कल अनारकली ऑफ आरा देखकर मेरा जबर्दस्त ज्ञानवर्द्धन हुआ है। सरसरी तौर पर कुछ दृश्यों ने दिमाग का दही कर दिया है जिसे आपसे शेयर करके अपना बोझ हल्का करना चाहता हूँ…
1. वीसी नामक प्राणी नशे में छेड़छाड़, जोर जबर्दस्ती और उसके बाद थप्पड़ खाकर सारी घटना भूल जाता है और सुबह उसे अपने सहयोगियों से पूछना पड़ता है कि रात में आखिर हुआ क्या था।
2. वीसी बहुत बड़ा दबंग है लेकिन एक अदना सी नचनिया द्वारा स्टेज पर थप्पड़ मारे जाने के बाद भी उसके चमचे नचनिया को बस गाली देकर छोड़ देते हैं।
3. बिहार का वीसी किसी सभ्य व्यक्ति की तरह नहीं, नई उम्र के लफंगों की जमात के साथ चलता है।
4. वीसी किसी औरत के साथ चूमाचाटी कर रहा हो तो भी अपना दरवाजा खुला रखता है ताकि कोई भी आ सके।
5. कोई पत्रकार बिना किसी एप्वाइंटमेंट और पीए से मिले सीधे वीसी के टेबल तक पहुँच जाता है जिसे वह जलील करके भगा देता है।
6. नचनिया वीसी के घर में उसे सरेआम गाली देकर भी अपने घर न सिर्फ चली आती है बल्कि वीसी के गुंडों की पकड़ में आए बिना दिल्ली भी पहुँच जाती है।
7. वीसी हरदम विलेन की तरह चमचों से घिरा रहता है और सीएम को अपनी कविता सुनाने के नाम पर- सीएम जी तुम चंदन हम पानी….पैरोडी सुना कर भद्दी हँसी हँसता है।
8. दिल्ली में नचनिया का पता मालूम होने के बाद भी पुलिस उसे नहीं पकड़ती ,वह खुद आत्मसमर्पण करती है।
9. एक गीत के अंतरे में लिपिस्टिक पहनने की बात की गई है,गीतकार का इसके लिए विशेष अभिनंदन होना चाहिए।
10. अंतिम दृश्य में तो हद है….वीसी आँखों में आँसू लिए देर तक अपना एमएमएस पर्दे पर चुपचाप देख रहा है।पूरी यूनिवर्सिटी, पुलिस और वीसी के चमचे चुप हैं, कोई कुछ नहीं करता…नचनिया ताल ठोंककर वीसी को उसकी औकात बता रही है।
इसी सीन में बीस बाइ चालीस के बैनर पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा है- बीर कुबेर सिंह विश्वविद्यालय,जबकि फिल्म में बार बार वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय का जिक्र है। ऐसी निहायत अविश्वसनीय कहानी और डबल मीनिंग संवादों के जरिए अविनाश दास हिंदी सिनेमा को नई ऊँचाई देना चाहते हैं। चूँकि मीडिया से जुड़े रहे हैं इसलिए उनके सभी मीडियाकर मित्रों ने इसकी जमकर तारीफ भी की है। हमारे पत्रकार दोस्त सिर्फ दोस्ती निभाने के लिए इतना बड़ा झूठ बोल सकते हैं तो सोच लीजिए पेड न्यूज के लिए क्या क्या नहीं करते होंगे।
Ras Bihari Pandey
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