बलिया : कामरेड चितरंजन सिंह नहीं रहे। अपने गांव में ली अंतिम सांस।
चितरंजन सिंह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज विभिन्न शहरों के कई अस्पतालों में होता रहा पर उनकी स्थिति सुधरी नहीं।
चितरंजन सिंह मानवाधिकार के क्षेत्र में कई दशकों से नेतृत्वकारी भूमिका में रहे। मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के वे नामी गिरामी हस्ती थे।
आमजन के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध जनकर्मी और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष चितरंजन सिंह का असमय जाना मानवाधिकार आंदोलनों की अपूरणीय क्षति है।
पत्रकार रविप्रकाश ने कुछ इस तरह से दी चितरंजन सिंह को श्रद्धांजलि-
पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा का एक दिन पुराना और आज का लिखा देखें-
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