंदन स्थित कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरियल आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल का सदस्य बनाया जाएगा। चार साल क लिए यह नियुक्ति होती है। छह मार्च को जस्टिस सिककी रिटायर हो रहे हैं। मनीष छिब्बर ने दि प्रिंट के लिए यह ख़बर लिखी है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक जज को मिलते हैं 11 कर्मचारी
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित प्रत्येक जज को सहवर्ती स्टाफ के रूप में 11 कर्मी प्रदान किये जाते हैं. इनमे 01 वैयक्तिक सचिव, 02 वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक, 01 चालाक, 01 प्रवेशक तथा 06 कनिष्ठ कोर्ट परिचारक शामिल हैं. यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के जन सूचना अधिकारी अजय अग्रवाल …
वरिष्ठ IRS अधिकारी ने दो महिला IRS अफसरों को उनके मुंह पर कह दिया ‘वेश्या’!
आईआरएस अधिकारी संजय श्रीवास्तव ‘वेश्या’ कहे जाने को सुप्रीम कोर्ट ने भी किया नजरअंदाज, कैट ने आईआरएस अधिकारियों शुमाना सेन और अशिमा नेब का प्रमोशन रोका…. सुप्रीम कोर्ट ने आईआरएस अधिकारी शुमाना सेन और एक अन्य आईआरएस अधिकारी अशिमा नेब को कमिश्नर एसके श्रीवास्तव द्वारा “वेश्या” कहे जाने को नजरअंदाज कर दिया। ज्ञात हो कि …
बालिकागृह रेप कांड की रिपोर्टिंग पर रोक को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया
Santosh Singh : मुजफ्फरपुर बालिकागृह रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मीडिया के रिपोर्टिंग की तारीफ करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर बालिकागृह रेप मामले में रिपोर्टिंग पर लगा बैन गलत है और अभी से इस बैन को खत्म किया जाता है। पत्रकार की ओर से दलील दे रही वकील ने कोर्ट के सामने …
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को कड़ी फटकार लगाई- ‘बहानेबाजी मत करो, यह बताओ घर कब दोगे’
सुप्रीम कोर्ट ने आज बेइमान और धोखेबाज बिल्डर कंपनी आम्रपाली के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. घर पाने से वंचित निवेशकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के निदेशकों से पूछा है कि बिना बहानेबाजी किए यह साफ साफ बताओ, घर कब दोगे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा- बहानेबाजी मत करो. यह गंभीर मसला है. लोगों की जीवनभर की कमाई लगी है. साफ बताओ, घर कब दोगे. आपको उत्तरदायी बनना पड़ेगा. आम्रपाली को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वो एक सप्ताह के अंदर अपने हर प्रोजेक्ट के प्लान से संबंधित रेसोल्यूशन जमा करें.
दो सौ करोड़ रुपये के विज्ञापन फर्जीवाड़े मामले में हिंदुस्तान अखबार की मालकिन शोभना भरतिया के खिलाफ सुनवाई पांच दिसंबर को
Rs.200 crore Dainik Hindustan Government Advertisement Scam of Bihar : Supreme court of India will hear Shobhana Bhartia’s Criminal Appeal No.-1216/2017 on Dec.05, 2017 next…
By ShriKrishna Prasad, advocate, Munger, Bihar
The order of the court of Hon’ble Mr.Justice R.K.Agrawal and Hon’ble Mr.Justice Navin Sinha on Nov 28,2017
New Delhi : In the globally talked Rs.200 crore Dainik Hindustan Government Advertisement Scandal, the Supreme Court of India, on Nov,28, 2017 , has notified through its website that the Supreme Court of India (New Delhi) will list Criminal Appeal No.1216/2017 {SLP(Criminal)No.1603/2013} for hearing in the court of Hon’ble Mr.Justice R.K.Agrawal on Dec 05, 2017 next.
