हम यही जानते हैं कि कांग्रेस सोचे-विचारे बिना काम नहीं करती है, एक व्यक्ति एक की ही सरकार जैसा कुछ नहीं है पर प्रधानमंत्री ने भाषणों में आरोप लगाये अखबारों ने प्रचार दिया, कांग्रेस को घिरा बताया है जबकि 10 साल राज कर चुकी भाजपा के पास बताने के लिए ना अपना काम है और ना योजना – दूसरे चरण के लिये प्रचार के अंतिम दिन भी कांग्रेस की आलोचना ही की
संजय कुमार सिंह
आम चुनाव के दूसरे चरण का मतदान कल (26 अप्रैल 2024 को) है और आज के अखबारों में छपी चुनावी सभाओं तथा रैलियों की खबरें कल के मतदान के लिए मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सर्वश्रेष्ठ खबरें होनी चाहिये। कह सकते हैं कि पार्टियों के नेताओं के अनुसार यही उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास है। मुझे नेताओं के प्रयास नहीं अखबारों की रिपोर्टंग या खबरों की चर्चा करनी है। कल 13 राज्यों की 88 सीटों पर वोटिंग है। आप जानते हैं कि भाजपा के पास इस बार चुनाव के लिए कोई वोट बटोरू मुद्दा नहीं है। मंदिर को मुद्दा बनाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई और हिन्दू-मुसलमान किया जा चुका है। कल आपको बता चुका हूं कि सबके बावजूद मेरठ में भाजपा के राम की स्थिति भी आसान नहीं है। ऐसे में कल के चुनाव प्रचार का पता आज के अखबारों से चल रहा है। इसी से प्रस्तुति भी समझ जायेंगे। मुझे लगता है कि इस चुनाव में न सिर्फ चुनाव आयोग बल्कि अखबारों की भूमिका भी शर्मनाक है।
यह तथ्य है कि प्रधानमंत्री के आपत्तिजनक भाषण (णों) पर चुनाव आयोग ने कुछ नहीं कहा है और आज खबरें हैं कि चुनाव आयोग संभवतः इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माने। जो भी हो, फैसला नहीं देकर या इसमें देर लगाकर आयोग ने पार्टी की सेवा में अपना काम कर दिया है जो नियुक्ति की कीमत चुकाने से लेकर भविष्य में मिलने वाले ईनाम के लिए कम नहीं है। दूसरा महत्वूपर्ण मामला यह है कि एनजीओ, कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि इलेक्टोरल बांड से संबंधित गड़बड़ियों और आरोपों की जांच अदालत की निगरानी में करवाई जाये। मुझे लगता है कि यह भी बड़ी खबर है और द टेलीग्राफ ने इसे पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा है। हाल में बंगाल के 24,000 शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने की खबर छपी थी। आज की खबरों के अनुसार राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
आज इंडियन एक्सप्रेस में इंडिया गठबंधन का पक्ष है और शीर्षक ऐसे हैं जिससे इस मुद्दे को नहीं जानने वालों को भी समझने में आसानी होगी। फ्लैग शीर्षक है, “नया स्लोगन : कांग्रेस की लूट जिन्दगी के साथ भी जिन्दगी के बाद भी”। मुख्य शीर्षक है, “टैक्स पर सैम पित्रोदा की टिप्पणी का लाभ उठाते हुए मोदी ने कहा, कांग्रेस परिवार के विरासत के लिए खतरा है।” इसके साथ एक खबर का शीर्षक है, “कांग्रेस ने खुद को पित्रोदा के बयान से अलग किया, (इसका) नीति घोषणापत्र से कोई संबंध नहीं है”। एक और खबर का शीर्षक है, “हमले के बावजूद राहुल अपनी बात पर कायम, कहा एक्स-रे सर्वेक्षण होकर रहेगा”। इसके साथ, “विरासत कर को समझना” और एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड का शीर्षक है, “(जातिवार) जनगणना से क्रांति : राहुल ने कैसे कोटा (आरक्षण) को संपत्ति के पुनर्वितरण का साधन बनाया”।
