देश के प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान IIMC के छात्र रहे श्याम मीरा सिंह ने आज तक जैसे न्यूज़ चैनल के साथ काम किया है. वे अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं. इस युवा पत्रकार ने अब YouTube को अपनी पत्रकारिता का माध्यम बनाया है और असली पत्रकारिता करके साबित किया है कि हालात कितने ही खराब क्यों ना हों सच्ची और सरोकार वाली पत्रकारिता का रास्ता निकाला जा सकता है. श्याम सरकार की गलत नीतियों व कामों की खुलकर आलोचना करते हैं, जिस कारण वे ट्रोलर्स के निशाने पर आ जाते हैं. इसके चलते वह कभी-कभी दुखी भी हो जाते हैं. श्याम आत्मा से पत्रकार हैं और सच बोलने के आगे वे किसी दबाव, तनाव, मुकदमा-कोर्ट तथा धमकी से परेशान नहीं होते हैं. पढ़िए उनकी एक ताजा पोस्ट और जानिए की आज के दौर में एक युवा पत्रकार कितना साहसी हो सकता है….
श्याम मीरा सिंह-
मेरे इंस्टा/ट्विटर अकाउंट और Youtube चैनल की इतनी रीच है। ग़रीबी के दिनों में भी बहुत पैसे देने के लिए सोशल मीडिया एजेंसियाँ तैयार रहीं। जबकि उनके लिए दो ट्वीट करने या पोस्ट लिखने में मेरा कुछ नहीं जाता। पर एक सिंगल ट्वीट किसी से एक पैसा लेकर नहीं लिखा। मैंने सब्र रखा। कमाऊँगा मेहनत का कमाऊँगा। ना कमा पाया तो सब्र रखूँगा। कुछ नहीं होगा तो खेत की मेड़ पर बैठेंगे। नाले से ख़ेत में पानी लाएँगे। खेती करेंगे। गाँव में हुक्का पियेंगे। पर ना डरूँगा। ना अपने किसी आदमी को धोखा दूँगा।
कई FIR और मुक़दमे अभी भी चल रहे हैं उनकी सौ टेंशन भी दिमाग़ पर रखी। पर समझौतों का ख़्याल नहीं किया। पीछे नहीं हटा। पीछे हटने की बात दूर एक ट्वीट या वीडियो डिलीट नहीं की भले ही अदालतों के चक्कर लगाए। मेरे परिवार से बहुत प्यार है। लेकिन अगर मुझ पर प्रेशर बनाने के लिए ये लोग मेरे परिवार को भी टारगेट करेंगे तो उन्हें जेल जाने दूँगा। मर जाने दूँगा। उनका जितना बुरा बिगाड़ सकें, बिगड़ जाने दूँगा। कोई हमेशा के लिए जीने नहीं आया। उन्हें तकलीफ़ आती है तो झेलने दूँगा। ख़ुद भी झेलूँगा। गुमनामी में जी लूँगा। पर धोखा नहीं दूँगा।
ये मेरे खून में नहीं। पैसे का लालच नहीं है, जितना कमाता हूँ पर्याप्त हैं। डर… डर लगता नहीं है। IPS संजीव भट्ट की कविता की एक लाइन याद है- “समझौतों का सवाल ही नहीं, लड़ाई शुरू हुई है, होने दो”
मैं ट्विटर पर नहीं असल में फ्रंट पर लड़ने के लिए तैयार हूँ। किसी निर्दोष की जान नहीं लूँगा। पर न्याय के लिए लड़ते अपनी जान देने में मुझे जरा भी झिझक नहीं है। मुझे सिर्फ़ YouTuber या पत्रकार ना जानें। छाती में पूरा गुर्दा है, खून में खून है, दिमाग़ में दिल है। और ज़ुबान में ज़ुबान। दबाव में तो तब भी ना आऊँ जब मेरे बाप के ऊपर भी ये गन रख दें। बाक़ी चीज़ें तो कोई मैटर भी नहीं करतीं। अपनी उम्र को धरकर मुझे बुढ़ापे तक नहीं जीना। जिस दिन मन आए आमने-सामने हो जाए। टेंशन ख़त्म हो। मैं उतनी तक सोचकर बैठा हूँ। फिर ये अन्नू-पन्नू जो लिख जाते हैं ये भी बदलेगा, ये हो जाएगा वो हो जाएगा। ये फुद्दू लोग हैं।
ये पोस्ट लिखना नहीं चाहता था पर आज बहुत से ट्वीट देखे मुझे लेकर, सोचा बता दूँ भाई तुम काँप जाओ, पीछे हट जाओ, चुप चाप मोदी-मोदी कर दोगे। पर मैं या तो मरूँगा इस देश में, या सर उठा के जियूँगा। इसके बीच में कोई जगह नहीं होगी।
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