मजीठिया मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को राहत देने से किया इनकार
धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, लतिका चव्हाण और आलिया शेख के मामले में भास्कर प्रबंधन को लगा झटका
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गए दैनिक भास्कर (डी बी कॉर्प लि.) अखबार के प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए उसे वापस मुंबई उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए मजबूर कर दिया है। यह पूरा मामला मुंबई में कार्यरत दैनिक भास्कर के प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह संग मुंबई के उसी कार्यालय की रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया इम्तियाज़ शेख की मजीठिया वेज बोर्ड मामले में जारी रिकवरी सर्टीफिकेट (आरसी) से जुड़ा हुआ है… पत्रकार सिंह और रिसेप्शनिस्ट चव्हाण व शेख ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा के मार्गदर्शन एवं उन्हीं के दिशा-निर्देश में कामगार आयुक्त के समक्ष 17 (1) के तहत क्लेम लगाया था।
एचटी बिल्डिंग के सामने सिर्फ एक मीडियाकर्मी नहीं मरा, मर गया लोकतंत्र और मर गए इसके सारे खंभे : यशवंत सिंह
Yashwant Singh : शर्म मगर इस देश के मीडिया मालिकों, नेताओं, अफसरों और न्यायाधीशों को बिलकुल नहीं आती… ये जो शख्स लेटा हुआ है.. असल में मरा पड़ा है.. एक मीडियाकर्मी है… एचटी ग्रुप से तेरह साल पहले चार सौ लोग निकाले गए थे… उसमें से एक ये भी है… एचटी के आफिस के सामने तेरह साल से धरना दे रहा था.. मिलता तो खा लेता.. न मिले तो भूखे सो जाता… आसपास के दुकानदारों और कुछ जानने वालों के रहमोकरम पर था.. कोर्ट कचहरी मंत्रालय सरोकार दुकान पुलिस सत्ता मीडिया सब कुछ दिल्ली में है.. पर सब अंधे हैं… सब बेशर्म हैं… आंख पर काला कपड़ा बांधे हैं…
इस संजय गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट की बात न मानने पर हुई दस दिन की जेल, एक करोड़ 32 लाख रुपये जुर्माना भी भरना होगा
ये संजय गुप्ता एक मिल मालिक हैं. इनका भी काम कोर्ट को गुमराह करना हो गया था. सो, इस संजय गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट ने दस दिन की जेल और एक करोड़ 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाकर दिमाग ठिकाने पर ला दिया. इस फैसले से पता चलता है कि कोई भी अगर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेगा और अदालत को गुमराह करते पाया गया तो उसे एक लाख रुपये प्रतिमाह का जुर्माना और दस दिन की जेल होगी. सोमवार को शीर्ष अदालत ने संजय गुप्ता नामक एक मिल मालिक को 10 दिन की कैद के साथ-साथ एक करोड़ 32 लाख रुपये का जुमार्ना सुनाया है.
