नियमितीकरण के लिए आकाशवाणी के उद्घोषकों का जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन

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दिल्ली : अखिल भारतीय आकस्मिक उद्घोषक/ कम्पीयर कर्मचारी एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी मनोज कुमार पाठक ने बताया कि नियमितीकरण की मांगों के समर्थन में सभी आकस्मिक उद्घोषकों (कम्पीयर) ने 3 एवं 4 अगस्त को जंतर-मंतर पर शांति पूर्ण तरीके से दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया। 

उन्होंने संगठन के एजेंडों को स्पष्ट करते हुए बताया कि अखिल भारतीय आकाशवाणी उद्घोषक / कम्पीयर कर्मचारी एसोसिएशन आकाशवाणी में आकस्मिक कलाकार (कर्मचारी) सन् 1980 से अर्थात प्रसार भारती के लागू होने के वर्षों पहले से स्वीकृत एवं रिक्त पड़े पदों के स्थान पर आकस्मिक उद्घोषक (कम्पीयर) के रूप में काम कर रहे हैं। विज्ञापन निकलने के बाद ही आकस्मिक उद्घोषक नियुक्त किये जाते हैं। विज्ञापन में पात्रता की शर्तों के अनुसार आवेदन देने वाला किसी भी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार अथवा पब्लिक सेक्टर का कर्मचारी नहीं होना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि आकस्मिक उद्घोषक की नियुक्ति की प्रक्रिया भी स्थाई उद्घोषक की नियुक्ति के समान ही है। आकस्मिक उद्घोषकों की भी काम करने की अवधि समान है। वर्तमान में एक आकस्मिक उद्घोषक को 3 से 4 असाइनमेंट को पूरा करने में पूरे महीने काम करना पड़ता है। वेज़ेज़ एक्ट के हिसाब से व्यावहारिक एवं वास्तविक विधि द्वारा असाइनमेंट से कार्य दिवस की गणना का नया विधान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नयी दिल्ली की सहमति से निर्धारित किया गया है, लेकिन इसका लाभ आकस्मिक उद्घोषक को नहीं दिया जा रहा है। 

उन्होंने बताया कि आकाशवाणी महानिदेशालय भारत सरकार नयी दिल्ली  ने आदेश संख्या – 102(14)/78-SVII , दिनांक  8 सितम्बर 1978 के तहत कैज़ुअल कलाकारों / कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए एक नियमितीकरण योजना / स्कीम दिनांक 08 / 09 / 1978 बनाई थी, जिसमें आकस्मिक प्रोडक्शन असिस्टेंट, आकस्मिक जनरल असिस्टेंट / कॉपिस्ट, आकस्मिक संगीतकार के साथ आकस्मिक उद्घोषकों को को भी नियमित किया गया है। 

उन्होंने कहा कि 06 मार्च 1982 से पहले आकाशवाणी के सभी पद अनुबंध यानी कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित थे, वर्तमान में उद्घोषक के सभी पद स्थाई हैं। इसी स्वीकृत एवं नियमित पदों पर आकस्मिक उद्घोषक वर्षों से कार्य कर रहे हैं। ओ.ए./ 563 / 1986  के मामले में CAT, प्रधान शाखा नयी दिल्ली द्वारा पारित आदेश पर दूरदर्शन के सभी आकस्मिक कलाकारों का नियमितीकरण किया गया है और किया जा रहा है। इस मामले में 14 फरवरी 1992 को बनाई गयी नियमितीकरण योजना को ही दुहराने की बात CAT ने ही आकाशवाणी के आकस्मिक कलाकार सुरेश शर्मा एवं अन्य के मामले में 1991 में उल्लखित की। 

उन्होंने कहा कि आकाशवाणी महानिदेशालय, नयी दिल्ली ने दोहरे मापदण्ड के संग सिर्फ आवेदकों के संवर्गों के नियमितीकरण के लिए ही नियमितीकरण योजना बनाई और वर्ष में 72 असाइनमेंट्स पूरा करने वाले  आकस्मिक कलाकारों, आकस्मिक प्रोडक्शन असिस्टेंट  एवं आकस्मिक जनरल असिस्टेंट को नियमित कर नियमितीकरण का लाभ दिया है। इतना ही नहीं  O. A. 601 / 2006  कंचन कपूर एवं अन्य के मामले में  CAT द्वारा 06 जुलाई 1998 एवं पुनः 20 मार्च 2007 को पारित आदेश में वर्ष में 72 से भी कम दिन कार्य करने वाले आकस्मिक कलाकारों की सेवाओं का नियमितीकरण किया जा चुका है। 

उन्होंने कहा कि आकाशवाणी त्रिवेंद्रम के कैज़ुअल कम्पीयर पी. रामेन्द्र कुमार की सेवाओं का नियमितीकरण  O. A. 743 / 2000 में पारित आदेश के अनुपालन में प्रोडक्शन असिस्टेंट / ट्रांसमिशन एग्जीक्यूटिव के पद पर किया जा चुका है। सर्वोच्च न्यायालय की संविधानपीठ द्वारा उमा देवी के मामले में 10 अप्रैल 2006  में पारित आदेश में दस वर्षों या अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाओं का नियमितीकरण एक मुश्त उपाय के तहत करने के निर्देश के बावजूद तथा समान रूप से समान सेवाशर्तों पर (similarly situated) सेवारत आकस्मिक उद्घोषकों / कम्पीयर का नियमितीकरण आज तक नहीं किया गया है। नियमितीकरण के लिए सभी आकस्मिक उद्घोषकों ने जंतर मंतर पर शांति पूर्ण तरीके से दो दिवसीय धरना प्रदर्शन 3 एवं 4 अगस्त को किया गया। 

जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन का वीडियो: https://www.youtube.com/watch?v=mXuZgJUfj5E

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