Rajkeshwar Singh-
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में राज्य के नये मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में श्री भावेश कुमार सिंह ( रिटायर्ड आईपीएस) की नियुक्ति से आयोग में पहले से कार्यरत दो राज्य सूचना आयुक्तों की सीनियरिटी को लेकर उठे सवाल ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कहा जा रहा है कि आयोग में पहले से सूचना आयुक्त के पद पर कार्यरत एक पूर्व आईएएस और एक पूर्व आईपीएस अफ़सर भावेश कुमार सिंह से सीनियर हैं।
विधिक स्थिति यह है कि RTI act के मुताबिक़ सूचना आयोगों में नियुक्त होने वाले राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त, पूर्व में जिस किसी सेवा में रहे हों, आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति से उनकी पूर्व की सेवा का कोई संबंध नहीं होगा। SCIC या SIC के रूप में उनकी नियुक्ति एक फ़्रेश नियुक्ति (assignment) होती है, लिहाज़ा पूर्व की किसी सेवा या संवर्ग से आयोग में नियुक्त होने के बाद उनकी Seniority या Juniority का सवाल उठाया जाना बेतुका है।दूसरी बात यह भी कि सीनियर और जूनियर का सवाल अपने संवर्ग और सेवा के बीच की बात है।आयोग के भीतर सीनियर-जूनियर का सवाल पहले और बाद में नियुक्त सूचना आयुक्तों के बीच उठ सकता है, जहां तक मुख्य सूचना आयुक्त की बात है तो सूचना आयोग में वह एक ही पद होता है और आरटीआई क़ानून के मुताबिक़ SCIC ही आयोग का प्रशासनिक मुखिया होता है।
हां, व्यावहारिक तौर पर पूर्व की सेवा से किसी सीनियर रहा कोई अधिकारी अपने से कनिष्ठ रहे अधिकारी के साथ (अधीन नहीं) काम करने में अपने को असहज महसूस कर सकता है। ऐसी स्थिति में वह चाहे तो , यह उस अधिकारी के ऊपर है कि वह स्वयं ही खुद को वहां से अलग करके उस स्थिति से निजात पा ले, क्योंकि मुख्यमंत्री की अगुवाई वाली SCIC की नियुक्ति संबंधी कमेटी ने यदि सारे विधिक मापदंडों को पूरा करते हुए किसी का चयन किया है तो फिर उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
लखनऊ में Hindustan Times ने यूपी के राज्य मुख्य सूचना आयुक्त की हालिया नियुक्ति से उठते इन्हीं सवालों पर आज यह रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें मेरी भी टिप्पणी शामिल है।
लेखक राजकेश्वर सिंह पूर्व सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार हैं.