शिकायतें मिली नहीं या फिर श्रमायुक्त कार्यालय कानपुर से आने के बाद बरेली में उपश्रमायुक्त कार्यालय में दबा ली गईं, कुछ तो जरूर हुआ है। डीएलसी बरेली 23 व 24 मार्च को कानपुर में श्रमायुक्त की मीटिंग में जब पहुंचे तो उनसे बरेली में हिंदुस्तान के विरुद्ध मजीठिया के क्लेम को लेकर श्रमायुक्त कार्यालय से भेजी गई नौ शिकायतों के निस्तारण की प्रगति पूछी गई। तब उन्होंने हैरानी जताते हुये सिर्फ पांच हिंदुस्तानियों की शिकायतें ही मिलने की बात कही।
डीएलसी बरेली ने खुद इसका खुलासा 25 मार्च को हिंदुस्तान के सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा के 33,35,623 रुपये, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला के 32,51,135 रुपये, चीफ रिपोर्टर डॉ. पंकज मिश्रा के 25,64,976 रुपये के मजीठिया वेज बोर्ड के वेतनमान के अनुसार एरियर के दाखिल क्लेम पर सुनवाई के दौरान किया। साथ ही सवाल किया कि उनके बाकी चार साथी कहाँ है, जिन्होंने श्रमायुक्त को शिकायत भेजी थी। ये दृगराज मधेशिया कहाँ है? उनके सहित जिन्होंने भी श्रमायुक्त को शिकायत भेज रखी थी, वे चारों लोग शिकायत की प्रति के साथ उनसे सीधे मिलकर सुनवाई शुरू करा लें।
डीएलसी को बताया गया कि दृगराज मधेशिया तो इस समय दैनिक जागरण नोयडा में हैं। बहरहाल श्रमायुक्त द्वारा भेजी नौ शिकायतों में से चार शिकायतें डाकविभाग की कमी से नहीं पहुंची या फिर हिंदुस्तान प्रबंधन ने कोई खेल खेला है, ये तो विभागीय जांच में ही खुलासा हो सकेगा।
इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि डीएलसी कार्यालय से ही चार शिकायतें गायब हो गई हों। क्योंकि हिंदुस्तान बरेली के सीनियर कॉपी एडिटर राजेश्वर विश्वकर्मा के 16 मार्च को दाखिल मजीठिया क्लेम पर दस दिन बाद भी उपश्रमायुक्त कार्यालय से हिंदुस्तान प्रबंधन को नोटिस जारी नहीं किया गया जबकि डीएलसी ने 27 मार्च को हर हाल में नोटिस जारी होने के पेशकार को निर्देश दे दिए थे। बावजूद इसके 27 मार्च को भी पेशकार ने हिंदुस्तान प्रबंधन को नोटिस नहीं भेजा।
राजेश्वर विश्वकर्मा का कहना है कि अगर एकाध दिन में उनकी शिकायत पर हिंदुस्तान को नोटिस जारी न हुआ तो वह श्रमायुक्त, प्रमुख सचिव (श्रम), मुख्यमंत्री को शिकायत भेजेंगे।