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‘हिंदुस्थान समाचार’ प्रबंधन ने पत्रकारों से मांगा यूजरनेम-पासवर्ड! देखें तुगलकी फरमान

यूं तो हिन्दुस्थान समाचार देश की एक मात्र बहुभाषी संवाद एजेंसी होने का दावा करती है, लेकिन इनके दावों की पोल उस समय खुल जाती है जब यहां कार्यरत पत्रकारों को तीन-तीन महीने का वेतन रोक दिया जाता है। इतना ही नहीं, यहां हर दूसरे दिन मैनेजमेंट एक तुगलकी फरमान निकालकर पत्रकारों का मानसिक शोषण करने में जुटा है। ताजा मामला फेसबुक और ट्विटर अकाउंट के पासवर्ड से जुड़ा है।

संस्था के एचआर ने बाकायदा एक अधिकारिक नोटिस जारी कर दिल्ली सहित देशभर के सभी ब्यूरो कार्यालय में कार्यरत वैतनिक पत्रकारों से उनका व्यक्तिगत अकाउंट आईडी और पासवर्ड मांगा गया है।

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हद तो तब हो गयी जब इस पत्र में यह चेतावनी दी गयी कि अगर इम्प्लाई अपना पासवर्ड तीन दिन के अंदर नोएडा कार्यालय को नहीं भेजते हैं तो उनकी सैलरी तो रोकी ही जाएगी, साथ ही भविष्य में उन्हें कार्यमुक्त भी किया जा सकता है। वैसे तो इस संस्थान से संपादकीय टीम में कई दिग्गज नाम जुड़े हैं लेकिन नीतियों के संचालन में एचआर और प्रबंधन के आगे इनकी एक भी नहीं चलती है।

ज्ञातव्य हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित यह एजेंसी पिछले चार साल से भाजपा के एक राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा, जो कि एक प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी के मालिक भी हैं, के हाथों में है। शुरुआती दिनों में तो इस एजेंसी का काम ठीक चल रहा था और सबको समय से वेतन भी मिल रहा था, लेकिन पिछले चार महीने से यहां अनियमितता देखने को मिल रही है। इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है, उसमें लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से एजेंसी के संचालक महोदय को टिकट न मिलना भी एक है। वैसे अंदर खाने से खबर यह भी आ रही है कि संचालक महोदय की टीम हिन्दुस्थान समाचार को दरकिनार कर एच.एस. न्यूज नाम से नया सेटअप खड़ा करने में लगी है। इसके कारण आरएसएस से जुड़े कई पुराने ब्यूरो चीफ को हटाने की प्रक्रिया जारी है। इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड और हरियाणा ब्यूरो चीफ को हटाकर की जा चुकी है।

सूत्रों का कहना है कि हिंदुस्थान समाचार का ब्रांड नेम और सेटअप मूलत: संघ का है, इसलिए यह कभी भी आरके सिन्हा का परमानेंट रूप से नहीं हो सकता। यही कारण है कि इस मूल न्यूज एजेंसी को सिन्हा जी लगातार घाटे में दिखाते हैं और अपना द्वारा खड़ी की गई दूसरी कंपनी एचएस न्यूज और अपनी मूल सेक्युरिटी कंपनी का लगातार विस्तार करने में जुटे हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के जरिए उन्होंने अपनी सिक्योरिटी कंपनी के कामकाज का काफी विस्तार कर लिया है। इसके लिए हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के नाम और बैनर का इस्तेमाल किया गया।

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माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान समाचार न्यूज एजेंसी के दुर्दिन शुरू हो सकते हैं और आरके सिन्हा अपनी उपेक्षा (लोकसभा टिकट न मिलने और बीजेपी के केंद्रीय नेृत्त्व द्वारा उपेक्षित कर हाशिए पर डाल दिए जाने) के कारण इसे त्याग भी सकते हैं। हां, लेकिन तब तक बतौर बिजनेसमैन आरके सिन्हा हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के ब्रांड नाम के बल पर काफी कुछ दूह चुके होंगे।

ज्ञात हो कि आरके सिन्हा की एक मैग्जीन में चुनाव के समय रविशंकर प्रसाद के खिलाफ काफी कुछ छपा। बताया जाता है कि रविशंकर प्रसाद ने सारी कटिंग बाद में अमित शाह को दिखाई और आरके सिन्हा की हरकतों का खुलासा किया। इसी के बाद से केंद्रीय नेतृत्व ने आरके सिन्हा की पूरी तरह और बुरी तरह उपेक्षा का चुपचाप निर्णय ले लिया।

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हिंदुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी में कार्यरत एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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3 Comments

3 Comments

  1. rahul

    August 20, 2019 at 1:37 pm

    सेटअप खड़ा करने में क्या लगे हैं। कर ही दिया। hindusthansamachar.com को तो खत्म कर ही दिया। पुराने लोग भी छोड़—छोड़कर जा ही रहे हैं। और कितनी बर्बादी चाहते हैं। इनसे पूछो कि पनामा पेपर्स का पैसा कहां गया?

    • मनोज

      August 30, 2019 at 8:42 am

      साले हरामी है सब के सब एम्प्लोयी के शोषण की इंतिहा पार कर दी है इन सुअर की औलादो ने।
      इसका एक नज़ारा अमरउजाला ने भी कर रखी है।
      एम्प्लोयी का न इंक्रीमेंट न प्रमोशन न ठीक से काम करने देना बस कहते है जिसको करनी हो करो वरना बाहर चलो उपर वाले हरामी इस्तांबुल घूम रहे एयर नीचे वालो की एक कप चाय भी बंद कर रखी है वही यूनिट कर HOD को सारी सुविधाएं बाकियो को कुत्ता समझना,
      बहुत जल्दी तुम लोग मरोगे राजुल तन्मय और वरुण माहेश्वरी

  2. अरुण कुमार पाण्डेय, बिहार

    August 20, 2019 at 8:43 pm

    यह पत्रकार उत्पीड़न का ज्वलंत मसला है। इसका कड़ा विरोध अपेक्षित है। इस तुगलकी फरमान की वापसी होने तक काम बंद कर विरोध होना चाहिए। मामूली पारिश्रमिक भेजने में उदासीन मौजूदा प्रबंधन में बदलाव की आवाज बुलंद होनी चाहिए।

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