(पार्ट थ्री) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें
16. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीकार करने और अधिसूचना जारी किए जाने के बाद श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड के तहत अपना वेतन/मजदूरी प्राप्त करने के हकदार हैं। यह, अवमानना याचिकाकर्ताओं के अनुसार, अधिनियम की धारा 16 के साथ धारा 13 के प्रावधानों से होता है, इन प्रावधानों के तहत वेजबोर्ड की सिफारिशें, अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित होने पर, सभी मौजूदा अनंबधों के साथ श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट अनुबंध/ठेका व्यवस्था को अधिलंघित (Supersedes) करती है या इसकी जगह लेती है।
मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज आया पूरा फैसला इस प्रकार है…
जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले को सुप्रीमकोर्ट ने अवमानना मामले से अटैच किया
दैनिक जागरण के गया जिले (बिहार) के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर के मामले पर आज सोमवार को माननीय सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मुकदमे की सुनवाई कोर्ट नम्बर 4 में आयटम नम्बर 9, सिविल रिट 330/2017 के तहत की गई। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए इस मामले को भी मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामला संख्या 411/2014 के साथ अटैच कर दिया है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे ही अन्य मामलों पर निर्णय आने वाला है, लिहाजा याचिका का निपटारा भी इसी में हो जाएगा।
दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी ऐतिहासिक सुनवाई
पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश रखेंगे मीडियाकर्मी का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष… देश भर के अखबार मालिकों की जहां मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सांस टंगी है वहीं दैनिक जागरण के बिहार के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर मामले में आज सोमवार को सुप्रीमकोर्ट में एक ऐतिहासिक सुनवाई होने जा रही है। ऐतिहासिक इस मामले में यह सुनवाई होगी कि दैनिक जागरण, बिहार के गया जिले के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार का तबादला किए जाने पर फौरन सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही है, साथ ही पीड़ित पत्रकार का पक्ष माननीय सुप्रीमकोर्ट में पटना हाई कोर्ट के रिटायर मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश नागेंद्र राय रखेंगे।
माई लॉर्ड ने वरिष्ठ पत्रकार को अवमानना में तिहाड़ भेजा पर मीडिया मालिकों के लिए शुभ मुहुर्त का इंतजार!
ये क्या, सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में जागरण के मालिकों को तलब करने का जिक्र ही नहीं!
सुप्रीमकोर्ट के लिखित आदेश से समाचारपत्र कर्मियों में निराशा : माननीय सुप्रीमकोर्ट में 4 अक्टूबर को हुयी मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के बाद लिखित आदेश कल 6 अक्टूबर को आया। लेकिन इस आदेश में दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को तलब किए जाने का जिक्र ही नहीं है। न ही इन दोनों का नाम किसी भी संदर्भ में लिया गया है। यानि संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट में उपस्थित नहीं रहना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में भास्कर को सबसे ज्यादा नंगा किया गया
शशिकांत सिंह
मंगलवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा नंगा किया गया दैनिक भास्कर को। इस सुनवाई के दौरान सभी सीनियर वकीलों ने दैनिक भास्कर की सच्चाई से माननीय सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। देश भर के पत्रकारों की मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को विस्तार से बताया कि एक हजार करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर की इस कंपनी ने आज तक किसी भी वेज बोर्ड का पालन नहीं किया, चाहे वो पालेकर वेज बोर्ड हो, बछावत हो, मणिसाना वेज बोर्ड हो या फिर मजीठिया वेज बोर्ड।
सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को दिया सख्त निर्देश- आरसी काटिये और वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कराइए
सुप्रीम कोर्ट से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट…
सभी लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की रिकवरी काटने का सख्त आदेश… लेबर कमिश्नरों को आज माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा और दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेन्द्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया है। साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए।
सुप्रीम कोर्ट ने जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन और संजय गुप्ता को तलब किया
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने और सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानून, न्याय, संविधान तक की भावनाओं की अनदेखी करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आज दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को अगली सुनवाई पर, जो कि 25 अक्टूबर को होगी, कोर्ट में तलब किया है. आज सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न किए जाने को लेकर सैकड़ों मीडियाकर्मियों द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट जजों के बौद्धिक स्तर पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू का सवालिया निशान!
I think the time has come to tell Indians about the intellectual level and background of most Indian Supreme Court judges. While some of them have high intellectual level and character, like Justice Chalameshwar and Justice Nariman, the vast majority of the present Supreme Court Judges are people of very low intellectual level. I can say this because …
मजीठिया : बेहद सख्त सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत पांच राज्यों के सचिवों को नए एक्शन रिपोर्ट के साथ 23 अगस्त को तलब किया
मीडिया मालिकों के कदाचार और सरकारी अफसरों की नपुंसकता से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब एक एक को देख लेने का इरादा बना लिया है. अपना रुख बहुत सख्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों से आई रिपोर्ट को एक साथ एक बार में नहीं देखा जा सकता और इसमें बहुत सारी बातें स्पष्ट भी नहीं है इसलिए अब यूपी समेत पांच राज्यों की समीक्षा होगी और समीक्षा के दौरान संबंधित राज्यों के सचिव सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे. शुरुआत में नार्थ इस्ट के पांच राज्य हैं जिनके सचिवों को अपनी नवीनतम एक्शन रिपोर्ट तैयार करके 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाजिर रहने को कहा है.
जानो कानून : : सुप्रीम कोर्ट का फैसला- फेसबुक पर किसी की आलोचना करना अपराध नहीं, एफआईआर रद्द करो
Facebook postings against police… criticising police on police’s official facebook page…. F.I.R lodged by police….
HELD – Facebook is a public forum – it facilitates expression of public opinion- posting of one’s grievance against government machinery even on government Facebook page does not by itself amount to criminal offence – F. I.R. Quashed.
(Supreme Court)
Manik Taneja & another – Vs- State of Karnataka & another
2015 (7) SCC 423
जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है!
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति पर ‘चौथी दुनिया’ में छपी प्रभात रंजन दीन की ये बेबाक रिपोर्ट पढ़ें
जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है. जज अपने बेटों और नाते रिश्तेदारों को जज बना रहे हैं। और सरकार को उपकृत करने के लिए सत्ता के चहेते सरकारी वकीलों को भी जज बनाने की संस्तुति कर रहे हैं. न्यायाधीश का पद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रभावशाली जजों का खानदानी आसन बनता जा रहा है. जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई अद्यतन सूची में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बेटे से लेकर कई प्रमुख न्यायाधीशों के बेटे और रिश्तेदार शामिल हैं.
मेरे गरीब चौकीदार पिता को इस जज ने नौकरी से निकाल दिया, अब घर कैसे चलेगा
Dear Sir,
I m pallvi from ambala city. I just want to say that My father Ramesh kumar was working in Haryana Court Ambala city as a chownkidar from 20 years under session judge (Mr.Jaiveer singh Hudda). Before 5 years, My father suspended by Mr. Jaivir Singh hUdda with wrong ellications. At that time my father was working in hudda’s Kothi. But in which document Mr. Hudda Said that everything wrong in court then he suspended my father. At that time 15 Employees suspended by Mr.Hudda. One person can make mistake. But 15 Peoples can’t do at same time.
Yashwant Singh Versus Salman Salim Khan
: सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ 13 मई 2015 को सुप्रीम कोर्ट में दायर PIL का संपूर्ण कंटेंट :
IN THE SUPREME COURT OF INDIA
(EXTRAORDINARY CRIMINAL WRIT JURISDICTION)
WRIT PETITION (CRIMINAL) NO. xxx 2015
In the matter of:
MEMO OF PARTIES
सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर
एडवोकेट उमेश शर्मा और पत्रकार यशवंत सिंह मीडिया को जनहित याचिका के बारे में जानकारी देते हुए.
एक बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है. सलमान खान को मिली जमानत खारिज कर उन्हें जेल भेजे जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज एक जनहित याचिका दायर की गई. यह याचिका चर्चित मीडिया पोर्टल Bhadas4Media.com के संपादक यशवंत सिंह की तरफ से अधिवक्ता उमेश शर्मा ने दाखिल की. याचिका डायरी नंबर 16176 / 2015 है. जनहित याचिका के माध्यम से इस बात को अदालत के सामने लाया गया है कि सेशन कोर्ट बॉम्बे ने इस मामले में पहले से निर्देशित कानून का पालन जानबूझ कर नहीं किया जिसकी वजह से सलमान खान को बेल आराम से मिल गयी और इससे भारत के पढ़े-लिखे लोग सन्न है. हर तरफ कोर्ट पर सवाल उठाए जाने लगे. सोशल मीडिया पर कोर्ट के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई.
