यूसुफ़ किरमानी-
भारत ने एक बहुत बड़े और युवा फ़ोटो जर्नलिस्ट दानिश अली सिद्दीक़ी को खो दिया। वह रॉयटर्स एजेंसी के लिए काम करते थे।
कंधार (अफ़ग़ानिस्तान) में उनकी हत्या कर दी गई। हालाँकि वह उस समय अफ़ग़ानिस्तान की सेना के साथ थे। यह शुरूआती सूचना है। हो सकता है इसमें नया घटनाक्रम सामने आये।…
विश्व के सबसे बड़े पत्रकारिता सम्मान पुल्तिज़र से सम्मानित दानिश बहुत ही होनहार फ़ोटो जर्नलिस्ट थे। जामिया, एएमयू, जेएनयू की उनकी कवरेज को हम भूल नहीं सकते।
बहरहाल…इन्ना लिल्लाह वाँ इन्ना इलैहे राजऊन…अल्लाह उन्हें शहीद का दर्जा दे और जन्नत अता फरमाये।
योगेंद्र सिंह कौशल-
अफगानिस्तान में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की कवरेज के दौरान गोली लगने से मौत हो गई। दानिश रॉयटर न्यूज एजेंसी के लिए काम करते थे। जानकारी के मुताबिक दानिश पिछले कुछ दिनों से समाचार कवरेज के लिए अफगानिस्तान में काम कर रहे थे।
दानिश सिद्दिकी की मौत कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में अफगानी बलों और तालिबान के बीच एक झड़प के दौरान हुई है।
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने इस खबर की पुष्टि की है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि पिछली रात कंधार में अपने दोस्त दानिश सिद्दीकी के मारे जाने की दुखद खबर से आहत हूं। पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय पत्रकार अफगान सुरक्षाबलों के साथ थे। मैं उनसे दो हफ्ते पहले मिला था, जब वे काबुल जा रहे थे। उनके परिवार और रॉयटर्स के लिए मेरी संवेदनाएं।
साल 2018 में दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था। दानिश ने अपने करियर की शुरुआत टीवी पत्रकार के रूप में की थी, लेकिन बाद वे फोटो जर्नलिस्ट बन गए थे।
दीपांकर डीपी-
एकदम से शॉक कर देने वाली सूचना है, अफगानिस्तान में तालिबान और सिक्योरिटी फोर्सेज के बीच हुई गोलाबारी में पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई है.
CAA-NRC प्रोटेस्ट और कोरोनावायरस की महामारी की जितनी तस्वीरें आपके जहन में अभी तक छपी होंगी, उनमें से तकरीबन आधी तस्वीरें सिर्फ एक फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी ने ली थी.
कभी-कभी तो मुझे यकीन नहीं होता था, कि तकरीबन हर बड़ी घटना के वक्त वो कैसे सही जगह पर सही फ्रेम के साथ होते हैं. पर वो होते थे.
कवरेज के दौरान उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट भी पहन रखी थी, गोली अंडर आर्म के बगल से होती हुई उनके सीने में जा लगी.
एक-एक करके उनकी खींची सारी तस्वीरें याद आ रही हैं.
ईराक…रोहिंग्या माईग्रेशन…. CAA..कोविड…
दानिश भाई बुलेट कैप्चर नहीं करनी थी. ये ग़लत कर दिया आपने…
शीतल पी सिंह-
हमारी क़ौम के एक शूरवीर ने अफ़ग़ानिस्तान में धधकती बारूद के बीच अपनी पेशागत चुनौती का सामना करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया ।
“पुलित्जर “पुरस्कृत छायाकार “दानिश”को कुछ दिमाग़ी दीनदयाल गिरोह के कारकुन इसलिए गालियाँ बक रहे हैं क्योंकि उनमें “कश्मीर में प्लाट”की रजिस्ट्री करवाने जाने का भी साहस नहीं है जहां भारत के दूसरे क़रीब दस लाख सपूत बंदूक़ें लेकर जाड़ा गर्मी बरसात में मुल्क और अवाम की हिफ़ाज़त के लिये तैनात हैं !
लेकिन बीते सात साल में हमने अपने आप को बाँट डालने की हर तरकीब अमल में ला दी है । इस कोशिश से जन्मे इन दिमाग़ी दीन दयालों से कुछ और उम्मीद करना अपने आप से धोखा करने के बराबर है!
करबद्ध सलाम प्रिय “दानिश”
तुम्हें कौन भूल सकता है!