इससे आप अमेरिका में कही गई सैम पित्रोदा की बातों के साथ यह समझ सकते हैं कि राहुल गांधी अपनी बात पर कायम हैं। वे ना मुद्दा बदल रहे हैं औऱ ना मुद्दे की तलाश में हैं। फिर भी अखबारों की खबरों से आपको यही लगेगा कि वे फंस गये हैं और नरेन्द्र मोदी या भाजपा की सक्षम, योग्य और परिष्कृत राजनीति ने उन्हें फंसा दिया है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि कांग्रेस ने खुद को सैम पित्रोदा के बयान से अलग कर लिया है, इनहेरीटैंक्स टैक्स पर भाजपा के शासन में बात होती रही है और कांग्रेस को जो करना होता है वह सोच विचार कर सबकी सहमति बनाकर करती है। उसका मुद्दा आम जनता की भलाई है और भाजपा खास लोगों की भलाई में लगी है आम आदमी के लिए मंदिर और हिन्दुत्व ही है। इसके बावजूद मीडिया यह नहीं बता रहा है कि बिना सोच विचार फैसला लागू करने के लिए भाजपा और नरेन्द्र मोदी जाने जाते हैं।
यही नहीं, इन दिनों अमेरिका में रह रहे पत्रकार अजीत साही ने लिखा है, यह भारतीय समाज का दुर्भाग्य है कि क्या संघी और क्या कांग्रेसी सब हवाबाज़ी में जीते हैं। सैम पित्रोदा ने अमेरिका के जिस इनहेरीटेंस टैक्स की बात की है वो निकट परिवार यानी मां-बाप, पति-पत्नी, बेटा-बेटी पर लागू ही नहीं होता है। निकट परिवार के अलावा अगर कोई विरासत में प्राप्त करता है तो उस पर टैक्स लगता है। उस पर भी छूट है और ये टैक्स है भी सिर्फ़ छह राज्यों में। दरअसल इंडिया का पूरा पबलिक डिसकोर्स जाहिलों के हाथ है। कांग्रेसियों को भी नहीं पता कि ये टैक्स क्या है और सीधे पैनिक में आ गए। इस देश में सबकी यही कहानी है कि अगर कोई कह दे कौआ कान ले गया है तो कौए के पीछे भागने लगेंगे मगर कान की जगह हाथ लगा कर चेक नहीं करेंगे कि वाक़ई कान ले गया है क्या?
इतना ही नहीं, सबको पता है कि देश में नोटबंदी से लेकर जीएसटी कैसे लागू किये गये और किसे नुकसान हुआ (आम आदमी को ज्यादा है इसमें शक नहीं होना चाहिये) पर विरासत कर (अगर लागू हुआ तो) उन्हें देना होगा जिन्हें विरासत में कुछ मिलेगा और यह आम लोगों के लिए नहीं है या कम से कम उनके लिए नहीं है जिनके पास कुछ है ही नहीं या जो सरकारी राशन पर जी रहे हैं या गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीब हैं। फिर भी ऐन चुनाव से पहले इसे मुद्दा बनाना राजनीति हो सकती है। सैम पित्रोदा कांग्रेस के लिये या भाजपा के लिए बैटिंग कर रहे हो सकते हैं लेकिन मुद्दा वही है कि लोग (अखबार भी) कौवा के पीछे दौड़ने लगे ये नहीं देखा कि कान तो वहीं, वैसे ही है। राहुल गांधी अपनी बात पर डटे हैं यह दूसरा प्रमुख मुद्दा है जो आम तौर पर अखबारों से नहीं झलकता है।
हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर 2017 को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऊना में आयोजित एक रैली में नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र पीएम मोदी ने कहा था, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नोटबंदी से इनकार कर दिया था जब जरूरत थी तब इंदिरा गांधी ये काम करतीं तो मुझे इतना बड़ा कदम उठाने की जरूरत नहीं पड़ती। अब प्रधानमंत्री नोटबंदी का श्रेय नहीं लेते हैं अब कांग्रेस पर इनहेरीटेंस टैक्स लगाने का आरोप लगा रहे हैं। नोटबंदी के दौरान जब लोग परेशान हो रहे ते तो प्रचारक कह रहे थे कि उससे वेश्यावृत्ति रुक जायेगी। अखबार बता रहे हैं इस तरह काम करने वाले लोगों ने कांग्रेस को घेर लिया है।