भारतीय न्यायिक व्यवस्था के सबसे बड़े गड़बड़झाले के बारे में होगा खुलासा, आप भी आइए
अगर आप फेसबुक पर हैं, अगर आप ट्वीटर पर हैं, अगर आप ब्लागर हैं, अगर आप न्यूज पोर्टल संचालक हैं, अगर आप अखबार में हैं, अगर आप मैग्जीन में हैं, अगर आप न्यूज चैनल में हैं, अगर आप किसी भी रूप में मीडियाकर्मी हैं, अगर आप सिटीजन जर्नलिस्ट हैं, अगर आप सोशल एक्टिविस्ट हैं, अगर आप जनसरोकारी हैं, अगर आप न्यायपालिका के वर्तमान चाल चरित्र से नाखुश हैं तो आप का इस आयोजन में पहुंचना बनता है. आयोजन यानि एक नए किस्म की प्रेस कांफ्रेंस. इसमें कारपोरेट मीडिया हाउसों के पत्रकार साथियों के अलावा ब्लागरों, सोशल मीडिया के यूजरों समेत अन्य सोच-समझ वाले लोगों को भी बुलाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मीडियाकर्मियों को दिया गलती सुधारने का एक विशेष मौका
दबाव, जबर्दस्ती, अज्ञानता, भय, मजबूरी या कंफर्ट जोन में रहने की आदत। जो भी कहें, दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने एक गलती तो कर ही दी है कि 20-जे के तहत कंपनी को सुप्रीम कोर्ट में फायदा उठाने का मौका दे दिया है। अब जब लोग ताल ठोंक कर सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गए हैं तो अदालत ने उन्हें अपनी गलती सुधारने का एक विशेष मौका दे दिया है।
मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश मीडिया मालिकों के पक्ष में है या मीडियाकर्मियों के? …एक विश्लेषण
: अब जो-जो मीडियाकर्मी राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त विशेष श्रम अधिकारी के यहां लिखकर दे देगा कि उसे मजीठिया वेज बोर्ड का फायदा नहीं दिया गया है, उसे लाभ मिलने का रास्ता खुल जाएगा… एक तरह से देखा जाए तो अब उन मीडियाकर्मियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड मिलने का रास्ता खुल गया है जिनसे मालिकों ने जबरन किन्हीं कागजों पर साइन करवा लिया है … : मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. देश भर से आए सैकड़ों मीडियाकर्मियों और दर्जनों वकीलों के कारण खचाखच भरे कोर्ट रूम में जजों ने आदेश दिया कि प्रत्येक राज्य सरकारें हर मीडिया हाउस में लेबर इंस्पेक्टर भेजें और पता कराएं कि वहां मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट लागू हुई या नहीं. पूरी रिपोर्ट तैयार करके तीन महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट में जमा करें. इस आदेश के बाद कुछ मीडियाकर्मी प्रसन्न नजर आए तो कुछ निराश.
मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश- राज्य सरकारें तैनात करें विशेष श्रम अधिकारी, तीन माह में स्टेटस रिपोर्ट दें
SC orders state labour commissioners to submit Majithia wage boards implementation report in 3 months
नई दिल्ली : मंगलवार 28 अप्रैल को मजीठिया वेतनमान से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट में आज बहस हुई। वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विज, परमानंद पांडे, उमेश शर्मा ने जबर्दस्त दलीलें पेश कीं। करीब 45 मिनट की बहस के बाद न्यायाधीश रंजन गोगोई की खंडपीठ ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वे एक महीने में एक विशेष श्रम अधिकारी की नियुक्ति करें। यह विशेष अधिकारी नियुक्ति के तीन महीने के भीतर मजीठिया वेज क्रियान्वयन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगा। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई राज्यों के विशेष श्रम अधिकारियों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही होगी।
पढ़िए, किन-किन अखबार मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भेजा है
27 मार्च को मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान भड़ास की पहल पर दायर याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने दर्जनों अखबार मालिकों को अवमानना नोटिस भेजा है. भड़ास की पहल पर दो तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं. एक वो जिसमें पत्रकार लोग खुलकर अपने नाम पहचान के साथ अपने अपने अखबार मालिकों के खिलाफ अपने हक के लिए लड़ रहे हैं.
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)
Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों से कहा- क्यों न तुम सभी के खिलाफ कंटेप्ट आफ कोर्ट का मुकदमा शुरू किया जाए!
लगता है उंट पहाड़ के नीचे आने वाला है. अपने पैसे, धंधे, दलाली, लायजनिंग, शोषण, पावर से नजदीकी, सत्ता-सिस्टम में दखल के बल पर खुद को खुदा समझने वाले मीडिया मालिकों पर आम मीडियाकर्मियों की आह भारी पड़ने वाली है. लेबर डिपार्टमेंट, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, सीएम, पीएम, डीएम निचली अदालतों आदि तक को मेनुपुलेट करने की क्षमता रखने वाले मीडिया मालिकों को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के आगे पसीना आने वाला है. आज मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी दस याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित सभी मीडिया मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : अमर उजाला को जवाब दायर करने का अब आखिरी मौका, भारत सरकार भी पार्टी
अमर उजाला हिमाचल से खबर है कि यहां से मजीठिया वेज बोर्ड के लिए लड़ाई लड़ रहे प्रदेश के एकमात्र पत्रकार को सब्र का फल मिलता दिख रहा है। अमर उजाला के पत्रकार रविंद्र अग्रवाल की अगस्त 2014 की याचिका पर सात माह से जवाब के लिए समय मांग रहे अमर उजाला प्रबंधन को इस बार 25 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आखिरी बार दस दिन में जवाब देने का समय दिया है। अबकी बार कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि अगर इस बार जवाब न मिला तो अमर उजाला प्रबंधन जवाब दायर करने का हक खो देगा और कोर्ट एकतरफा कार्रवाई करेगा।
मजीठिया के लिए कोर्ट गए दिव्य मराठी के हेमकांत को भास्कर प्रबंधन प्रताड़ित कर रहा
औरंगाबाद दिव्य मराठी में कार्यरत हेमकांत चौधरी अपने हक के लिए गुजरात हाईकोर्ट गए हैं. वे मजीठिया वेज बोर्ड के तहत सेलरी व एरियर न देने पर अखबार प्रबंधन के खिलाफ खुलकर लड़ रहे हैं. जैसे ही कंपनी को पता चला कि हेमकांत ने केस लगाया है, उत्पीड़न शुरू कर दिया गया. दिव्य मराठी अखबार दैनिक भास्कर समूह का मराठी दैनिक है. औरंगाबाद दिव्य मराठी से हेमकांत चौधरी द्वारा हाईकोर्ट जाने पर कोर्ट ने भास्कर मैनेजमेंट को नोटिस जारी कर दिया.
दैनिक भास्कर होशंगाबाद के 25 कर्मचारी मजीठिया के लिए गए हाईकोर्ट, नोटिस जारी
दैनिक भास्कर से सबसे ज्यादा मीडियाकर्मी मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी एरियर पाने के लिए कोर्ट की शरण में गए हैं. ये संख्या हजारों में हो सकती है. ताजी सूचना होशंगाबाद यूनिट से है. यहां के करीब 25 मीडियाकर्मियों ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है. जब इसकी खबर भास्कर के वरिष्ठ पदाधिकारियों को मिली तो इन्होंने हाईकोर्ट जाने वालों कर्मियों को एक एक कर अलग अलग केबिन में बुलाया और धमकाना शुरू कर दिया. इन्हें नौकरी से निकाल दिए जाने की धमकी भी दी गई है. कर्मचारियों से कहा गया कि उन्हें सात दिन गैर-हाजिर दिखाकर नौकरी से टर्मिनेट कर दिया जाएगा.
