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पांच बड़ी खबरों के बावजूद आज भी छाई हुई है संत सम्मेलन की खबर

पत्रकारिता, खबर, राजनीति की सामान्य समझ के लिहाज से आज पांच बड़ी खबरें हैं और दिल्ली के अखबारों के लिहाज से इनकी प्राथमिकता इस प्रकार होनी चाहिए। 1) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को सीआईसी की नोटिस। विलफिल डिफॉल्टर के नाम क्यों नहीं बताए 2) सबरीमाला मंदिर कवरेज के लिए महिला पत्रकारों को न भेजने की हिन्दुवादी संगठनों की अपील 3) सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में गवाह का दावा 4) दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी को उसमें न बुलाया जाना उनका फिर भी पहुंच जाना और उनके साथ धक्का मुक्की तथा अंतिम 5) संत सम्मेलन का समापन और उसका धर्मादेश तो है ही। कायदे से आज ये देखा जाना चाहिए कि इन पांच में से कितनी खबरें किस अखबार ने पहले पेज पर कैसे छापी। पर सच यह है कि छठी खबर जो पहले पेज पर नहीं भी हो सकती थी और कल प्रमुखता से छपने के बाद आज छोटी औऱ साधारण छपनी चाहिए थी, पूरी प्रमुखता से छपी है। और मुझे लगता है पूरा मामला प्रायोजित है। इसलिए आज चर्चा संत सम्मेलन की ही।

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अंग्रेजी अखबारों में टेलीग्राफ ने इस खबर को सात कॉलम में पहले पेज पर आधे से ज्यादा में छापा है। मुख्य शीर्षक है ईसा पूर्व 2018। इसके साथ चार लाइन में सवाल है, प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ। इसका अनुवाद कुछ इस प्रकार होगा, “हम कहां जा रहे हैं कि साधु ‘अगले साल भी मोदी सरकार’ का नारा लगा रहे हैं, मंदिर पर कानून बनाने की मांग करते हैं, दिल्ली मार्च की धमकी देते हैं और किसी भी सत्ता के आगे नहीं झुकने की कसम खाते हैं।” इस अंग्रेजी अखबार की मुख्य खबर का शीर्षक हिन्दी में है, जय श्री मोदी और फिर अंग्रेजी में टेम्पल टू यानी मंदिर भी। इसके साथ दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के भाषण की खबर भी है। शीर्षक है, “मूर्ति या आईआईटी : नेहरू ने क्या चुना”।

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर खबरों के पहले या उससे पहले के अधपन्ने पर नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने कल भी इस खबर को पहले पेज पर रखा था आज भी रखा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने मुंबई में इस खबर को लीड बनाया है। दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन की खबर लीड है पर इस खबर को भी प्रमुखता से पहले पेज पर ही रखा है। शीर्षक है, “आरएसएस के बाद भाजपा के मंत्रियों ने भी राम मंदिर पर आवाज तेज की”। दूसरी ओर, दो दिन के संत समागम के पहले दिन दैनिक जागरण ने “अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जारी होगा धर्मादेश” शीर्षक खबर को लीड बनाया था। ऐसे में ‘धर्मादेश’ जारी होने की खबर उससे बड़ी है और स्वाभाविक तौर पर उससे ज्यादा बड़ी छपनी चाहिए। हालांकि, छपी हुई खबर या सर्विविदत सूचना को प्रमुखता नहीं देने का भी रिवाज है। आइए देखें।

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आज जागरण में यह खबर सात कॉलम में है। छह कॉलम का आधे से बड़ा विज्ञापन सात कॉलम की खबर के लिए जगह छोड़ने के बाद है। शीर्षक है, “राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए या अध्यादेश लाए सरकार”। उपशीर्षक है, “तालकटोरा स्टेडियम में जुटे संतों ने कहा, इससे कम पर नहीं होगा कोई समझौता, हंसदेवाचार्य ने कहा – कई सौ वर्षों के बाद संत दे रहे हैं धर्मादेश”। इसके साथ दो कॉलम में एक और खबर है जिसका शीर्षक है, अगले साल भी मोदी सरकार। इसमें कहा गया है कि सम्मेलन में मौजूद साधु संत मोदी सरकार से खुश नजर आए। …. नोटा के विकल्प को अलोकतांत्रिक बताते हुए उन्होंने गाय, गंगा और हिन्दुत्व की बात करने वाले प्रत्याशियों को वोट देने की अपील की। अखबार ने अपनी इस लीड खबर के साथ आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का कोट छापा है, “मंदिर संतों की जरूरत नहीं होती। जहां संत होते हैं वहीं मंदिर होता है। आम जनता चाहती है कि राम मंदिर बने इसके लिए हम प्रयत्न और प्रार्थना दोनों का ही रास्ता अपनाएंगे।“

