सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को दिया सख्त निर्देश- आरसी काटिये और वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कराइए

Share the news

सुप्रीम कोर्ट से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट…

सभी लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की रिकवरी काटने का सख्त आदेश… लेबर कमिश्नरों को आज माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा और दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेन्द्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया है। साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए।

माननीय सुप्रीमकोर्ट में आज पत्रकारों की तरफ से लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ उमेश शर्मा ने 17(1) के कलेम को 17(२) में डालने के मुद्दे को जमकर उठाया और देश भर के पत्रकारों के चेहरे पर एक बार फिर ख़ुशी ला दी। एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने 20 (जे) और वेरीयेबल पेय का मुद्दा उठाया। एडवोकेट परमानंद पांडे ने भी  जमकर अपना पक्ष रखा। माननीय सुप्रीमकोर्ट ने आज सभी लेबर कमिश्नरों को साफ़ कह दिया आप आरसी काटिये और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को लागू कराकर पूरी रिपोर्ट लेकर तीन महीने में आइये।

इस मामले में आज महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली, उत्तरांचल के लेबर कमिश्नरों को तलब किया गया था। इन लेबर कमिश्नरों ने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और दूसरे बड़े अखबारों की मजीठिया वेज बोर्ड लागू ना करने की मंशा संबंधी रिपोर्ट दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को रखी गयी है जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और कर्नाटक सहित पांच राज्यों के लेबर कमिश्नरों को तलब किया गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़े कानूनी प्वाइंट पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मौजूद रहे मुंबई के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकान्त सिंह की रिपोर्ट. संपर्क : 9322411335

मूल खबर…



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Comments on “सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को दिया सख्त निर्देश- आरसी काटिये और वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कराइए

  • अरुण श्रीवास्तव says:

    कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं यह सुप्रीम कोर्ट ने साबित कर मालिकों की हेकड़ी निकाल दी। इसके लिए पत्रकारो की एकता को भी सलाम करना चाहूंगा। दैनिक जागरण के उन साथियों का योगदान भी सराहनीय रहा जिन्हें संस्थान ने दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकालकर बाहर कर दिया था। राष्ट्रीय सहारा के आंदोलन ने आग में घी का काम किया । हिंदुस्तान के साथियों को दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ेगी क्योंकि यह एक मात्र ऐसा अखबार है जिसमें कोई नियमित कर्मचारी है ही नहीं सारे के सारे कांट्रैक्ट पर हैं।
    हां इसके लिए यशवंत सिंह और आदरणीय उमेश गुप्ता जी एडवोकेट बधाई के पात्र हैं। ऐसे मौके पर प्रिय अनुज शशिकांत जी सहित अन्य साथियों को भूल जाऊ तो यह आन्याय होगा। पत्रकार संगठनों की भूमिका पर फिर कभी।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *