मजीठिया : आरटीआई से खुलासा, महाराष्ट्र सरकार ने एससी के फरमान को दफनाया

महाराष्ट्र सरकार  माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुये मजीठिया वेतन आयोग के बारे में दिये गये निर्णय की खुले आम धज्जियां उड़ा रही है या  फिर महाराष्ट्र सरकार नहीं चाहती कि पत्रकारों का भला हो।  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी राज्य सरकारों को एक निर्देश जारी कर स्पष्ट कहा गया था कि एक विशेषश्रम अधिकारी की नियुक्ति करें, जो सभी समाचार पत्र प्रतिष्ठानों की रिपोर्ट देंगे कि कहां कहां मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश प्रबंधन ने लागू की हैं और कहां नहीं। ये रिपोर्ट तीन महीने के अंदर सभी राज्य सरकारों के विशेष श्रम अधिकारी समाचार पत्रों के कार्यालय में जाकर एकत्र करेंगे और प्रबंधन तथा कर्मचारियों से एक उनका पक्ष समझेंगे और अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे।

‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ बनाने पर विचार करेगी महाराष्ट्र सरकार, सीएम का आश्वासन

महाराष्ट्र में मिडिया पर बढ़ते हमले से  संतप्त प्रत्रकारों ने समूचे राज्य में  घंटानाद आंदोलन किया और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील तथा धनजंय मुंडे को 15, 000 एसएमएस भेजकर अपना आक्रोश प्रकट किया. भेजे गये सभी एसएमएस में ‘वुई वाँन्ट प्रेस प्रोटेक्शन ऍक्ट’ की मांग की गई . दिनभर आने वाले एसएमएस से मोबाईल जॅाम हो गये थे, यह जानकरी सीएम तथा विपक्ष के नेताओं ने मंत्रालया वार्ताहर संग के एक कार्यक्रम में दी.

मांगपत्र सौंपते महाराष्ट्र के आंदोलनकारी पत्रकार

मीडिया पर भारी पड़ सकता है महाराष्ट्र सरकार का हलफनामा

एक जनहित याचिका के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। उसमें कोर्ट को बताया गया है कि आरोपी और पीड़ित की निजता बनाए रखने के लिए पुलिस को दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें आरोपी का नाम, उसकी तस्वीर और उससे जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया को देने के लिए मना किया गया है। सवाल उठ रहे हैं कि कहीं ये महाराष्ट्र में मीडिया ट्रायल के नाम पर मीडिया पर पाबंदी की कोशिश तो नहीं है? 

दादर के मंदिर में महिला रिपोर्टर को धर्म गुरुओं के पास बैठने से आयोजकों ने मना किया

दादर (महाराष्ट्र) : भारत में बेटियों को बचाने और उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहन देने की भले ही सरकार कई कोशिशें कर रही हैं, लेकिन महिलाओं को समाज में क्या स्थान प्राप्त है, इसकी हकीकत आए दिन जानने-देखने को मिलती रहती है। ताजा मामला महाराष्ट्र के एक मंदिर का है, जहां एक रिपोर्टर को महिला होने की वजह से सबसे आगे की लाइन में धर्मगुरुओं के पास नहीं बैठने दिया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। यद्यपि उन्होंने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि महिलाओं और पुरुषों में भेद करना सही नहीं है। 

महाराष्ट्र सरकार के ‘मराठी फिल्म फरमान’ पर पत्रकार, फिल्मकार, लेखक नाराज

नई दिल्ली : ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एनके सिंह, फिल्म निर्माता मुकेश भट्ट, लेखिका शोभा डे, फिल्मकारों और कलाकारों ने मुंबई के सभी मल्टीप्लेक्स में शाम छह से नौ बजे के शो टाइम पर एक मराठी फिल्म दिखाने के महाराष्ट्र सरकार के फरमान को गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ करार दिया है।

भाजपा का चुनावी वादा, सत्ता में आने पर महाराष्ट्र के पत्रकारों को मिलेगी पेंशन

महाराष्ट्र बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य के वयोवृध्द पत्रकारों को हर माह 1500 रूपये पेन्शन देने का वादा किया है। महाराष्ट्र पत्रकार हमला विरोधी कृती समिती के ओर से राज्य के सभी प्रमुख राजनैतिक दलों को एक पत्र लिखकर पत्रकारो के मांगों के विषय में अपनी भूमिक चुनाव घोषणा पत्र के माध्यम से स्पष्ट करने की मांग की थी।