Yashwant Singh : भक्त-भक्ताइनों को कश्मीर से मौका मिले तो देवभूमि कहे जाने वाले अपने उत्तराखंड की तरफ भी झांक लें. इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश में किसी खांग्रेसी या वामी या कामी या आपी का शासन नहीं बल्कि विशुद्ध संघी ट्रेनिंग से उपजे परम भाजपाई भाई त्रिवेंद्र सिंह रावत का राज चल रहा है. इन साहब ने अपने जीते जी पूरे पहाड़ को नशे में गोतने का इंतजाम कर दिया है.
छोटी छोटी बात पर भड़कने तड़कने मटकने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत वैसे तो सार्वजनिक मंचों पर नैतिकता-कर्तव्य का पहाड़ा अक्सर रटते-पढ़ते-पढ़ाते नजर आते हैं लेकिन परदे के पीछे वे इसके बिलकुल उलट बड़े-बड़े खेल-तमाशे कर रहे हैं. अगर वे कभी खुद अपने गिरेबां में झांकने का वक्त निकाल लें तो उन्हें समझ में आएगा कि वे उत्तराखंड के दुश्मन के रूप में काम कर रहे हैं.
पहाड़ के पढ़े-लिखे लोग तो वैसे ही प्रदेश में नशे की बढ़ती लत को लेकर चिंतित परेशान रहते हैं. रही सही कसर भाई त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूरी कर दी है. भांग और दारू की नदियां बहाने का महाअभियान शुरू कर चुके हैं. सोचिए, यही सब कुछ अगर उत्तराखंड में कोई कांग्रेस सरकार कर रही होती तो अब तक संतों से लेकर शैतानों तक ने मोर्चा खोल दिया होता. पर फिलहाल राज्य में शांति दिक्खे है. देहरादून से लेकर दिल्ली तक चुप्पी है.
कहीं कहीं विरोध की आवाज उठ रही है लेकिन उसे माकूल मंच नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में हमारा आपका पूछना बनता है कि हे त्रिवेंद्र रावत जी, क्या आपके रामराज्य में हर आदमी भांग दारू पीकर लुंड रहेगा? आखिर आप किसकी शह पर, किसके इशारे पर, किसके संरक्षण में, किसके सहयोग से, किसकी पार्टनरशिप में ये सब ग़लत काम लगातार कर रहे हैं? उत्तराखंड के साथियों से विशेषकर अनुरोध है कि इस सुंदर प्रदेश को, जिसे देवभूमि कहा जाता है, को भाजपाइयों की राक्षसी नीतियों से बचाने के लिए आगे बढ़िए. ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश का कोई भी बच्चा विकास की बात करने लायक ही नहीं बचेगा. सब नशे के आगोश में जा चुके होंगे. नेता लोग चाहते भी यही हैं. पहाड़ नशे में डूबा रहे और सरकार सारे मैदानी सेठों को बुलाकर पहाड़ का कण कण बेच डाले.
देवप्रयाग जैसी पवित्र जगह, जहां अलकनंदा और भगीरथ नदियां मिलकर गंगाजी का निर्माण करती हैं, वहां एक नहीं बल्कि दो दो शराब फैक्ट्रियां माननीय रावत जी ने शुरू करा दी हैं. सोचिए, इस व्यक्ति के दिमाग में क्या कोई भारतीय परंपरा, आस्था, पर्यावरण, गंगाजी के प्रति सरोकार बसा है या सिर्फ और सिर्फ नोट दिख रहे हैं. गंगा शुद्धता की बात करने वाले भाजपाइयों की हिप्पोक्रेसी यहीं खुलकर सामने आती है कि जहां गंगा बनती हैं, जहां गंगा का नामकरण होता है, उसी जगह पर शराब फैक्ट्री का वेस्ट गंगा में गिराया जा रहा है. मतलब, गंगा के जन्मते ही उनके मुंह में तेजाब डाला जा रहा है. बनेंगे खुद भारतीय संस्कृति के वाहक, लेकिन काम बिलकुल शैतानों वाला. इन अहंकारियों और बददिमागों का जल्दी ही नाश होगा, अगर यही हरकत जारी रही तो. जनता सब कुछ चुपचाप देख सुन रही है.
गंगा के उदगम पर शराब फैक्ट्री खुलवाने वाले, उत्तराखंड को नशे में डुबोने के लिए पग-पग पर दारू-भांग की फैक्ट्री-खेती लगाने-कराने वाले, उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता, नदियों की पवित्रता, इको बैलेंस को नष्ट करने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत को पहाड़ की जनता कभी माफ नहीं करेगी.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.