Dainik Hindustan Advt Scam : next hearing date 13 January
New Delhi : 200 crore Dainik Hindustan Government Advertisement scandal, the Supreme Court has listed the Special Leave Petition (Criminal) No.1603/2013 (Shobhana Bhartia Vs State of Bihar & another) for hearing on January thirteen, 2015 next. Meanwhile, the Superintendent of Police,Munger(Bihar), Mr.Varun Kumar Sinha has submitted the Counter-Affidavit on behalf of the Bihar Government to Mr.Rudreshwar Singh, the counsel for the Bihar Government in the Supreme Court in the Special Leave Petition (Criminal) No. 1603 of 2013 .Now, the Counsel for the Bihar Government, Mr. Rudreshwar Singh has to file the Counter-Affidavit in the Supreme Court and has to argue on behalf of the Bihar Government in this case.
Dainik Jagran is guilty of the contempt of the Apex Court
The Supreme Court of India has taken cognizance of the contempt petition filed by the Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) on behalf of the employees against Shri Sanjay Gupta, the CEO of Jagran Prakashan Limited. The bench of Justices Ranjan Gogoi and Rohinton Fali Nariman directed the Management of Jagran Prakashan Limited on 13th October to comply with the order of the court for the implementations of the Majithia Wage Boards recommendations within two month, if the same has already not been done.
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया मालिकों से मजीठिया लागू करने को कहा, अन्यथा होगी कार्यवाही
मजीठिया के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है। 13 अक्टूबर को अवमानना याचिकाओं की सुनवायी करते हुए कोर्ट ने सभी मामलों को दो महीने के बाद लिस्ट करने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि प्रतिवादियों भास्कर, जागरण और इंडियन एक्सप्रेस ने मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया है तो इस दो महीने की अवधि के दौरान अनुपालन सुनिशचित करें अन्यथा विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
मोदी सरकार को कुंभकर्ण कहकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
खुद को काफी मेहनती और सक्षम समझने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने मिथकीय पात्र कुंभकर्ण और 19वीं सदी की एक कहानी के चर्चित कामचोर पात्र ‘रिप वान विंकल’ से की है। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इन दोनों पात्रों की तरह ही बर्ताव कर रही है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को डांट लगाने की दौरान केंद्र सरकार को भी इन दोनों विशेषणों से नवाजते हुए फटकारा। सुप्रीम कोर्ट की त्यौरियां केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय की लापरवाहियों पर चढ़ी हुई हैं। गुरुवार का मामला एक रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसे पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करना था।
सुब्रत रॉय की हिरासत पर कानूनविदों ने उठाए सवाल
नई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को तिहाड़ जेल में छह महीने से अधिक हो चुके हैं। इन छह महीनों में उनकी रिहाई की संभावनाएं कई बार बनीं और औंधे मुंह गिरीं। अब जैसै-जैसे दिन बीतते जा रहे है ये कहना मुश्किल होता जा रहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट की शर्त के अनुसार अपनी रिहाई के लिए सेबी को 10,000 करोंड़ रुपए दे भी पाएंगे या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इंकार किया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुब्रत रॉय की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया। रॉय ने अपनी बुआ के अंतिम संस्कार में शामिल होने और अन्य रस्म निभाने के लिए कोर्ट से ज़मानत की अपील की थी। सूत्रों के अनुसार रॉय ने 15 दिनों के लिए जमानत पर छोड़े जाने की अपील की थी।
लौट के सुब्रत जेल को आए
तिहाड़ के कांन्फ्रेंस हॉल में बनाए गए अस्थायी जेल-दफ्तर में करीब दो महीने रहने के बाद सुब्रत राय वापस कारागार लौट आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रॉय को उनकी विदेशी संपत्ति बेचने के लिए तिहाड़ के कॉन्फ्रेंस हॉल के इस्तेमाल की इजाज़त दी थी।