सुशांत झा-
छठे चरण के बाद…
- ऐसा लगता है कि बीजेपी को पिछले चुनाव की तुलना में बड़ा नुक्सान होगा, लेकिन ये कितना बड़ा होगा इस पर विद्वानों की अलग-अलग राय है। यहाँ मैंने भक्तों और दानवों व प्रेमियों और खलनायकों की राय के आधार पर एक अनुमान लगाया है। गौर फरमाया जाए। मौका सीधे अंतरराष्ट्रीय से डुमरियागंज टु बरेली वाया लखीमपुर खीरी होने का है।
- भक्तों का मानना है कि बीजेपी जीत रही है, हालाँकि वे भी 2017 जैसी जीत का दावा नहीं करते। तो मान लें कि वे 250 सीट का दावा करते हैं। इसमें से मैंने 10 फीसदी अपने मन से घटा दिया है। तो सीटें बनती हैं 225, इससे बीजेपी की सरकार बन जाती है।
- दानव कोटि के लोगों का कहना है कि टक्कर काँटे की है या बीजेपी हार रही है। काँटे की टक्कर यानी 190-200 सीटें। इसमें हम 10 फीसदी बढ़ा देते हैं, तो सीटें बनती हैं करीब 210-220, इससे सरकार बीजेपी की बनती है।
- दानव कोटि का एक दावा सीधे सपा की सरकार का है। तो सपा की सीटें बनती हैं करीब 190-200 और भाजपा की 150, बसपा कांग्रेस की 50 के अंदर। ये दावा सही हो सकता है अगर अत्यंत पिछड़ी जातियाँ, जाट इत्यादि एकतरफा सपा को वोट करें और उसका वोट प्रतिशत 35 से ऊपर चला जाए। जिसकी संभावना हो भी सकती है और नहीं भी। इसे हम 50-50 मानके चलें तो ये प्रतशित 30 पर अटकता है और सीटें घटकर हो जाती हैं 170। ऐसे में प्रदेश में त्रिशुंक विधानसभा होगी।
- ऐसा लगता है कि अत्यंत पिछड़ी जातियों या जाटों के संभावित विद्रोह को भाजपा ने दलितों और गरीबों में योजनाओं को सख्ती से लागू करके कुछ मेक अप किया है। हमने देखा है कि जैसे-जैसे आप प्रदेश के पूर्वी इलाकों में जाते हैं, जो पश्चिम से तुलनात्मक रूप से गरीब है, वहाँ फ्री राशन का असर ज्यादा है।
- भाजपा के लिए ब्राह्मण विद्रोह की बात मिथक साबित हुई है। ब्राह्मणों का अधिकांश भाजपा के साथ है, क्योंकि उनके मन में सपा राज की वापसी सिहरन पैदा कर देती है। खासकर छठे और सातवें फेज में भाजपा उसी तेजी से आगे बढ़ेगी जिस तेजी से बिहार विधानसभा में बाद के फेज में बढ़ी थी जब राजद की वापसी की खबर फैली थी।
- चुनाव ध्रुवीकृत नहीं है और तनाव में नहीं हो रहा। इसका घाटा बीजेपी को है क्योंकि उसका मत प्रतिशत इससे कम होगा जबकि सपा का मत प्रतिशत अपने पुराने अंदाज में आएगा।
- भाजपा के कई स्थानीय उम्मीदवारों के खिलाफ एंटी-इंकम्बेसी है लेकिन ये बात योगी या मोदी के बारे में नहीं कही जा सकती। लॉ एंड ऑर्डर, बिजली, सरकारी योजनाएं इत्यादि के मोर्चे पर लोग सरकार को इमानदार मान रहे हैं।
8 आप इसे एक प्रेमी का विश्लेषण मानिए और मेरे आकलन में से 5 प्रतिशत सीटें बीजेपी में से घटा दीजिए। तो 220 में से 11 घटाना होगा। यानी बीजेपी 209 सीटें लाएगा। और अखिलेश के 200 में से 10 बढ़ा दीजिए तो उनकी 210 बनती हैं। - खलनायक कोटि के लोगों का कहना है कि बीजेपी आ तो जाएगी लेकिन उसे जोड़-तोड़ करना होगा। यानी बीजेपी 170-80 पर रहेगी और 25 विधायक खरीद लेगी। ऐसे में खलनायकों का ये भी कहना है कि योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे और ये मोदीजी का षडयंत्र है और वे जम्मू-कश्मीर वाले सिन्हा को जी को जबरन यूपी पर लादना चाहते हैं।
- हालाँकि इसमें मुझे संदेह है। यूपी जो करेगा, वो स्पष्ट करेगा। अब त्रिशंकु का दौर रहा नहीं और जनता एक ही दल को मौका दे रही है।
- अंत में, यूक्रेन युद्ध का यूपी चुनाव पर कोई असर पड़ेगा इसमें मुझे संदेह है। लेकिन भारत ने जिस तरह से तटस्थता की नीति अपनाई है, वह मोदी की छवि को मजबूत ही करेगी क्योंकि जनता में अमेरिका को लेकर गहरा संशय और रूस को लेकर पुराना प्यार है।
- यह आकलन उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक आरामदायक कमरे में बैठकर किया गया है जिसमें गलती होने की विपुल संभावनाएँ हैं। ससुराल वालों की राय को ज्यादा तवज्जो दी गई है। कृपया अपनी जोखिम पर पढ़ें।