अमर उजाला में टॉप पर ब्लू रिवर्स में हाइलाइट की हुई खबर का शीर्षक है, “पित्रोदा ने फिर फंसाया …. विरासत कर की वकालत से बैकफुट पर कांग्रेस”। लीड का फ्लैग शीर्षक है, “पीएम मोदी का हमला – कांग्रेस चाहती है कि आपकी मेहनत से अर्जित संपत्ति आपके बच्चों को न मिले, कहा …. (मुख्य शीर्षक है) वह आपकी संपत्ति लूटना चाहते हैं जिन्दगी के साथ भी, जिन्दगी के बाद भी”। बेशक शीर्षक के लिए यह अच्छा कोट है पर प्रधानमंत्री का काम यह नहीं है। आप जानते हैं कि सत्ता में आने से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत के बारे में नरेन्द्र मोदी क्या कहते थे और जब सत्ता में आये तो पेट्रोल पर कितना टैक्स लिया, कैसे लिया और मीडिया उस पर कैसे चुप्पी साधे रहा। एक देश एक टैक्स के नारे के बावजूद पेट्रोल अभी तक जीएसटी के तहत नहीं है। अब कह रहे हैं कांग्रेस संपत्ति लूटना चाहती है। हालांकि, इससे साफ हो चला है कि मोदी पैसे वालों के साथ हैं और राहुल गांधी आम लोगों का भला सोच रहे हैं।
यह कांग्रेस की चाल, रणनीति हो सकती है पर मीडिया इसे बिल्ली के भाग से छींका टूटा की तरह पेश कर रहा है। अमर उजाला ने कांग्रेस का पक्ष, “बयान से कोई लेना-देना नहीं है” छापा तो है पर अमित शाह का आरोप भी है, “फिर उजागर हुई कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति”। आप जानते हैं कि कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाने वाले लोग खुद दावा करते हैं कि वे संतुष्टिकरण की राजनीति करते हैं। जो हो, नवोदय टाइम्स में फ्लैग शीर्षक है, “सैम पित्रोदा के बयान से मचा बवाल”। मुख्य शीर्षक है, “विरासत टैक्स पर घमासान”। इसके साथ एक घोषणा है, “भाजपा हमलावर, बैकफुट पर आई कांग्रेस”। एक और खबर का शीर्षक है, “लोगों की संपत्ति छीनना चाहती है कांग्रेस : मोदी”। एक और खबर सैम पित्रोदा का मुख्य बयान और उसके साथ अब सफाई भी दी, है। अखबार में विराग गुप्ता की एक टिप्पणी भी है, “विरासत टैक्स : गरीबी के खात्मे का शॉर्टकट प्लान”। इसके साथ दो बातें हाईलाइट की गई हैं।
1985 में राजीव गांधी ने संपदा कर खत्म किया था और 2) 2018 में अरुण जेतली ने विरासत कर की प्रशंसा की थी। अखबार ने यह भी बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की पीठ निजी संपत्ति के पुनर्वितरण की याचिका पर सुनवाई कर रही है। आप जानते हैं कि इसके बाद भी अगर कुछ मनमाना होगा तो कौन करेगा और कांग्रेस कैसे काम करती है। फिर भी सोशल मीडिया पर ट्रोल से लेकर प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा आज उठाया है तो इसीलिए कि कोई मुद्दा है नहीं और प्रधानमंत्री के आपत्तिजनक भाषण पर चुनाव आयोग ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है और प्रधानमंत्री ने लोगों को नाराज करने के लिए एक नया और कम गंभीर मुद्दा दे दिया है। द टेलीग्राफ की खबर यही बताती लगती है। फ्लैग शीर्षक है, कांग्रेस ने अमेरिका जैसे टैक्स की पित्रोदा की टिप्पणी को खारिज किया; मोदी ने इसे लपक लिया। मुख्य शीर्षक है, “चल रहा है : विरासत में (चुनावी) नुकसान प्राप्त होना”। इसके मुख्य खबर के तहत तीन खबरें हैं। पहली का शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने बच्चों की संपत्ति को लेकर डर पैदा किया 2) ‘लेवी की योजना नहीं’, पार्टी जातिवार जनगणनना पर कायम 3) भाजपा ने यह प्रस्ताव 2017 में छेड़ा था।
