बलिया। उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने और अपने पद के दायित्वों का निर्वहन न किये जाने पर बीएसए कार्यालय के चर्चित लिपिक को सहायक शिक्षा निदेशक ने निलंबन की संस्तुति कर दी है। बावजूद इसके लिपिक की पहुँच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निलंबन की संस्तुति के चार दिन बाद भी अपने पटल पर जमा पड़ा है।
सूत्रों की माने तो बेसिक में दो दशक पूर्व अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इस लिपिक की तूती बोलती थी। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस लिपिक की जन्म कुंडली खंगाली गयी तो बड़ा गड़बड़झाला सामने आ सकता है जिसमें अनुदानित विद्यालयों में नियुक्ति से लेकर विद्यालयों को मान्यता देने तक के राज सामने आ सकते है।
बता दे कि वर्ष 2006 में प्रदेश सरकार ने कुछ पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को अनुदान पर लिया था। अनुदानित विद्यालयों से जुड़े कार्य जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलिया में तत्समय पटल पर तैनात लिपिक वेद प्रकाश पांडेय के जिम्मे था। अनुदानित विद्यालयों की श्रेणी में आने वाले विद्यालयों की जांच व शिक्षक, कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद राज्य अनुदान की सूची में सम्मिलित विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को निर्गत किये वेतन भुगतान और उनकी सूची की मांग विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार श्री पांडेय से की गयी। लेकिन उनके द्वारा वह सूची उपलब्ध नहीं कराई गई।
वर्तमान में उस पटल पर कार्य करने वाले लिपिक ने भी इसकी शिकायत अपने उच्चाधिकारियों से की। वावजूद इसके उनके द्वारा वह फाइल पटल लिपिक को हस्तांतरित नहीं किया गया। श्री पांडेय से बार बार मांग की गई, लेकिन उन्होंने उच्चाधिकारियों के आदेशों की भी अवहेलना करते हुए वह सूची उपलब्ध नहीं करायी।
इसके बाद सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक आजमगढ़ ने 1 जून 2022 को उनके निलंबन की संस्तुति कर दी। एडी बेसिक के निलंबन की संस्तुति किये जाने के 4 दिन बाद भी उनका लिपिक पद पर कार्य किया जाना समझ से परे है। उनके निलंबन प्रक्रिया में विलंब होना शिक्षा महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आज के इस डिजिटल युग में आदेश का पालन होने में इतना विलंब होने की वजह क्या है ? कही निलंबन की प्रक्रिया मात्र कागजी कार्यवाई तो नहीं ?