हमारे गहमर में एक समाचार पत्र है अमर उजाला जिसके स्थानीय संवाददाता को कार्यक्रम में बुलाने के लिए जो मानक है वह मानक मैं पूरा नहीं कर पाता। इस लिए वह न तो हमारे कार्यक्रम की अग्रिम सूचना छापते हैं और न तो दो दिनो तक कार्यक्रम के समाचार। तीसरे दिन न जाने उनको क्या मिल जाता है जो आनन फानन में मुझसे बात कर न करके अन्य लोगो से व्यक्ति विशेष के बारे में सूचना मॉंगते है और मनगढ़त खबर बना कर प्रकाशित कर देते है।
अब इस मनगढ़त समाचार पर अमर उजाला समाचार पत्र के संवाददाता, ब्यूरो और संपादक के खिलाफ मानहानि और पेड-न्यूज का मुकदमा तो बनता ही है। हमारे संवाददाता महोदय ने पूरे के पूरे कार्यक्रम को बदल दिया… देखें कैसे…
(1) कार्यक्रम गहमर के आशीर्वाद पैलसे में किया गया परन्तु श्रीमान जी उसका नाम भूल गये एक जगह तो उन्होेनें लिखा ” एक” पैलसे और दूसरी जगह चित्र के नीचे लिख दिया ” गहमर पैलेस”। कम से कम बैनर तो देख लिया होता।
(2) उन्होंनेे बड़ी आसानी से मेरे मेहनत पर पानी फेरते हुए कवि सम्मेलन को काव्य-गोष्ठी बना दिया, अब जब श्रीमान जी को काव्य सम्मेलन या काव्य गोष्ठी में फर्क नहीं मालूम है तो किसी से पूछ लेना चाहिए था।
(3) उनके अनुसार कार्यक्रम में जो सम्मान दिये गये थे वो काव्य गोष्ठी के बाद तय किये गये थे, जब कि श्रीमान को यह पता नहीं कि मेरे सारे सम्मान 9 अगस्त 2017 को ही तय किये जा चुके थे, जिसकी सूचना सोशलमीडिया से लेकर समाचार पत्रों को प्रेस नोट के द्वारा दे दिया गया था।
(4) श्रीमान जी को आये हुए अतिथियों के नाम नहीं मिले और जो सम्मान न आने के कारण मंच से निरस्त कर दिये गये वही नाम उन्होनें प्रकाशित कर दिया। जिन्हेें सम्मान मिला ही नहीं, जो सम्मान पाये उनका नाम हवा में।
(5) श्रीमान जी ने रविता पाठक, सुलक्षणा अहलावत, बीना श्रीवास्तव, डा0 चेतना उपाध्याय, कमला पति गौतम, डा0 ज्योति मिश्रा को अलग अलग सम्मान दिया जाना लिखा है जबकि इन सभी को साहित्य सरोज शिक्षा प्रेरक सम्मान दिया गया। यहॉं तक की आरती का सम्मान न आने के कारण दिया ही नहीं गया।
(6) भाई साहब ने फोटो में भी लिखा है कि बीना श्रीवास्तव को सम्मानित करते साहित्यकार जबकि फोटो में साफ दिख रहा है कि बीना श्रीवास्तव जी को मुख्य अतिथि कमल टावरी जी सम्मानित कर रहे हैं।
(7) पूरे समाचार में आप कही भी इस कार्यक्रम को आयोजित करने वाली संस्था या आयोजक का नाम और साथ में यह कार्यक्रम कब हुआ उसका पता नहीं।
(8) जो सम्मान दिया जा रहा है वह शिक्षक दिवस के अवसर पर दिया गया 5 सितम्बर को और जो समाचार की हेडिंग बनी है वह है चार सितम्बर की।
(9) 4 सितम्बर को आयोजित ” आखिर क्यो कटघडे में मीडिया” परिचर्चा के अन्य वक्ताओं, सभा अध्यक्ष, मुख्यअतिथि सबके नाम गायब।
और भी बहुत कुछ है जिसकी चर्चा मैंने अपने कोर्ट नोटिस में किया है।
भाई, आपको मुझसे एलर्जी थी तो आप मत छापते मेरा समाचार. मैं आपके चरण तो पखार नहीं रहा था. और न ही आपको किसी डाक्टर ने मेरा समाचार छापने को कहा था। और यदि किसी मजबूरी या लालच के आधार पर छाप भी दिया तो सही सही छापना था। क्यों गलत सही छाप कर मेरे कार्यक्रम की तौहीन कर दिये। आपको किसने हक दिया था इसका।
अब आप सब खुद समझदार हैं। मैं अधिक बोलूगॉं तो आप सब यही कहेंगे कि मैं बेफजूल की बात कर रहा हूँ।
चलिये मैंने वीडियो रिकार्डिग और फोटो के आधार पर कोर्ट की नोटिस तो दिनांक 08 सितम्बर 2017 को प्रधान संपादक के नाम भेज कर कापी टू संपादक, ब्यूरो, कर दिया है। आगे देखते हैं क्या हेाता है। कुछ हो न हो पर मन को तसल्ली तो मिलेगी कि मैंने आवाज उठाई।
अखंड गहमरी
गहमर
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)