हिन्दुस्तान टाइम्स की मानें तो कांग्रेस घिर गई है। लीड का शीर्षक है, पित्रोदा ने संपत्ति (कर) विवाद को हवा दी और मोदी ने कांग्रेस को घेर लिया। इस खबर के साथ तीनों बातें बताई गई हैं पर शीर्षक तो अपना काम करेगा या लगाने वाले की सोच बता रहा है। इस मामले के तीनों पहलुओं का मुख्य शीर्षक है, विरासत कर पर विवाद। इसके साथ की तीन खबरें हैं, पित्रोदा ने दिया आईडिया 2) मोदी ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा 3) कांग्रेस ने इस टिप्पणी से खुद को अलग किया। इसके साथ छपी एक खबर का शीर्षक है, संपत्ति के पुनर्वितरण की चर्चा के बीच विरासत को लेकर विवाद शुरू हुआ। कांग्रेस पर भाजपा के आरोप जारी हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में जो छपा है वह है, (अमित) शाह ने कहा, कांग्रेस और वामपंथी केरल में आतंकवादियों की रक्षा कर रहे हैं। इसके साथ की खबर का शीर्षक है, राहुल गांधी ने कहा कि जातिवार जनगणना को कोई नहीं रोक सकता है। यहां मुझे याद आता है कि सत्ता में आने से पहले नरेन्द्र मोदी जीएसटी का विरोध कर रहे थे। नोटबंदी की कोई योजना नहीं थी। सत्ता में आने के बाद जीएसटी बिना तैयारी लागू कर दी गई। नोटबंदी गोपनीय ही होनी थी लेकिन तथ्य यह है कि नोटबंदी का फैसला जिस बैठक में हुआ था उसका मिनिट्स देने में भी सरकार को महीने लगे थे और सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबे समय तक लटका था। जब चर्चा शुरू हुई तो इस बहस के साथ कि मामाल अब अकादमिक रह गया है। अब विरासत कर का मुद्दा अमेरिका में सैम पित्रोदा के कहने से लपक लिया गया और अखबारों में इसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों से ज्यादा महत्व मिला है।
अब द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया बचते हैं। द हिन्दू में लीड का शीर्षक है, “बराबरी की कांग्रेस की योजना एक ‘खतरनाक खेल’ है : मोदी”। उपशीर्षक है, प्रधानमंत्री ने कहा है कि विपक्षी दलों का लक्ष्य अधिकार और संपत्ति छीनना है, तीन रैलियों में उन्होंने आरोप लगाया, इस (कांग्रेस) की योजना एससी, एसटी और ओबीसी का कोटा कम करते धर्म के आधार पर 15% आरक्षण लागू करना है। इसके साथ छपी खबर का शीर्षक है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कांग्रेस सशस्त्र सेना में आरक्षण चाहती है। द हिन्दू में इस खबर के साथ सिंगल कॉलम में एक खबर है। इसका शीर्षक है, राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस के घोषणापत्र से प्रधानमंत्री डर रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में यह पांच कॉलम में लीड है। शीर्षक है, “पित्रोदा ने इनहेरीटेंस टैक्स का समर्थन किया तो प्रधानमंत्री ने कहा, कांग्रेस (की) लूट जिन्दगी के बाद भी”। इंट्रो है, पार्टी ने खुद को राहुल गांधी के सलाहकार के विचारों से अलग किया। इस खबर के साथ कांग्रेस का पक्ष 12 लाइनों में है, (पूरी खबर अंदर है)। शीर्षक है, न्याय सुनिश्चित करने के लिए समाज का एक्स-रे जरूरी। राजनाथ सिंह का आरोप यहां भी है। इसे 10 लाइनों में निपटा दिया गया है। पूरी खबर के बीच में पूरे मामले की खास बातें हैं। इसका शीर्षक है, “भाजपा के मंत्रियों ने इसका समर्थन किया, हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है: कांग्रेस।
पीटीआई के मुताबिक प्रधानमंत्री ने बड़ी मुस्लिम आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्र अलीगढ़ में एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर सत्ता में आने पर लोगों की संपत्ति को बांटने की योजना बनाने का आरोप लगाया। वहीं अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी खास समुदाय का नाम लेकर उसके बारे में गलत बातें बोलना दुनियाभर में फैले उस समुदाय का अपमान है जबकि बुलंदशहर में एक चुनावी रैली में मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि यूपी में बसपा सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का विकास किया था, लेकिन इसका श्रेय बीजेपी ले रही है।