नवभारत टाइम्स में यह खबर तीन कॉलम में लीड है। शीर्षक, “संतो ने दिया ‘आदेश’ चुनाव से पहले मंदिर पर बिल या अध्यादेश” भी तीन लाइन में है। सम्मेलन में कहा, “ऐसा नहीं हुआ तो हमें रास्ता पता है।” एक कोट है, “अगर सरकार 2019 में आम चुनाव से पहले राम मंदिर बनवाने में नाकाम रहती है, तो भगवान उसे सजा देगा”। तीन कॉलम की मुख्य खबर के साथ दो कॉलम में कोट, उसके नीचे दो कॉलम में ही गेरुआ वस्त्रधारी संतों के बीच सफेद वस्त्रों में सम्मेलन को संबोधित करते श्री श्री रविशंकर ने फोटो है और उसके नीचे दो कॉलम का एक शीर्षक है, मंदिर पर बीजेपी चुप, मंत्री मुखर। उमा भारती की फोटो के साथ की इस ‘खबर’ में कहा गया है, केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने चेताया कि अयोध्या में राम मंदिर की परिधि में मस्जिद बनाने की बात हिन्दुओं को असहनशील बना सकती है।

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नवोदय टाइम्स में यह खबर लीड नहीं है। बैनर भी नहीं है। पर फोटो के साथ आठ कॉलम में छपी है। लगभग तीन कॉलम में फोटो और बाकी लगभग पांच कॉलम में खबर और यह लीड के नीचे है। शीर्षक इसी पांच कॉलम में है। अखबार ने सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन-भाषण की खबर को लीड बनाया है। संत सम्मेलन की खबर का फ्लैग शीर्षक है, “राम मंदिर को लेकर धर्मादेश में सरकार को दो टूक”। मुख्य शीर्षक है, “कानून बनाए या अध्यादेश लाए”। सिंगल कॉलम में एक शीर्षक है, इन पांच विषयों पर भी धर्मादेश और वो पांच विषय बिन्दुवार बताए गए हैं। नीचे लिखा है संबंधित खबरें पेज दो पर। इस खबर के साथ दो कॉलम में सूचना है, नवंबर और दिसंबर में धर्म सभाएं। खबर की शुरुआत से पहले, बड़े और बोल्ड अक्षरों में लिखा है, “आंदोनल को भ्रमित करने वाले नेताओं से रहें सावधान : राम नंदाचार्य।”

अमर उजाला में यह खबर लीड है। तीन कॉलम में दो लाइन का शीर्षक है, “आम चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू करे सरकार : धर्मादेश”। दो कॉलम, दो लाइन में उपशीर्षक है, “अध्यादेश या कानून में किसी विकल्प को चुनना केंद्र का काम, 25 नवंबर को अयोध्या में जुटेंगे”। अखबार ने इस मुख्य खबर के साथ पांच छोटी खबरें छापी हैं। इनमें चार तो सिंगल कॉलम में हैं एक का शीर्षक दो कॉलम में है, “जनता ही घोषित करेगी मंदिर निर्माण की तारीख”। तीन लाइन में खबर इस प्रकार है, “अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े सभी प्रमाण कोर्ट को दे दिए गए हैं। फिर भी, निर्णय में देरी हो रही है। अब जनता ही निर्माण की तारीख घोषित करेगी। 6 नवंबर को अयोध्या जा रहा हूं। योगी आदित्यनाथ, सीएम, यूपी”।

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दैनिक भास्कर में यह खबर खबरों के पहले पेज पर नहीं है लेकिन दूसरे पेज पर है। भास्कर में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में गवाह का दावा फ्लैग शीर्षक से खबर छापी है। मुख्य शीर्षक है, सोहराबुद्दीन ने हरेन पंड्या को मारा, वंजारा ने दी सुपारी। उपशीर्षक है, गुजरात के पूर्व मंत्री थे हरेन पंड्या, 2003 में मारी थी गोली। मैंने जो अखबार देखे उनमें किसी में भी यह खबर पहले पेज पर इतनी प्रमुखता से नहीं है। भास्कर ने सबरीमाला मंदिर विवाद को भी प्रमुखता से सात कॉलम में टॉप बॉक्स बनाया है। राजस्थान पत्रिका में धर्मादेश की खबर पहले पेज पर नहीं है पर आज की चार में से तीन खबरें पहले पेज पर हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक, संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]

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