आदित्य पांडेय, इंदौर
अखबार के नाम पर जितना कचरा भास्कर है कॉलम लिखने वालों में उतना ही बड़ा कूड़ा चौकसे नामक प्राणी है और यदि इसमें जरा भी शंका हो तो आज का कॉलम ही पढ़ लीजिए। न लिखने वाले को पता है कि लिखने की तमीज क्या है और ना संपादकों को इस बात की ही चिंता है कि सुबह सुबह हाथ में लिए जाने वाले अखबार में क्या नहीं होना चाहिए। फिर भी पूरा दोष अखबार, लेखक या संपादकों का नहीं है क्योंकि आप प्रतिरोध ही नहीं करते हैं।
गलत जानकारियां परोसने पर आप सवाल नहीं पूछते, एजेंडा पत्रकारिता पर आप जवाब नहीं मांगते और जाहिलों जैसे कॉलम पर आप लताड़ नहीं लगाते तो यकीन करिए चौकसे रोज़ ऐसी ही गंदगी परोसेंगे। अब तक तमीज के दायरे से बाहर जाकर इन्होंने कॉलम लिखे लेकिन पाठक चुप रहे।
वैज्ञानिक, सामाजिक और ऐतिहासिक मामलों में इतने झूठ दिए जाते हैं लेकिन मजाल कि आपने इन्हें अदालत में खड़ा किया हो।
कोई छात्र पूछे कि कॉकरोच को लेकर आपने कल जो लिखा क्या मैं उसे सही मान कर परीक्षा में जवाब लिख दूं? कोई जानकार इनसे पूछे कि फिलिस्तीन को लेकर दी गई आपकी जानकारी कोर्ट में साबित करेंगे? इन्हें मुकदमों से लाद दीजिए क्योंकि यही एक रास्ता है। इनकी झूठ की मशीन तभी रुकेगी जब गंदा और बिका हुआ लिखने पर आप अखबार बंद ही नहीं कर देंगे बल्कि हर झूठ, हर गंदगी के लिए सरे बाज़ार इनकी इज्जत उतारेंगे और कोर्ट में इन्हें जवाब देने के लिए मजबूर करेंगे।
भास्कर ने आज आर्यों को आक्रांता और आक्रमणकारी बतौर ‘अंतिम सत्य’ बताया है। चूंकि चौकसे के कॉलम के नीचे ऐसा कोई डिस्क्लेमर नहीं होता कि ये लेखक के अपने विचार हैं लिहाजा चौकसे के विचार अखबार के विचार माने जा सकते हैं और ऐसे में इन दोनों से पूछा जाना चाहिए कि यह सत्य कहां से उद्घाटित हुआ है?
अधिकतर इतिहासकार आर्यों को एशिया और विशेष तौर पर भारत मूल का ही मानते हैं और आक्रमणकर्ता मानने वाले तो बमुश्किल एक दो हैं।
वाम धारा के प्रिय मैक्स मूलर भी आर्यों को एशियाई मानते हैं और सुभाष काक सहित अधिकतर ने यही माना है। फर्क यह हो सकता है कि किसी ने तिब्बत के आसपास मूल माना और किसी ने मध्य एशिया में। बात निकली ही है तो चौकसे/ भास्कर से पूछा जाना चाहिए कि वे गायिल्स की तरह आर्यों को ऑस्ट्रेलिया से आया हुआ मानते हैं या मॉर्गन कि तरह साइबेरिया से आया हुआ या कि नाज़ियों की तर्ज पर आर्यों का मूल जर्मनी में पाते हैं?
साफ पूछिए कि द्रविड़ और आर्यों के बीच खाई पैदा करने की ऐसी कौन सी जरूरत आज आ पड़ी है? आज अचानक आर्यों के खिलाफ लिखने की क्या वजहें हैं और उन्हें यूं बढ़ावा कौन देना चाहता है? आपके दिमाग में कई तरह से धीमा जहर भरा जा रहा है इसीलिए सरासर झूठे साबित हो चुके और अपने ही संस्थान से सजा पा चुके राजदीप से भी खुल कर लिखवाया जा रहा है और नीचे लिख दिया जा रहा है कि यह लेखक के अपने विचार हैं। समाचार चयन और एकतरफा सोच के हर दिन दस उदाहरण देखें जा सकते हैं। आज ही आप दिल्ली की उस घटना का जिक्र कहीं नहीं पाएंगे जिसमें एक युवा को मार डाला गया क्योंकि यह खबर उनके नेरेटिव पर खरी नहीं उतरती।
Comments on “भास्कर में चौकसे का कॉलम कचरा क़िस्म का है?”
ये चूतिया संघी है, तभी चौकसे के लेख से इसके पिछवाड़े में आग लग गई है।
good
सिर्फ इतना ही नहीं, उनके लगभग हर आर्टिकल में सलमान खान और उनके परिवार की चाटूकारिता भरी बातें ही लिखी दिखाई देती हैं। प्रियंका चोपड़ा ने सलमान के साथ काम करने से मना कर दिया इसलिए वह बुरी अभिनेत्री हैं और कटरीना कैफ दुनिया और डेज़ी ईरानी जैसी आइटम गर्ल उनके लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन अभिनेत्री हैं। ऐसी ढेर सारी बेवकूफी भरी बातें उनके आर्टिकल में हर रोज़ नजर आती हैं।
इस चिकलांडू को खुश करने के लिए मेरा कमेंट डिलीट कर दिया यशवंत?