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सियासत

दो साल देर से आई रिपोर्ट ने बताया- दिहाड़ी मज़दूरों की ख़ुदकुशी के मामले 60 फ़ीसदी बढ़े!

संजय कुमार सिंह-

यह है उपलब्धि

  1. 18 घंटे मेहनत करने का असर
  2. भ्रष्टाचार दूर कर ईमानदारी स्थापित करने का फल
  3. हावर्ड के मुकाबले हार्डवर्क का कमाल
  4. विदेशी महिला का राज नहीं होने देने का नतीजा
  5. देसी (और हिन्दू हृदय सम्राट) प्रधानसेवक होने का आनंद
  6. वंशवाद से दूर रहने का सच
  7. डबल इंजन की तेजी और मजबूती

(यह रिपोर्ट दो साल देर से आई है, नामुमकिन मुमकिन है)

साल 2016 में देशभर में रिकॉर्ड 25164 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की। यह आंकड़ा 2014 से 60 फीसदी ज्यादा है, जब दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के कुल 15735 मामले दर्ज किए गए थे। अब चाहें तो अडानी सेठ की तरक्की का जायजा ले लीजिए।


भारत में स्मार्ट फोन की संख्या 2026 तक 100 करोड़ हो जाएगी।
200 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है।
आयकर पोर्टल के उपयोगकर्ताओं की संख्या 11 करोड़ के करीब है।
पासपोर्ट धारकों की संख्या 10 करोड़ होने वाली है।
शुरू में मोबाइल रखने के लिए पैन होना जरूरी था।
जबरन पैन बनवाने से क्या मिला?
फोन के लिए जरूरी नहीं रहने का फायदा दिख रहा है।
साफ है कि जो जायज तरीके से कमाते हैं वो आयकर देते हैं।
वरना पासपोर्ट धारकों की संख्या आयकर देने वालों से ज्यादा होती।
फोन धारकों की संख्या से साफ है कि आयकर नहीं देने वाले निकम्मे नहीं है।
सबसे बड़ी समस्या रोजगार की कमी है लेकिन समझ में आए तब ना?

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लेकिन प्रचार-प्रचार है।


भक्तों के दिमाग में भर दिया गया है कि लोग आयकर नहीं देते हैं या सभी कमाने वाले आयकर नहीं देते हैं। अव्वल तो अब ऐसे नियम हैं कि बचना मुश्किल है। फिर भी कोई चोरी कर रहा है तो सरकारी एजेंसियां क्या कर रही हैं? कमाने वाले ज्यादा और टैक्स देने वाले कम हैं तो सरकार कोई व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है? पकड़ना किसका काम है? और आप कैसे कह सकते हैं कि आय होने के बावजूद कोई आयकर नहीं देता है। सरकारी एजेंसियां किसलिए हैं?

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एक खबर थी कि देश में अभी तक पासपोर्ट धारकों की संख्या 10 करोड़ नहीं है। दूसरी ओर, आयकर पोर्टल पर (करीब) 11 करोड़ लोग पंजीकृत हैं। यानी रिटर्न फाइल करते हैं, पैन कार्ड वाले हैं। बिना पैन आय का मतलब है टीडीएस वापस नहीं मिलना – वो भी आयकर ही है। आयकर देने वाले सभी लोग अभी तक परिवार के साथ छोड़िये पत्नी के साथ विदेश नहीं गए हैं। वरना पासपोर्ट धारकों की संख्या ज्यादा होती। और जिनके पास पासपोर्ट नहीं है वो विदेश जा ही नहीं सकते। तो टैक्स चोरी करने वाले अपने पैसे का क्या कर रहे हैं? दूसरी ओर जो टैक्स दे रहे हैं, (रिटर्न फाइल कर रहे हैं) एक बार पत्नी के साथ विदेश नहीं गए हैं।

और ये तो आयकर देने वालों का हाल है जिनकी आय ही नहीं है उनकी किसे परवाह है?

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