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सुख-दुख

कोरोना काल के अटपटे अंग्रेजी शब्दों की हिंदी सूची जारी

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

प्रधानमंत्री ने देश के मुख्यमंत्रियों से जो संवाद किया है, उससे यही अंदाज लग रहा है कि तालाबंदी अभी दो सप्ताह तक और बढ़ सकती है। इस नई तालाबंदी में कहां कितनी सख्ती बरती जाए और कहां कितनी छूट दी जाए, यह भी सरकारों को अभी से सोचकर रखना चाहिए। मुझे खुशी है कि इस तालाबंदी के मौके पर इस्तेमाल होनेवाले अटपटे अंग्रेजी शब्दों की जगह मैंने जो हिंदी शब्द प्रचारित किए थे, उन्हें अब कुछ टीवी चैनल और हिंदी अखबार भी चलाने लगे हैं लेकिन हमारे नेता, जो जनता के सेवक हैं और जनता के वोटों से अपनी कुर्सियों पर विराजमान हैं, वे अब भी जनता की जुबान इस्तेमाल करने में संकोच कर रहे हैं। यदि वे कोरोना से जुड़े सरल शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो करोड़ों लोगों को सहूलियत हो जाएगी।

मैं आजकल प्रचलित कुछ अटपटे अंग्रेजी शब्दों की हिंदी सूची भेज रहा हूं। इन्हें आप भी जमकर इस्तेमाल कीजिए और अपने दोस्तों को भी भेजिए।

Lockdown= तालाबंदी;

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Virus= विषाणु;

social distancing= शारीरिक दूरी या दूरी रखना;

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Mask= मुखपट्टी;

Quarantine= अलगवास, पृथकवास;

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Testing= जांच;

Infection= संक्रमण, स्पर्श रोग, छूत-रोग;

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Isolation Room= अलग कमरा, पृथक कमरा, कोप-कक्ष;

Ventilator= सांसयंत्र;

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sanitization: शुद्धिकरण

पता नहीं, कोरोना की पुख्ता काट हमारे एलोपेथी के डाक्टरों के हाथ कब लगेगी लेकिन आश्चर्य है कि दो चार अखबारों और एकाध टीवी चैनल के अलावा सभी प्रचार-माध्यम हमारे आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खों पर मौन साधे हुए हैं। मान लें कि वे कोरोना की सीधी काट नहीं हैं लेकिन उनके सेवन से नुकसान क्या है ? वे हर मनुष्य की प्रतिरोध-शक्ति बढ़ाएंगे। मुझे खुशी है कि दर्जनों वेबसाइटों ने उन नुस्खों को प्रचारित करना शुरु कर दिया है। मुझे बताया गया है कि लाखों लोग उनका सेवन कर रहे हैं। यूरोप और अमेरिका के प्रवासी भारतीयों में भी वे लोकप्रिय हो गए हैं।

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राजस्थान के एक आर्य संन्यासी स्वामी कृष्णानंद ने कई जीवाणुओं की काट के लिए एक खास प्रकार की हवन सामग्री का बाकायदा एक सफल वैज्ञानिक परीक्षण 2015 में करवाया था। यह परीक्षण ‘इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च’ और अजमेर के एक मेडिकल कालेज की सहायता से संपन्न हुआ है। कौंसिल ने इस प्रयोग के लिए 40 लाख रु. का अनुदान भी दिया था। सरकार के पास उसके पेटेंट का मामला भी पड़ा है।

अब पुणे का ‘नेशनल इंस्टीटयूट आफ वायरोलाजी’ इसका तत्काल परीक्षण क्यों नहीं करवाता? कई प्रकार के विषाणुओं को इन विशिष्ट जड़ी-बूटियों के धुएं से नष्ट करने के सफल प्रयोग हो चुके हैं। हमारे प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्रियों से मेरा अनुरोध है कि इस आयुर्वेदिक खोज पर वे तत्काल ध्यान दें। देश के कई वैद्यों ने मुझसे संपर्क किया है। क्या मुख्यमंत्री लोग उनका लाभ उठाना चाहते हैं ?

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करोड़ों देशवासियों से यह अपेक्षा है कि वे अपना मनोबल ऊंचा रखेंगे। टीवी चैनलों पर मनोबल गिरानेवाली खबरें कम देखेंगे। वे आसन-प्राणायाम-व्यायाम करेंगे और शारीरिक दूरी बनाए रखेंगे। सामाजिक दूरी घटाएंगे। फोन और इंटरनेट का प्रयोग वे सामाजिक घनिष्टता बढ़ाने के लिए करेंगे। संगीत सुनेंगे। प्लेटो के अनुसार संगीत आत्मा की शिक्षा है। नादब्रह्म है।

लेखक डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश के जाने माने पत्रकार और स्तंभकार हैं.

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