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सुख-दुख

इस अफ़सर ने दूसरी मंजिल के फ्लैट से छलांग लगाकर जान दे दी!

ओम प्रकाश तिवारी-

यूँ जाना बिमलेश जी का… बात करीब 27 साल पुरानी होगी। उन दिनों मुंबई में उत्तर प्रदेश के हिंदी अखबारों के ज्यादा ब्यूरो नहीं थे। सिर्फ मैं ही दैनिक जागरण में नया-नया ज्वाइन हुआ था। ज्यादा न्यूज चैनल्स भी नहीं थे। उन दिनों जब उत्तर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री, मंत्री या अफसर मुंबई आता था, तो उसकी कवरेज के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अधिकारी बिमलेश कुमार औदीच्य मुझसे ही संपर्क करते थे। मुख्यमंत्रियों के साथ ज्यादातर उनकी पीआर टीम के तेजतर्रार अधिकारी अशोक शर्मा जी भी आया करते थे। तब इतने बड़े इन्वेस्टर्स समिट नहीं होते थे, ना ही मुख्यमंत्री का रोड शो होता था। लेकिन उद्योगपतियों के साथ मुख्यमंत्रियों की बड़ी-बड़ी मीटिंगें तब भी जोर-शोर से होती थीं। उत्तर प्रदेश का होने के कारण मैं उसकी कवरेज में अशोक शर्मा और बिमलेश कुमार की मदद कर दिया करता था। यहीं से दोस्ती हो गई थी बिमलेश कुमार जी से।

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फर्रुखाबाद के रहनेवाले थे। हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहते थे। फोन पर बात होने लगे, तो हमेशा लंबी बात ही होती थी। कभी मैं उनके वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थित आफिस पहुंच जाऊं तो भी अच्छी बैठकी हो जाती थी। चूँकि मध्य प्रदेश टूरिज्म और सूचना विभाग का कार्यालय भी वहीं था, इसलिए वहाँ भी जाना होता रहता था। आदत के अनुसार मैं अक्सर बिमलेश जी से उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और विकास पर चर्चा करता रहता था। जब 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रोड शो के लिए मुंबई पधारे, तो भी बिमलेश अपनी शक भर सक्रिय रहे। वह अधिकारी भले पर्यटन विभाग के रहे हों, लेकिन अक्सर जिम्मेदारी उन्हें और भी विभागों की दी जाती रही। क्योंकि उत्तर प्रदेश का कोई और अधिकारी तब यहां था ही नहीं। पहले तो नई मुंबई वाला उत्तर प्रदेश भवन भी नहीं था।

2020 में कोविड महामारी की शुरुआत हुई और मुंबई में रह रहे उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों का कठिनाई से सामना होने लगा तो उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम (UPDF) से संबद्ध होने के कारण अनेक समूहों को मैंने भी बिमलेश जी से कहकर राशन-पानी की व्यवस्था करवाई। उसके बाद उत्तर प्रदेश की ओर जाने में भी। संसाधनों की कमी के कारण बिमलेश जी की भी अपनी सीमाएं थीं। लेकिन मुझसे बातचीत करते हुए वह कभी भी 10 से छह की नौकरी के दायरे में बंधे नजर नहीं आए। फिर मुंबई में रह रहे उत्तर प्रदेश मूल के लोगों की तकलीफें यहीं से दूर करने के लिए जब UPDF सहित कुछ अन्य संगठनों ने यहां एक आवासीय आयुक्त ( Resident Commisioner) नियुक्त करने की मांग की, तो बिमलेश जी को ही मुंबई का नोडल अधिकारी भी बना दिया गया। लेकिन इसके साथ ही उन्हें दिल्ली के भी नोडल अधिकारी का चार्ज दे दिया गया।

अब वह दिल्ली-मुंबई के बीच फुटबाल बन गए। कभी यहां, तो कभी वहां। जबकि परिवार मुंबई में ही था। उन पर काम का दबाव बढ़ गया था। इसके बावजूद फोन पर जब भी बात होती, तो वह हँसकर ही बात करते। कभी अहसास ही नहीं होने दिया कि अंदर कुछ गड़बड़ चल रहा है।

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कुछ माह पहले ही उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन कर दिया था। हालांकि सेवानिवृत्ति में ज्यादा समय बाकी भी नहीं रह गया था। पिछले महीने जनवरी में उन्हें फोन किया तो इस डेवलपमेंट के बारे में बताया और यह भी बताया कि अभी उन्हें सेवामुक्त नहीं किया गया है। बल्कि मुंबई के बजाय लखनऊ आकर काम करने को कहा गया है। मैं फिलहाल लखनऊ में ही हूं। विभाग ने शायद उन्हें 31 मार्च तक सेवा में बने रहने के निर्देश दिए थे।

कल, यानी 21 फरवरी को अचानक खबर मिली कि बिमलेश जी ने तिलक नगर स्थित अपनी दूसरी मंजिल के फ्लैट से छलांग लगाकर जान दे दी। इस खबर ने मन झकझोर दिया। हमेशा हँसकर मिलनेवाले बिमलेश जी से ऐसी उम्मीद मैं कभी नहीं कर सकता था। किसी गहन पीड़ा ने ही उन्हें इस प्रकार जीवन से मुक्ति लेने के लिए प्रेरित किया होगा। परिवार के फ्रंट पर तो सब ठीकठाक ही दिखता है। पुलिस को दिए बयान में उनकी पत्नी रमा ने भी किसी पर कोई शक जाहिर नहीं किया है। किसी की कोई शिकायत नहीं की है। लेकिन कुछ तो गड़बड़ है। इसकी जांच उच्च स्तर पर ही होनी चाहिए। क्योंकि बिमलेश जी उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारी थे। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक के पद पर थे।

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उनका जाना खल रहा है। मन व्यथित है। ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहने की क्षमता प्रदान करे, और बिमलेश जी की आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ऊँ शांति।

धर्मेंद्र प्रताप सिंह सोमवंशी- विमलेश जी बहुत प्यारे इंसान थे… सन् 1996-97 से लेकर 2003-04 तक हमारी बातें अक्सर होती थीं… मुख्यमंत्री के रूप में एक बार मायावती जी जब मुंबई आई थीं, तब अंधेरी स्थित एक पंचसितारा होटल में हम पहली और आखिरी बार रू-ब-रू भी हुए थे ! फिर धीरे-धीरे संपर्क टूट-सा गया… और आज विमल जी के बारे में यह दुखद खबर मिली !! हे ईश्वर, विमलेश जी का यूं जाना हम सभी को बहुत खल गया है !!! आप उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दीजिएगा… मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि… 

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विजय सिंह- एक बेहद सज्जन इंसान इस तरह चले गए। करोना काल में वाडा में कुछ उत्तर भारतीय मजदूर फंसे थे। मैने दैनिक भास्कर में यह खबर छापी। विमलेश जी को पता चला तो दूसरे दिन वहा के तहसीलदार से संपर्क उन जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाया और मुझे कॉल कर जानकारी दी।

शैलेश तिवारी- बिमलेश जी का इस तरह छोड़कर जाना दुखी कर गया, अभी योगी जी के बिजनेस समिट के दौरान मुलाकात हुई थी। भरोसा ही नहीं हो रहा की उनकी तरह गंभीर और सुलझा हुआ व्यक्ति इस तरह का कदम उठा सकता है। बहुत दुखद है।
विनम्र श्रद्धांजलि 

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