Shesh Narain Singh–
दिलीप अवस्थी, ओम गुप्ता और संजय बोहरा की मृत्यु की खबर ने झकझोर दिया। तीनों बड़े पत्रकार। संजय तो छोटे थे लेकिन दिलीप भाई और ओम जी थोड़ा बड़े थे मुझसे। अब अकेले पड़ते जा रहे हैं हम लोग। सुबह से जब भी फोन बज रहा है, अनिष्ट की ही आशंका लग रही है।
Shashi Sharma
संजय बोहरा का तो बच्चा अभी छोटा सा है। पता नहीं कैसे यह वज्रपात हुआ।
Aaku Srivastava
दिलीप अवस्थी का जाना भी कोई जाना है। ना उम्र, न वक्त। बीमार तो बहुत लोग होते हैं, पर ऐसी भी क्या जल्दी।बिना लखनऊ छोड़े दिलीप ने जो शोहरत पायी, वो उनकी मेहनत और प्रतिभा थी। हिंदी और अंग्रेजी, दोनों में समान अधिकार।कम लोग हैं ऐसे। एक कम हो गया। अभी एक महीने पहले ही बात हुई थी। दोस्त, जल्दी कर दी जाने में। नमन।
Shiva Sanker Pandey
दिलीप अवस्थी को इंडिया टुडे में पढ़ते हुए लगता था कि जोरदार रिपोर्टर हैं. दैनिक जागरण प्रयागराज में नौकरी के दौरान हम डेस्क इंचार्ज थे और अमर नाथ झा सिटीचीफ. विधान सभा चुनाव चल रहा था. तब चुनाव में खबरों के प्लान के लिए लखनऊ में मीटिंग बुलाई गई थी. वहाँ दिलीप जी से पहली बार मुलाकात में ये लगा था कि ये बेहतर पत्रकार के अलावा एक बेहतर इंसान भी थे. इनके सानिध्य ने पत्रकारिता में बहुत कुछ सीखने का भी अवसर दिया. वास्तव में दिलीप अवस्थी जी का असमय बिछड़ जाना हतप्रभ कर गया है. विनम्र श्रद्धांजलि.
Hemant Sharma
बहुत दुखद। भरोसा ही नहीं हो रहा है। बेहद प्रतिभाशाली पत्रकार। ख़ुशमिज़ाज दोस्त। जल्दी चले गए भाई। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे।