संजय कुमार सिंह-
हिन्दुस्तान समाचार के ‘पत्रकारों’ का संघ कनेक्शन सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। प्रसार भारती ने पीटीआई और यूएनआई की सेवा बंद कर जिस नई दिल्ली मुख्यालय वाली जिस हिन्दुस्तान समाचार की सेवा ली है उसके वेबसाइट के अनुसार, इसके 22 समाचार ब्यूरो और 600 संवाददाता देश भर में फैले हुए हैं।
समूह संपादक राम बहादुर राय 77 साल के हैं और 2015 के पद्मश्री विजेता है। जो जनसत्ता और नवभारत टाइम्स में काम कर चुके हैं और केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के अध्यक्ष हैं। संपादक जितेंद्र तिवारी हैं, जो पहले संघ परिवार द्वारा संचालित साप्ताहिक पाञ्चजन्य के लिए काम कर चुके हैं।
सात सदस्यीय निदेशक मंडल के अध्यक्ष अरविंद मर्डीकर हैं। बोर्ड के अन्य सदस्यों में वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र (86 साल के हैं पहले जनसत्ता में थे और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं), हिंदी दैनिक देशप्राण के संस्थापक संपादक और रांची एक्सप्रेस के पूर्व संपादक बलबीर दत्त (87 साल के हैं, 2017 में पद्मश्री से सम्मानित हैं); मनमोहन सिंह चावला; बाबा मधोक; और रवींद्र संघवी शामिल हैं। ब्रजेश झा कार्यकारी संपादक हैं।
गोदी वालों को सरकारी ग्राहकी की मजबूती देना!
विपक्षी सांसदों ने हिन्दुस्तान समाचार के साथ हुए इस समझौते की निन्दा की है। द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार जो 2012 से 2016 तक प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे ने ट्वीट किया, “आखिरकार प्रसार भारती और भाजपा का विलय सर्वश्रेष्ठ है।” सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, “दूरदर्शन और आकाशवाणी अब विशेष रूप से वही समाचार प्रसारित करेंगे जो आरएसएस देगा! प्रसार भारती ने पीटीआई के साथ अपने अनुबंध को समाप्त कर दिया है और समाचार फ़ीड के लिए विश्व हिन्दू परिषद के संस्थापक गोलवलकर और वीएचपी के द्वारा स्थापित हिंदुस्तान समाचार से अनुबंध किया है।”
द वायर ने इतवार को सबसे पहले खबर छापी कि करार 14 फरवरी से लागू है। अगर ऐसा है और सामान्य है तो प्रसार भारती के साथ-साथ हिन्दुस्तान समाचार को भी प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी चाहिए थी जैसा कोई भी बड़ा ठेका मिलने और देने पर करता है बशर्ते वह सामान्य तरीके से दिया गया हो। जिनकी घोषणा नहीं हुई उनमें आमतौर पर गड़बड़ रहती है लेकिन वह भी अभी मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि सरकार आरएसएस से जुड़ी समाचार एजेंसी की सेवा लेकर क्या उसे उपकृत नहीं कर रही है और बदले में प्रचारात्मक खबरों से उपकृत नहीं होगी। प्रतिकूल खबरें तो खैर क्या होंगी – उसके लिए पीटीआई की उदाहरण याद आता है।
Dhaneshwar choudhary
August 30, 2023 at 2:41 pm
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