सत्येंद्र कुमार-
गोरखपुर : कच्ची शराब के खिलाफ कार्यवाही का नाटक करने वाली पुलिस कच्ची शराब खोजने के लिए नहीं बल्कि कच्ची शराब के चलते मिल रहे माल को लेकर पगलाई हुई है। गोरखपुर में एक गांव ऐसा भी है जहां की लगभग 80% आबादी कच्ची शराब का व्यवसाय करती है। खोराबार थाने में पड़ने वाले जगदीशपुर गांव के स्थानीय पत्रकार ने एक महिला के सहयोग से गांव में बन रही कच्ची शराब का वीडियो बनवा कर खबर का प्रसारण करवा दिया। खबर चलने से बिलबिलाए जगदीशपुर चौकी इंचार्ज साहब का पारा चढ़ गया।
चौकी इंचार्ज साहब ने महिला तथा पत्रकार दोनों पर फर्जी मुकदमा लिख कर महिला को जेल भेज दिया। चौकी इंचार्ज साहब को पत्रकार के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो पगलाए घूम रहे थे। कुछ नहीं सूझा तो जमानत पर बाहर आयी उस महिला का ही जीना दूभर करने लगे। सबसे कमाल की बात यह है महिला सुरक्षा का ढोल पीटने वाली पुलिस ने ही महिला का जीना मुहाल कर रखा है।
पत्रकार के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए चौकी इंचार्ज साहब महिला पर दबाव बनाते चले जा रहे हैं ताकि पत्रकार का शिकार किया जा सके। महिला बताती है कि गांव के हर घर में कच्ची शराब बनाने का लाइसेंस दरोगा जी ने दे रखा है और उसकी एवज में साहब हर महीने हर घर से ₹3000 लेते हैं। मतलब सिर्फ कच्ची शराब के धंधे से दरोगा जी महीनों का लाखों रुपया डकार कर बदहजमी का शिकार हो रहे थे जिसमें पत्रकार ने खबर चलाकर आमदनी बाधित कर दी। दरोगा जी पर महिला के आरोप सनसनीखेज हैं जिसका संज्ञान महिला सुरक्षा का ढोल पीटने वालो को लेना चाहिए।