फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ के बाद ‘चौथी दुनिया’ का निकला ‘दही’
जिस ‘चौथी दुनिया’ साप्ताहिक समाचार पत्र को लेकर संतोष भारतीय देश का सबसे निर्भीक पत्रकार कहलाते थे, उस ‘चौथी दुनिया’ में ये आजकल क्या हो रहा है? फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ की लॉन्चिंग के बाद से मुंबई से फौजिया अरसी पूरे ‘चौथी दुनिया’ के लिए नई रणनीति बना रही हैं। दरअसल, कुछ महीने पहले प्रभात रंजन दीन (जो एक समय पहले ‘चौथी दुनिया’ को अलविदा कह चुके थे और संतोष भारतीय को ई-मेल द्वारा अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके थे) ने फिर से ‘चौथी दुनिया’ ज्वाइन किया।
कुछ समय तो ठीक रहा, लेकिन हाल के महीनों में संतोष भारतीय के सबसे करीब माने जाने वाले ‘चौथी दुनिया’ के को-ऑर्डिनेटिंग एडिटर डॉ. मनीष के पर भी कतरे जाने लगे। भीतरखाने राजनीति का आलम यहां तक रहा कि जिस ‘चौथी दुनिया’ में 30-35 इम्प्लॉई हुआ करते थे, वहां आज केवल 8-9 लोग बचे हैं। बचे हुए टेक्निकल लोगों को हाल में जवाब दे दिया गया है। कहा ये जा रहा है कि अब ये ऑफिस मुंबई से ऑपरेट होगा। वहीं रणनीति तैयार होगी। अंदर की ख़बर तो ये भी है कि फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ के चक्कर में कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है, इसलिए कंपनी के भीतर असंतोष की भावना बढ़ गई है।
साप्ताहिक समाचारपत्र वो भी ग्लेज़ कलर प्रिंट के साथ, इसी बूते लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज, सवाल है कि अब चौथी दुनिया की डगमगाती नैया पार होगी क्या? कमल मोरारका के यहां भी इस मुद्दे पर मीटिंग्स का दौर तेजी से चल रहा है। सवाल कई सारे हैं जिनमें कुछ प्रश्न मालिकानों को भी परेशान करने वाले हैं कि अगर पहले से घाटे में चल रहा चौथी दुनिया साप्ताहिक से कुछ और हो गया तो भले ही संतोष भारतीय देश का सबसे निर्भीक पत्रकार कहला जाएंगे, लेकिन कमल मोरारका की राजनीति पर कोई असर तो नहीं पड़ेगा?
और, कुछ प्रश्न डॉ. मनीष के लंबे समय से चौथी दुनिया के साथ पर भी है। मनीष क्या चौथी दुनिया को अलविदा कहेंगे? अपने गोलमटोल शब्दों से गुगली खेलने वाले प्रभात रंजन दीन किस करवट बैठेंगे? वैसे प्रभात रंजन दीन को ज्यादा फ़र्क इसलिए नहीं पड़ना, क्योंकि उन्हें हर वर्ष नया अखबार निकालने का अनुभव रहा है, बस पार्टी मिलने भर की देर है।
Comments on “चौथी दुनिया की हालत खराब, छंटनी के बाद आफिस मुंबई शिफ्ट करने की तैयारी”
चौथी दुनिया अखबार में आज जो कुछ हो रहा है उसका असल जिम्मेदार संतोष भारतीय है वो मर्द एम्पलाए को परेशान करता है और फीमेल के साथ अय्याशी…
जहां अरुण तिवारी , नवीन चौहान जैसे चापलुसी और घमंडी लोग काम कर रहे हो उस संस्था को आज नहीं तो कल बंद होना ही था । काम से ज्यादा चौथी दुनिया में चापलूसी और लड़कियो के साथ आयाशी चलती
Chauthi Duniya is still running and is in a very good position
जहां प्रभात रंजन दीन जैसे कलमकार होंगे वो अखबार बन्द नही हो सकता ।।निजी राय