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दादर के मंदिर में महिला रिपोर्टर को धर्म गुरुओं के पास बैठने से आयोजकों ने मना किया

दादर (महाराष्ट्र) : भारत में बेटियों को बचाने और उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहन देने की भले ही सरकार कई कोशिशें कर रही हैं, लेकिन महिलाओं को समाज में क्या स्थान प्राप्त है, इसकी हकीकत आए दिन जानने-देखने को मिलती रहती है। ताजा मामला महाराष्ट्र के एक मंदिर का है, जहां एक रिपोर्टर को महिला होने की वजह से सबसे आगे की लाइन में धर्मगुरुओं के पास नहीं बैठने दिया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। यद्यपि उन्होंने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि महिलाओं और पुरुषों में भेद करना सही नहीं है। 

दादर (महाराष्ट्र) : भारत में बेटियों को बचाने और उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहन देने की भले ही सरकार कई कोशिशें कर रही हैं, लेकिन महिलाओं को समाज में क्या स्थान प्राप्त है, इसकी हकीकत आए दिन जानने-देखने को मिलती रहती है। ताजा मामला महाराष्ट्र के एक मंदिर का है, जहां एक रिपोर्टर को महिला होने की वजह से सबसे आगे की लाइन में धर्मगुरुओं के पास नहीं बैठने दिया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। यद्यपि उन्होंने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि महिलाओं और पुरुषों में भेद करना सही नहीं है। 

भाजपा सरकार हमेशा से नारी सशक्तिकरण की गाथा गाती आई है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल ही जुदा है। महाराष्ट्र के दादर स्थित स्वामी नारायण मंदिर में एक कार्यक्रम में आयोजकों ने एक महिला रिपोर्टर को धर्मगुरुओं के पास नहीं बैठने दिया। इसके लिए आयोजकों ने तर्क दिया, ‘हमारी संस्कृति में महिलाओं को आगे या गुरु के पास बैठने की अनुमति नहीं है।’ 

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गोवंश हत्या बंदी को लागू किए जाने को लेकर इस मंदिर में काफी धूमधाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था। इस कार्यक्रम की रिपोर्टिंग के लिए एबीपी माझा की महिला रिपोर्टर रश्मि पुराणिक गई थीं। उन्हें शुरुआत की तीन लाइनों में नहीं बैठने दिया गया। इस लाइन में और मंच पर कई धर्मगुरु बैठे हुए थे। रिपोर्टर के मुताबिक आयोजकों का कहना था कि वे महिला होने की वजह से धर्मगुरुओं के साथ नहीं बैठ सकती हैं। रश्मि पुराणिक को चौथी लाइन में बैठने को कहा गया। 

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