आज कीमोथेरेपी का 55 वाँ सत्र था। मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं Chemotherapy का शतक लगाऊँ। बशर्ते, ईश्वर ने मेरे हिस्से में उतनी उम्र जमा कर रखी हो। अब अगले कीमो का इंतज़ार है। क्योंकि, मुझे पता है कि कीमोथेरेपी इलाज की एक विधा मात्र है, कोई युद्ध नहीं।
मेरी सास श्रीमती कृष्णा देवी ने किसी स्कूल में औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है। इसके बावजूद उनकी समझ कई पढ़े-लिखे लोगों से ज्यादा बेहतर है। होली से कुछ दिनों पहले वे मुझसे मिलने राँची आयी थीं। मुझे कैंसर होने के बाद वे राँची आती रही हैं। मेरी पत्नी की दोनों छोटी बहनें भी उनके साथ थीं। वापसी के वक्त वे रुआँसी थीं। मैंने अपने बेटे का जिक्र करते हुए कहा कि उसका प्लेसमेंट हो गया। अब कोई चिंता नहीं है।
वे बोलीं, रऊओ रहल जरूरी बा। (आपका रहना भी ज़रूरी है।) यह कहते वक्त उनकी आँखें गीली थीं। वे समझती हैं कि चौथे स्टेज के कैंसर में मेरी ज़िंदगी बचने वाली नहीं है, लेकिन वे मुझे खोना भी नहीं चाहतीं।
वे बार-बार राँची आना और मेरे साथ वक्त गुजारना चाहती हैं। उन्होंने किताबें नहीं पढ़ी। उम्र के साथ होने वाले तजुर्बे ही उनका हासिल हैं। वे उन तमाम पढ़े-लिखे लोगों से ज़्यादा संवेदनशील और ज्ञानी हैं, जो डिग्रियों की अय्याशी में व्यस्त हैं। उनके पास हमारे लिए वक्त नहीं। उनके अपने असाइनमेंट और परेशानियाँ भी हैं। ईश्वर उन्हें वैसे ही व्यस्त और खुश रखें।
रवि प्रकाश से भड़ास संपादक यशवंत सिंह की बातचीत के वीडियो देखें…
Part-1: मैं तो सिगरेट भी नहीं पीता था, लास्ट स्टेज वाला लंग कैंसर डायग्नोज हुआ!
पार्ट-2 : लंग कैंसर ट्रीटमेंट में खर्च कितना और कैसे होता है!
Part-3 : हरिवंश ने पूर्व पीएम चंद्रशेखर तक पहुंचाया, आलोक सांवल से झगड़े के बाद inext छोड़ा!
Part-4 : कैंसर हुआ तो कैंसर के पीछे पड़ गया ये पत्रकार, बन गया विशेषज्ञ!
पार्ट-5 : पैसे का इंतजाम… जब लास्ट स्टेज कैंसर का पता चला तब एकाउंट में मात्र 16 हजार रुपये थे!
Part-6 : कैंसर पेशेंट को कैप्सूल में नमक भरकर क्यों खिलाते हैं डाक्टर?
Part-7 : डाक्टर बोला बस 18 महीने हैं, आज 28 माह बाद भी जिंदा हूं!